इस नृत्यांगना ने पाया छोटी उम्र में बड़ा मुकाम
युवा कथक नृत्यांगना मृणालिनी उत्कृष्ट प्रतिभा की धनी तो हैं ही आधुनिक सोच के साथ कदम तर कदम मिलाकर भी चलती हैं। कर्मठता और सकारात्क सोच के बल पर छोटी आयु में ही बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है।
छह वर्ष की आयु से ही कथक का अभ्यास करने वाली मृणालिनी आज एक जानी मानी कथक नृत्यांगना हैं। बचपन में मां संगीता की देखरेख में उन्होंने नृत्य सीखना शुरू किया था। तब वह शोभना नारायण की चर्चित वीडियो के जरिये उनकी भाव-भंगिमाओं का अनुसरण करने का प्रयास करती थी। फिर उनके सानिध्य में ही नृत्य कला को ग्रहण करने का अवसर मिला। और 10 वर्ष की आयु में राजधानी में पहली मंच प्रस्तुति दी थी। अपनी पहली मंच प्रस्तुति के एक वाकये को साझा करते हुए मृणालिनी कहती हैं कि उस वक्त मेरे बाल खुल गए थे लेकिन मैं नृत्य में ऐसी रमी हुई थी कि पता ही नहीं चला था। बाद में दर्शकों की खूब सराहना मिली। घर में माता-पिता और परिजनों के सहयोग के साथ उन्हें संगीत और नृत्य का एक अच्छा माहौल प्राप्त हुआ जो उन्हें सकारात्मक ऊर्जा देती है।
मृणालिनी को साहित्य कला परिषद की ओर से बतौर युवा कलाकार छात्रवृति भी प्राप्त हुई है। दर्शकों ने दिया प्यार, बढ़ाया उत्साह देश से विदेश तक में कथक नृत्य से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाली युवा नृत्यांगना मृणालिनी ने बताया किउन्हें सदैव ही दर्शकों का सहयोग प्राप्त हुआ है और जिससे उन्हें उत्साह मिलता है। दिल्ली, लखनऊ, आगरा, कुरुक्षेत्र, वृंदावन, मेरठ, पटना सहित कई स्थानों पर नृत्य प्रस्तुति दी है। जिसमें ओडिशा का कोणार्क फेस्टिवल, वृंदावन फेस्टीवल बेहद खास रहा है। इसके साथ ही अमेरिका और हंगरी में भी नृत्य प्रस्तुति पर दर्शकों से खूब सराहना मिली है।
शोभना दीदी जैसे कोई नहीं
अपनी गुरु शोभना नारायण की प्रशंसा करते हुए मृणालिनी कहती हैं वह हमेशा अपने विद्यार्थी में विश्वास दिखाती हैं और बिना दबाव बनाए उसे आगे बढऩे के लिए प्रेरित करती हैं। एक वाकया याद करते हुए उन्होंने बताया कि जब वह वृंदावन फेस्टिवल में दीदी के साथ भाग लेने पहुंची तब उन्हें पता नहीं था कि आज उन्हें दर्शकों के सामने नृत्य प्रस्तुत करना है। उस वक्त उनकी आयु 12-13 वर्ष की थी। लेकिन श्री कृष्ण की बाल-लीला पर आधारित इस नृत्य के लिए उन्होंने प्रस्तुति के ठीक पहले बताया कि उन्हें मंच पर कृष्ण का अभिनय करना है। उस वक्त मां यशोदा के किरदार में शोभना दीदी वाकई में एक मां की तरह मुझ पर यकीन करते हुए मंच पर साथ ले गईं। यह प्रस्तुति अनूठी रही और दर्शकों की वाहवाही मिली। इसके अलावा मृणालिनी ने नृत्यांगना शोभना नारायण के साथ कवि गोपाल दास नीरज की रचना.. 'खग उड़ते रहना जीवन भर' और रामचंद्र गांधी की कृति 'मोहन एंड रंभा' पर प्रस्तुति दी है।
आत्मबल को बढऩा जरूरी
मृणालिनी दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद फैकल्टी ऑफ मैथ से स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रही हैं। महिलाओं के सशक्तीकरण के मुद्दे पर इस युवा नृत्यांगना का कहना कि शिक्षा बहुत जरूरी है लेकिन सबसे पहले आधी आबादी को अपना आत्मबल मजबूत करना होगा ताकि परिस्थितियों के बीच मिले अवसर का मजबूती के साथ लाभ उठा सकें।
प्रस्तुति, शिप्रा सुमन, बाहरी दिल्ली