कुंदुली सामूहिक दुष्कर्म कांड , जांच के लिए विशेष टीम का गठन
कुंदुली सामूहिक दुष्कर्म कांड की जांच के लिए विशेष टीम का गठन किया गया है इसमें कोरापुट ब्रह्मपुर एवं संबलपुर रेंज के डीआइजी को शामिल किया गया है।
कटक, जेएनएन। बहुचर्चित कुंदुली सामूहिक दुष्कर्म एवं खुदकशी घटना की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम यानी एसआइटी का गठन करने के लिए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है। तीन डीआइजी रैंक के अधिकारियों को लेकर एसआइटी बनाने को हाईकोर्ट ने कहा है। इस विशेष जांच टीम में कोरापुट, ब्रह्मपुर एवं संबलपुर रेंज के डीआइजी शामिल होंगे। आगामी 16 दिसंबर के अंदर एसआइटी को घटना की जांच कर हाईकोर्ट में इस संबंध में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है।
विगत दो अगस्त को कुंदुली मामले की सुनवाई के समय हाईकोर्ट ने क्राइमब्रांच की जांच को लेकर असंतोष जताया था। एक महीने के अंदर एक विशेष जांच टीम (एसआइटी) गठन के लिए कुछ अधिकारियों का नाम प्रस्ताव के तौर पर देने के लिए याचिकाकर्ता को निर्देश दिया था। अगस्त के बाद इस मामले की सुनवाई विगत चार सितंबर को हुई थी जिसमें क्राइमब्रांच की ओर से बंद लिफाफे में हाईकोर्ट में जांच संबंधित रिपोर्ट दाखिल की गई थी।
इसके बाद मामले की सुनवाई सोमवार को हाईकोर्ट में हुई और सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने एसआइटी गठन के लिए निर्देश दिया है। इस एसआइटी में तीन रेंज के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआइजी) शामिल होकर घटना की जांच करेंगे और रिपोर्ट अदालत को सौंपेंगे।
पूर्व सांसद महामेघवाहन ऐर खारबेल वाहन और पीड़िता की मां की ओर से दायर मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस के.एस जावेरी एवं न्यायाधीश जस्टिस केआर महापात्र की खंडपीठ ने यह निर्देश देने के साथ-साथ मामले की अगली सुनवाई को आगामी 16 दिसंबर तक के लिए टाल दिया है।
उल्लेखनीय है कि कोरापुट जिला के पटांगी थाना अंतर्गत कुंदुली ग्राम पंचायत की सोरिसोपदर जंगल में 10 अक्टूबर 2017 को एक नाबालिग के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। तत्समय पीड़िता ने सभी आरोपित यूनिफार्म में होने का आरोप लगाया था। नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली 14 वर्षीय पीड़िता बार-बार घटना के बारे में आरोप लाने के बावजूद पुलिस प्रशासन उसे अस्वीकार किया था। इसको लेकर राज्यभर में सियासी हलचल तेज हुई थी और फिर 22 जनवरी 2018 को पीड़िता ने खुदकशी कर ली थी।
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यह मामला तूल पकड़ जाने के बाद घटना की क्राइमब्रांच जांच के लिए सरकार ने निर्देश दिया था और न्यायिक जांच के लिए कमीशन का भी गठन किया था। बाद में इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में कुल सात मामले दर्ज किए गए। हालांकि 4 मामलों को वापस ले लिया गया। एक मामले को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था जबकि अन्य दो मामले अभी हाईकोर्ट में विचाराधीन है और उसी मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह निर्देश दिया है।
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