अब नहीं चाहती सरकार जमानत पर अलग कानून

सरकार ने विधि आयोग को पत्र भेज कर जमानत पर अलग से कानून बनाने से मना कर दिया है। आयोग से कहा गया है कि वह अब सीआरपीसी में संशोधन पर सुझाव दे।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Mon, 26 Dec 2016 07:48 PM (IST) Updated:Tue, 27 Dec 2016 01:41 AM (IST)
अब नहीं चाहती सरकार जमानत पर अलग कानून

नई दिल्ली (माला दीक्षित)। इंग्लैड की तर्ज पर भारत मे अलग से जमानत कानून (बेल एक्ट) चाह रही केन्द्र सरकार ने अपना मन बदल लिया है। एक साल पहले विधि आयोग से जमानत पर अलग कानून बनाने की गुजारिश कर चुकी सरकार ने पिछले सप्ताह आयोग को पत्र भेज कर अलग से कानून बनाने से मना कर दिया है। सरकार ने आयोग से कहा है कि वह जमानत पर अलग कानून बनाने के बजाए इस बारे में अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में संशोधन पर सुझाव दे।

देश में जमानत का कानून फिलहाल सीआरपीसी के प्रावधानों से संचालित होता है। अग्रिम जमानत, अंतरिम जमानत और नियमित जमानत आदि सभी का निर्धारण सीआरपीसी में दिये गये प्रावधानों से होता है। सीआरपीसी वास्तव में प्रक्रियात्मक कानून है। जो बताता है कि फलां अपराध की स्थिति में क्या और कैसी प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

सपा में कलह से संभावित गठबंधन में बेचैनी, चुन सकते हैं अलग रास्ता

सीआरपीसी का चेप्टर 33 जमानत और जमानत बंधपत्र के बारे में है। केन्द्र सरकार ने जमानत के प्रावधानों को और स्पष्ट व विस्तृत करने के लिए इंग्लैंड की तर्ज पर अलग से जमानत कानून बनाने का फैसला किया था। वास्तव में इसके पीछे मंतव्य था कि जमानत संबंधी सारे प्रावधान साफ और स्पष्ट हो जाएं। जमानत देना या न देना एक्ट में ही स्पष्ट कर दिया जाये। ये विवेकाधिकार न्यायिक अधिकारी पर निर्भर न हो।

सरकार ने पिछले साल 11 सितंबर को विधि आयोग को पत्र लिख कर कहा था कि वह जमानत पर अलग कानून (बेल एक्ट) तैयार करने पर विचार करे। लेकिन एक साल में सरकार का मन बदल गया। माना जा रहा है कि कम से कम कानून की हिमायती मोदी सरकार कानूनों की सूची में एक और संख्या नहीं बढ़ाना चाहती। इसीलिए सरकार ने अब तय किया है कि अलग कानून बनाने के बजाए मौजूदा कानून में संशोधन से ही उद्देश्य पूरा कर लिया जाये।

नोटबंदी के बाद बसपा के एक खाते में जमा हुए 104 करोड़ रुपये नकद

एक साल में सरकार ने तो अपना विचार बदल लिया लेकिन विधि आयोग के सूत्र बताते हैं कि आयोग ने अलग से जमानत कानून पर काफी काम कर लिया था। नये कानून पर आयोग का काम लगभग पूरा हो गया था हालांकि अभी उसे अंतिम रूप नहीं दिया गया था। आयोग अब उन चीजों पर सीआरपीसी के चेप्टर 33 में संशोधन पर सुझाव देगा।

विमानन व संचार क्षेत्र ने बंधाई नई उम्मीद

दाखिले में सीमित होगा सांसदों का विशेषाधिकार, गरीब बच्चों को देनी होगी वरीयता

chat bot
आपका साथी