आतंकी मदद पर बचा-खुचा लिहाज भी पाकिस्तान ने रखा ताक पर

जमात-उद-दावा का मुखिया और अंतरराष्ट्रीय आतंकी हाफिज मक्की सरेआम रैलियां कर रहा है और भारत को सबक सिखाने का भाषण दे रहा है।

By Mohit TanwarEdited By: Publish:Tue, 18 Jul 2017 09:43 AM (IST) Updated:Tue, 18 Jul 2017 09:53 AM (IST)
आतंकी मदद पर बचा-खुचा लिहाज भी पाकिस्तान ने रखा ताक पर
आतंकी मदद पर बचा-खुचा लिहाज भी पाकिस्तान ने रखा ताक पर

नई दिल्ली,[जयप्रकाश रंजन]। ऐसा लगता है कि आतंकियों को मदद देने को लेकर जो भी बचा-खुचा लिहाज पाकिस्तान के पास था, उसने उसे भी ताक पर रख दिया है। जमात-उद-दावा, लश्कर और जैश जैसे आतंकी संगठनों को हर तरह की मदद देने वाले पाकिस्तानी हुक्मरान और सेना अब सारा खेल खुल कर खेलने लगे हैं।

जैश-ए-मोहम्मद मुखिया का बहावलपुर स्थित मस्जिद फिर से भारत विरोधी गतिविधियों का केंद्र बन चुका है। हाल ही में अमेरिका की तरफ से घोषित अंतरराष्ट्रीय आतंकी सैयद सलाहुद्दीन का पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में सार्वजनिक तौर पर अभिनंदन किया जा रहा है। जमात-उद-दावा का मुखिया और अंतरराष्ट्रीय आतंकी हाफिज मक्की सरेआम रैलियां कर रहा है और भारत को सबक सिखाने का भाषण दे रहा है।

भारतीय खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान की तरफ से आतंकियों को मिलने वाले सहयोग को लेकर भारत ने जितना उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बेनकाब करना शुरू किया है लगता है पाकिस्तान ने उतना ही खुल कर मदद करने का मन बना लिया है।

अगर ऐसा नहीं तो सलाहुद्दीन को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के एक पखवाड़े के भीतर ही उसकी बड़ी जुलूस निकालने की अनुमति सरकार ने क्यों दी। उसके बाद से सलाहुद्दीन दो बड़ी रैलियां कर चुका है। इस्लामाबाद में एक रैली में उसे जमात-उद-दावा के कुख्यात आतंकी मक्की की तरफ से एकके-47 भेंट की गई और कश्मीर में भारतीय सेना के खिलाफ आतंकी कार्रवाई करने की कसमें भी खाई गईं।

यही नहीं पाकिस्तान के कट्टर राजनीतिक संगठनों (इनमें से कई प्रतिबंधित) ने कश्मीर के नाम पर अभी तक की सबसे बड़ी रैली निकालने की घोषणा की है। इस रैली को सरकार की तरफ से अनुमति भी मिल गई है। पहले भी इनकी रैलियों में लश्कर और जमात के शीर्ष आतंकी खुलेआम हिस्सा लेते रहे हैं।

जमात के लोगों ने कराची से लेकर पेशावर तक और गुलाम कश्मीर से लेकर लाहौर तक में कश्मीर के नाम पर घर-घर चंदा उगाही बहुत बड़े पैमाने पर शुरू कर दिया है। यह चंदा जमात-उद-दावा के लोग तहरीक आजादी जम्मू और कश्मीर (टीएजेके) के बैनर तले जुटा रहे हैं। फरवरी, 2017 में जमात ने बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव में अपना नाम बदल कर टीएजेके कर लिया है। हालांकि उसका प्रोपगेंडा मशीन (सोशल मीडिया पर) जमात-उद-दावा के नाम से ही चल रहा है।

दरअसल, पाकिस्तान हाल के दो वर्षो से बाहरी तौर पर यह दिखावा कर रहा था कि वह आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है लेकिन हकीकत में तस्वीर काफी अलग है। पिछले वर्ष पठानकोट आतंकी हमले के बाद जैश-ए-मोहम्मद के बहावलपुर मुख्यालय पर दबिश दी गई थी और यहां चलने वाली भारत विरोधी विरोधी गतिविधियों को रोका गया था। लेकिन अब भारतीय एजेंसियों को जो सूचनाएं मिल रही हैं उसके मुताबिक वहां स्थिति पहले जैसी हो गई है। जैश के मुखिया मौलाना मसूद अजहर को पहले कहा गया कि वह नजरबंद है लेकिन पिछले एक वर्ष से उसके बारे में कोई सूचना नहीं दी गई है।

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