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दिखावे में न उलझे, परिवार के साथ समय बितायें

मॉडलिंग से अपना कॅरियर शुरू करने वाली अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे का कहना है कि इंसान को दिखावों में नहीं पडऩा चाहिए, बल्कि परिवार के साथ समय बिताना चाहिए...

By Babita KashyapEdited By: Published: Wed, 23 Nov 2016 12:40 PM (IST)Updated: Wed, 23 Nov 2016 12:49 PM (IST)
दिखावे में न उलझे, परिवार के साथ समय बितायें

मॉडलिंग की दुनिया में सफल होने के बाद अभिनय की राह पर चल पड़ी सोनाली बेंद्रे ने दिग्गज निर्माता निर्देशकों और नामी स्टारों के साथ फिल्में कीं। फिर निर्माता गोल्डी बहल के साथ शादी कर ली। सोनाली ने शादी के बाद फिल्मों की दुनिया को अलविदा जरूर कहा, लेकिन वह सुर्खियों में बनी रहीं। सौंदर्य प्रसाधन कंपनी ओरिफ्लेम के लिए वह लगातार पांच साल से फेस ऑफ द ब्रांड हैं। चंद धारावाहिकों के अलावा रियलिटी शो में भी जज के रूप में नजर आईं। पिछले दिनों उन्होंने पैरेंटिंग पर द मॉडर्न गुरुकुल: माई एक्सपेरिमेंट्स विद पैरेंटिंग नामक एक किताब उन अभिभावकों के लिए लिखी है, जो पहली बार अभिभावक बनने जा रहे हैं। अपने जीवन के अनुभवों को सोनाली ने हमारे साथ किया साझा।

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कैसी चल रही है आजकल जिंदगी?

बहुत अच्छी, अपने जीवन को मैंने हमेशा ताजगी देने का प्रयास किया है। शरीर को अगर ऑक्सीजन की जरूरत है तो जिंदगी का लुत्फ उठाने के लिए जीवन को भी ताजगी मिलना जरूरी है। दुनिया में शायद ही कोई ऐसा शख्स हो जिसे तनाव-चिंता न सताती हो, पर उनका मुकाबला करना चाहिए सकारात्मक ऊर्जा के साथ। चिंताओं को दिनभर ढोना नहीं चाहिए, जो व्यक्ति इसे मेंटेन कर लेता है उसे जीवन जीने का मंत्र मिल जाता है।

आप पहले मॉडलिंग और अभिनय में व्यस्त रहीं। फिर गृहस्थ जीवन में। ग्लैमर की दुनिया को मिस किया कभी?

टच वुड मैंने सारे फैसले सोच-समझकर लिए। कॉलेज के दिनों में मॉडलिंग की, जब अभिनय के मौके आए वो भी किया। माता-पिता द्वारा दिए संस्कार ऐसे थे कि यह जानती थी कि पैसा हो या ग्लैमर, जीवन के अंतिम क्षण तक साथ नहीं देते। आपके करीबी रिश्तों की गर्माहट इतनी सशक्त होनी चाहिए कि आप ग्लैमर, पैसा, शोहरत जैसी दिखावे की चीजों में न उलझें। अभिनय के ऑफर्स तो अभी भी आते हंै। मैंने फिल्मों से संन्यास नहीं लिया है, जब अच्छे ऑफर आएंगे, फिल्में करूंगी। मैं संतुष्ट हूं अपनी पारी से। वैवाहिक जीवन और मातृत्व का आनंद दिल से लिया। मेरा बेटा रणवीर 12 वर्ष का है। वह मेरा बेटा ही नहीं सबसे अच्छा दोस्त भी है। गोल्डी के साथ मेरा रोमांस अभी खत्म नहीं हुआ। वी आर स्टिल लाइक लवर्स। मेरी एक बहन एम्सटर्डम में रहती है और दूसरी यूएसए में। मेरी दोनों बहनों के अलावा मेरी ननद सृष्टि भी मेरी सहेली है। इन सभी रिश्तों को मैंने सींचा है। लिहाजा मुझे ग्लैमर की कमी कभी नहीं खली।

कॅरियर के मामले में महिलाएं शिखर पर हैं, लेकिन उतना ही स्ट्रेस और डिप्रेशन के मामले भी बढ़ रहे हैं। क्या कहना चाहेंगी आप?

