गांवों में दौड़ते जुगाड़ू वाहन
संवाद सहयोगी कुल्लू फिटनेस जांचने के बाद ही वाहनों को सड़क पर दौड़ने की अनुमति दी ज
संवाद सहयोगी, कुल्लू : फिटनेस जांचने के बाद ही वाहनों को सड़क पर दौड़ने की अनुमति दी जाती है। वाहन निरीक्षक (एमवीआइ) वाहनों की फिटनेस की जांच करता है। इसके बाद इन्हें फिटनेस प्रमाणपत्र दिया जाता है। इसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में जुगाड़ू वाहन दौड़ते हैं।
जिला कुल्लू में एक अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 तक जिला कुल्लू में 67 कंडम घोषित कर दिया गया है। इनमें 26 थ्री व्हीलर, 16 मालवाहक, 15 मोटर कैव, मिनी बस व अन्य वाहन शामिल हैं। इन वाहन मालिकों को प्रमाणपत्र विभाग को देना होता है जहां इनको बेचा गया है। इसके बावजूद कबाड़ी आगे इन वाहनों के हिस्सों को बेच देते हैं और इसके बाद नया वाहन तैयार कर दिया जाता है।
जिला परिवहन कार्यालय के आंकड़े बताते हैं कि यहां व्यावसायिक तथा निजी वाहनों की फिटनेस जांच निर्धारित अवधि के अंदर होती है। इस कार्य के लिए क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) और एमवीआइ वाहनों की जांच करते है। वाहनों की जांच के बाद भी फिटनेस प्रमाण पत्र दिए जाते हैं, लेकिन धरातल पर स्थिति कुछ और है। इसके बाद भी ऐसी कई वाहन मिल जाते हैं जो फिटनेस के मानक पर खरा नहीं उतरते हैं। कुल्लू शहर में ऐसी कई मोटरसाइकिल दौड़ती हैं जिनमें से तेज आवाज के साथ काला धुआं निकलता है।
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परिचालन बंद करने का है नियम
परिवहन विभाग की मानें तो फिटनेस के मानक पर खरा उतरने में विफल वाहनों का परिचालन रोक देने का प्रावधान है। इसके लिए तकनीकी करने के लिए एमवीआइ नियुक्त होता है। जो इन वाहनों की सभी प्रकार की जांच समय समय पर करता है। इसमें खामियां पाए जाने पर इन्हें चलाने की अनुमति नहीं दी जाती है।
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पासिंग के समय इन चीजों की होती है जांच
नए मालवाहक व सवारी वाहन की फिटनेस जांच दो साल बाद होती है। पुराने वाहनों के लिए हर साल फिटनेस प्रमाणपत्र लेना होता है। ब्रेक व इंजन आदि की जांच, गाड़ी का टोकन टैक्स, इंश्योरेंस, प्रदूषण जांच रिपोर्ट। पिछले साल का फिटनेस प्रमाणपत्र भी जांचा जाता है।
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वाहनों का फिटनेस प्रमाण पत्र देने से पहले मानकों की परख की जाती है। अगर फिटनेस जांच में कोई भी वाहन असफल होता है तो नियमों के अनुसार उसके परिचालन पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। जिला कुल्लू में एक वर्ष में 67 वाहनों को कंडम घोषित किया गया है।
-सलीम आजम, आरटीओ कुल्लू।