यहां पर्यटन की आड़ में हो रहा है काला कारोबार, विदेशियों को लगा मलाणा क्रीम का चस्का
हिमाचल के कसोल में मलाणा क्रीम यानी चरस का नशा सिर चढ़कर बोल रहा है जिसके लिए विदेशी पर्यटकों ने यहां डेरा जमाया हुआ है।
मंडी, जेएनएन। हिमाचल के कुल्लू जिले की कसोल की रमणीक वादियां पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। यहां लाखों पर्यटक हर साल आते हैं। विदेशी पर्यटकों में एक ऐसा तबका भी है, जिससे कसोल का मोह नहीं छूटता है। कुछ ने यहां वर्षों से डेरा जमा रखा है तो कई हर छह माह बाद यहां आते हैं। इसकी मुख्य वजह है मलाणा क्रीम यानी चरस। मलाणा क्रीम का नशा इजरायलियों के सिर चढ़कर बोल रहा है।
तस्करी के साथ विदेशी पर्यटकों को मलाणा क्रीम उपलब्ध करवाना यहां डेरा जमाए बैठे इजरायलियों का मुख्य धंधा बन गया है। कसोल में कई इजरायलियों ने अपने रेस्टोरेंट व दुकानें खोल रखी हैं। साल भर पहले तक तो इजरायलियों के रेस्टोरेंट में विदेशी पर्यटकों के अलावा किसी भारतीय पर्यटक को आने जाने की अनुमति तक नहीं थी। रेस्टोरेंट के बाहर बकायदा बोर्ड टांग रखा था।
विवाद बढ़ा तो सरकार के हस्तक्षेप के बाद वहां देशी पर्यटकों को भी आने जाने की छूट मिली। कसोल कस्बे की आबादी करीब 1000 के आसपास है। इसके साथ ही मनीकर्ण धार्मिक व पर्यटन स्थल हैं। इसके अलावा खीरगंगा को ट्र्रैंकग के लिए यहीं से होकर जाते हैं। कसोल से मलाणा की दूरी 15 किलोमीटर है। यहां से काले सोने यानी चरस की खेप सीधे कसोल पहुंचती है। इजरायली इसके बड़े खरीदार हैं। हर रोज कोई न कोई इजरायली कसोल पहुंचता है।
उनके रहने, खाने, ट्र्रैकिंग व चरस उपलब्ध करवाने की व्यवस्था पहले से यहां रहने वाले इजरायली ही करते हैं। ट्र्रैकिंग के लिए खीरगंगा से आगे निकल जाते हैं। जंगलों या दुर्गम गांवों में टैंट लगाकर कई माह तक रहते हैं। कसोल में मलाणा क्रीम की कीमत 10 हजार प्रतिकिलो है। देश के अन्य राज्यों या विदेश में पहुंचे पहुंचे कीमत लाखों रुपये प्रतिकिलो हो जाती है। इजरायलियों के लिए काला सोना कमाई का धंधा बन गया है। एक साल में करीब 2301 इजरायली नागरिकों ने कुल्लू प्रशासन के पास अपना पंजीकरण करवाया है।
नशीले पदार्थों का कारोबार करने वालों पर पुलिस कार्रवाई कर रही है। इसी कड़ी में बड़ी मछलियां पिछले कुछ दिन में पकड़ी गई हैं। इनमें इजरायली नागरिक भी शामिल हैं।
-गौरव सिंह, पुलिस अधीक्षक मंडी।