मुझे लगता है कि न केवल कामकाजी महिलाएं, बल्कि गृहिणियां भी तनाव, अवसाद, कुंठा की शिकार हो जाती हैं। शुक्र है मुझे इससे गुजरना नहीं पड़ा। मेरा मानना है कि योग-मेडिटेशन से इन्हें दूर रखने का प्रयत्न किया जा सकता है। हर माता-पिता को अपने बच्चों को एक अच्छा बेटा, एक अच्छा इंसान और एक अच्छा पति बनने के संस्कार देना जरूरी है। एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के विचारों में फर्क होगा, पर उतना भी न हो कि इंसान अपनी बुनियाद ही नजरअंदाज कर दे। जो स्त्री घर पर रहते हुए परिवार की देखभाल कर रही है, उसका सम्मान बहुत जरूरी है, क्योंकि घरेलू महिलाओं की ड्यूटी कभी खत्म नहीं होती। उनके आत्मसम्मान और स्वाभिमान की सराहना करनी होगी, ताकि उनका मनोबल बना रहे और वे कुंठा से दूर रहें।

जो महिलाएं ब्यूटी पार्लर नहीं जातीं, उनके लिए क्या टिप्स देंगी?

मेरा विश्वास भारतीय नीम पर बहुत है। नीम के पत्तों का जेल् त्वचा पर लगाने से दाग-धब्बे और मुंहासे नहीं होंगे। अगर हो गए तो राहत मिलेगी। नीम एस्ट्रिंजेंट का काम करता है। हम तीनों बहनों के बालों पर मेरी मां तेल से मालिश करती थीं। इसके साथ ही पके हुए पपीता और केले का गूदा चेहरे पर लगाने से चेहरा क्लीन हो जाता है।

सबसे जरूरी बात शादीशुदा महिलाएं अपना कर्तव्य निभाने के चक्कर में सास-ससुर, पति, बच्चे सबको नाश्ता-खाना-टिफिन वक्त पर देती हैं, लेकिन खुद समय पर नहीं खातीं। भूखे पेट काम करती रहती हैं, इसका खामियाजा बहुत भारी पड़ जाता है महिलाओं को। इसलिए उन्हें सबसे पहले या वक्त पर खा लेना चाहिए,

क्योंकि अगर स्त्री सशक्त रहेगी तो उसका घर खिला-खिला रहेगा। मैं कई बार खुद सबसे पहले ब्रेकफास्ट कर लेती हूं। न जाने महिलाएं खुद का ध्यान रखना कब सीखेंगी?

आपने गुरुकुल किताब लिखी? क्या और भी किताबें लिखने वाली हैं?

मॉडर्न गुरुकुल मेरी यह किताब पैरेंटिंग को डेडिकेट करती है। मैं जब पहली बार मां बनी, मेरे पैरेंटिंग के अनुभव, मेरे बेटे रणवीर ने मुझमें कितने प्यारे बदलाव लाए... और बहुत सारे निजी अनुभवों को मैंने इस किताब में शेयर किया है।

इस उम्मीद पर कि अब इक्कीसवीं सदी में नारी यानी मां भी आधुनिक है और उसकी संतान भी मॉडर्न है, बावजूद हम सभी में भारतीय ममता की चेतना जगी है। आज के दौर में मां की जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं, क्योंकि बच्चे को ऑल राउंडर बनाने में मां का ही हाथ होता है, लेकिन मेरा कहना है, उसे जिसमें दिलचस्पी है उसमें प्रोत्साहन दें ऑल राउंडर बनाने के चक्कर में उनमें पियर प्रेशर आ जाता है। बेटे के कारण ही मेरा फिटनेस बना हुआ है। मेरे खानपान पर उसका पूरा ध्यान रहता है। वह मुझे ऑइली चीजें खाने से रोकता है और मुझे जिम जाने के लिए प्रेरित करता है। मेरी असीमित खुशियों के राज के पीछे मेरे बेटे का बड़ा योगदान है। एक किताब पर काम चल रहा है, लेकिन अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी।

मीनाक्षी

'बढ़ो बहू' में भाभी के किरदार से खूब लुभा रही हैं रुपाली


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