विजिलेंस जांच में राज्य चुनाव आयुक्त पी मित्रा ने चला सियासी दांव

पी मित्रा की जांच में राजनीति दिखने लगी है, मित्रा ने अपने बचाव में राजनीतिक लोगों को ढाल की तरह इस्तेमाल किया है।

By BabitaEdited By: Publish:Wed, 19 Sep 2018 09:03 AM (IST) Updated:Wed, 19 Sep 2018 09:03 AM (IST)
विजिलेंस जांच में राज्य चुनाव आयुक्त पी मित्रा ने चला सियासी दांव
विजिलेंस जांच में राज्य चुनाव आयुक्त पी मित्रा ने चला सियासी दांव

शिमला, रमेश सिंगटा। पूर्व मुख्य सचिव एवं राज्य निर्वाचन आयुक्त पी मित्रा की विजिलेंस जांच में राजनीति भी दिखने लगी है। सूत्रों के अनुसार मित्रा ने अपने बचाव में राजनीतिक लोगों को ढाल की तरह इस्तेमाल किया है। उन्होंने धारा 118 के तहत भू सौदों में अपनी संलिप्तता को नकारा लेकिन भाजपा के एक बड़े नेता का नाम लिया है। यह नेता पूर्व  में भाजपा सरकार में अहम पद पर रहा है।

मित्रा भाजपा व कांग्रेस दोनों सरकारों में कई नेताओं से तार भिड़ाते रहे हैं। विजिलेंस को भी आभास था कि मित्रा कोई न कोई दांव जरूर खेलेंगे। इसलिए वह भी इसकी काट खोज रही है। पूर्व कांग्रेस सरकार पी मित्रा पर मेहरबान रही और तभी वह पदोन्नति की सीढ़ियां चढ़ते गए। विजिलेंस उनका बाल भी बांका नहीं कर पाई।

कोर्ट की अनुमति से लिए जा सकते हैं वॉयस सैंपल

विजिलेंस की मानें तो पूर्व मुख्य सचिव झूठ बोल रहे हैं। जांच को प्रभावित करने के लिए वह ऐसा कर रहे हैं। कानूनी जानकारों का मानना है कि बेशक मित्रा वॉयस सैंपल देने से इन्कार कर रहे हैं पर कोर्ट की अनुमति से सैंपल लिए जा सकते हैं। इस संबंध में सुप्रीमकोर्ट के भी निर्देश हैं। सवाल यह है कि क्या मित्रा सैंपल देने से इन्कार कर बच जाएंगे? देर सवेर वॉयस सैंपल होंंगे तो सच्चाई सबके सामने आ जाएगी। सीडी में पी

मित्रा की आवाज कैद है। बिचौलिये ने विजिलेंस को बयान दिया है कि यह आवाज पूर्व मुख्य सचिव की है। सीडी में वह गैर हिमाचली गैर कृषकों को जमीन की धारा 118 के तहत स्वीकृतियां देने के बदले कथित तौर पर रिश्वत की मांग कर रहे हैं।

विजिलेंस के अधिकारियों ने साधी चुप्पी

विजिलेंस के अधिकारियों ने इस मामले में चुप्पी साध ली है। एडीजीपी डॉ. अतुल वर्मा बात नहंीं कर रहे हैं। आइजी जेपी सिंह अवकाश पर हैं। जांच अधिकारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार बयान देने के लिए अधिकृत नहीं है। ऐसे में विजिलेंस का पक्ष सामने नहीं आ पा रहा है। उधर, पी मित्रा अपना पक्ष देने से इन्कार कर चुके हैं।

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