अविरल गंगा के लिए उठीं आस्था की हिलोरें

पाल वंश के काल में राजा इंद्र दमन की राजधानी रहे बिहार के लखीसराय जिले में आस्था की लहरें इस कदर उठीं कि रुद्र प्रयाग से गंगा सागर के लिए निकला गंगा जागरण कलश रथ का स्पर्श करने को सैलाब उमड़ पड़ा।

By Edited By: Publish:Tue, 22 Jul 2014 03:21 AM (IST) Updated:Tue, 22 Jul 2014 03:21 AM (IST)
अविरल गंगा के लिए उठीं आस्था की हिलोरें

लखीसराय, जासं। पाल वंश के काल में राजा इंद्र दमन की राजधानी रहे बिहार के लखीसराय जिले में आस्था की लहरें इस कदर उठीं कि रुद्र प्रयाग से गंगा सागर के लिए निकला गंगा जागरण कलश रथ का स्पर्श करने को सैलाब उमड़ पड़ा। अशोक धाम मंदिर परिसर में शंख ध्वनि के बीच गंगा कलश रथ की आरती कर जीवनदायिनी गंगा के प्रति आस्था का कारवां शहर के लिए बढ़ चला। यहां हजारों कंठ से हर-हर गंगे का उद्घोष और पुष्प वर्षा हुई।

यहां गंगा को निर्मल बनाने के संकल्प के साथ अशोकधाम मंदिर ट्रस्ट के सचिव श्याम सुंदर प्रसाद सिंह ने ध्वज दिखाकर गंगा जागरण रथ को रवाना किया। डीएवी पब्लिक स्कूल के सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राओं ने कलश पर माल्यार्पण किया और पुष्प वर्षा की। छात्र-छात्राओं ने मिट रही गंगा को बचाने के लिए जन- जागरुकता कार्यक्रम चलाने का संकल्प लिया। थाना चौक पर प्रज्ञा विद्या विहार के निदेशक रंजन कुमार के नेतृत्व में सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने मानव श्रृंखला बनाकर गंगा जागरण रथ का भव्य स्वागत किया। कलश रथ के आगे विश्व ¨हदू परिषद के दर्जनों कार्यकर्ता मोटरसाइकिल जुलूस के साथ चल रहे थे। दुर्गा मंदिर पर माल्यार्पण कर गंगा मैया की आरती की गई। शंख ध्वनि और वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच गंगा को बचाने का संकल्प लिया गया। बालिका विद्यापीठ की छात्राओं ने रथ को लखीसराय शहर से विदा किया। जब रथ सूर्यगढ़ा पहुंची तो घंटों से इंतजार कर रहे लोग सीमाएं लांघ रथ की आरती को आतुर हो गए। यहां बैंड बाजे के साथ रथ को मेदनी चौकी के रास्ते मुंगेर के लिए विदा कर दिया गया।

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