अब सर्दी में उगाएं गर्मी की सब्जी

शूलिनी यूनिवर्सिटी सोलन के विद्यार्थी ने एक ऐसा पॉलीहाउस तैयार किया है जिसमें अलग-अलग मौसम की सब्जी उगाई जा सकती हैं।

By BabitaEdited By: Publish:Mon, 22 Oct 2018 03:47 PM (IST) Updated:Mon, 22 Oct 2018 03:47 PM (IST)
अब सर्दी में उगाएं गर्मी की सब्जी
अब सर्दी में उगाएं गर्मी की सब्जी

सोलन, मनमोहन वशिष्ठ। आमतौर पर पॉलीहाउस में एक ही मौसम की फसल उगाई जा सकती है। इससे किसानों की आय सीमित होती है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। शूलिनी यूनिवर्सिटी सोलन के विद्यार्थी कार्तिक चौहान ने एक ऐसा पॉलीहाउस तैयार किया है जिसमें एक समय में अलग-अलग मौसम की फसलें उगाई जा सकेंगी। अब सर्दी में भी गर्मी की सब्जी उगा सकेंगे।

शूलिनी यूनिवर्सिटी सोलन के बॉयोटेक्नोलॉजी विभाग के एमटेक के विद्यार्थी कार्तिक चौहान ने अध्यापक रूपक नाइराईक के साथ मिलकर आधुनिक पॉलीहाउस का डिजाइन तैयार किया है। इस नई तकनीक के विकसित होने से कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव के साथ किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। इस आधुनिक डिजाइन में पॉलीहाउस के प्रवेशद्वार की छत पर बारिश के पानी को एकत्रित करने का प्रावधान है। मजबूत व पतली छत पर अधिकतम वर्षा जल एकत्रित करने में मदद करेगी। इसे किसान बाद में सिंचाई के लिए इस्तेमाल कर सकता है। वहीं मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए पॉलीहाउस कारगर सिद्ध होगा। शिक्षक रूपक नागराईक ने बताया कि उन्होंने विश्वविद्यालय में डेमो मॉडल का परीक्षण भी किया है।

 

तूफान में भी नहीं होगा नष्टविद्यार्थी कार्तिक चौहान व अध्यापक रूपक नागराईक ने बताया कि उन्होंने हैचबैक कार डिजाइन प्रेरित आधुनिक पॉलीहाउस का डिजाइन तैयार किया है। ऐसा डिजाइन तूफान के दौरान हवाओं के खिलाफ स्थिरता भी देगा। ऐसा डिजाइन पहाड़ी क्षेत्रों में विशेष रूप से सहायक साबित हो सकता है जहां तेज हवाओं के कारण अकसर पॉलीहाउस क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।

कृषक परिवार से है कार्तिककृषक परिवार से संबंधित होने के कारण कार्तिक के मन में कृषि की उपज के लिए कुछ नया करने का सपना था। इसको साकार करने के लिए शिक्षक के साथ ऐसा डिजाइन तैयार किया है। पॉलीहाउस के अंदर निर्मित एडिएबैटिक दीवार की उपस्थिति, तापमान, आ‌र्द्रता व वेंटिलेशन नियंत्रण प्रणाली की पॉलीहाउस में सुविधा होगी।

आधुनिक पॉलीहाउस में एक छत के नीचे दो फसलें उगाने का प्रावधान है। विद्यार्थी व अध्यापक का प्रयास सराहनीय है।

-प्रो. पीके खोसला, वीसी, शूलिनी विश्वविद्यालय, सोलन।

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