Gupt Navratri: ज्वालामुखी मंदिर में 100 पुजारी विश्व कल्याण के लिए करेंगे जप-तप, जानिए मान्यता
Gupt Navratri 2021 शक्तिपीठ जवालामुखी में शुक्रवार से गुप्त नवरात्र का विशेष आयोजन शुरू होगा। नौ दिन तक चलने वाले इन नवरात्र में पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है जबकि इसी तरह आगामी दिनों में मां ब्रह्मचारिणी चंद्रघंटा कुष्मांडा स्कंदमाता कात्यानी कालरात्रि महागौरी सिद्धिरात्रि पूजा है।
ज्वालामुखी, प्रवीण कुमार शर्मा। Gupt Navratri 2021, शक्तिपीठ जवालामुखी में शुक्रवार से गुप्त नवरात्र का विशेष आयोजन शुरू होगा। नौ दिन तक चलने वाले इन नवरात्र में पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है, जबकि इसी तरह आगामी दिनों में मां ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यानी, कालरात्रि, महागौरी तथा अंतिम दिन सिद्धिरात्रि की पूजा की जाती है। ज्वालामुखी माता की हजारों साल से पीढ़ी दर पीढ़ी पूजा अर्चना करने वाले पुजारी वर्ग के अनुसार साल में दो बार आयोजित होने वाले गुप्त नवरात्र का विशेष महत्व रहता है। इन दिनों में की गई मां की अराधना का लाखों गुणा अधिक फल मिलता है।
फरवरी तथा जून महीने में होने वाले गुप्त नवरात्र इसलिए भी विशेष हैं, क्योंकि दोनों में मां का प्राकट्य उत्सव मनाया जाता है। इन नवरात्र के बाद कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन ज्वालामुखी माता के मूर्ति रूप का प्रकटोत्सव मनाया जाता है, जबकि जून महीने में मनाए जाने वाले गुप्त नवरात्र में शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन माता के ज्योति रूप का जन्मदिन मनाया जाता है। मां के जन्मोत्सव से पहले किए जाने वाले अनुष्ठान में विश्व कल्याण के संकल्प के साथ गणपति, गायत्री व माता ज्वालामुखी के मूल मंत्र सहित सप्तचंडी पाठ, चौसंठ योगनी पूजन, नित्य षोडशोपचार पूजन किया जाता है। ज्वालामुखी माता के 100 के करीब ब्राह्मण शुक्रवार से ही गुप्त नवरात्र के उपलक्ष्य में विशेष पूजा के लिए बैठेंगे।
कब कब मनाए जाते हैं नवरात्र
श्रीज्वालामुखी मंदिर में मार्च अप्रैल में चैत्र नवरात्र का आयोजन होता है। जुलाई अगस्त में श्रावण अष्टमी मेले, जबकि अश्वनी नवरात्र सितंबर अक्टूबर में मनाए जाते हैं। गुप्त नवरात्र फरवरी व जून में मनाए जाते हैं। इन नवरात्रों में माता के गर्व गृह में विद्यमान सात पवित्र ज्योतियों जिनमें ज्वाला महाकाली, चंडी, बिंदयवासिन, हिंगलाज, अन्नपूर्णा, महालक्ष्मी, महासरस्वती की विशेष पूजा होती है। ज्वालामुखी माता मंदिर अकेला ऐसा मंदिर है जहां सात माता पवित्र ज्योतियों के रूप में साक्षात दर्शन देती हैं। गुप्त नवरात्र पूजा पाठ, जप तप के लिए सर्वोत्तम माने जाते हैं। इन नवरात्र में साधक तांत्रिक यज्ञ अनुष्ठान करके माता को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।
नवरात्र में विशेष पूजा पर अभी भी गर्व गृह में नहीं जा पाएंगे श्रद्धालु
गुप्त नवरात्र के अवसर पर मंदिर में पूजा पाठ के विशेष आयोजन होंगे, लेकिन कोरोना महामारी के कारण सरकार द्वारा जारी एसओपी के तहत ही दर्शनों की सुविधा रहेगी। कोई भी श्रद्धालु माता के गर्व गृह जहां माता की ज्योतियां विद्यमान हैं वहां तक नहीं पहुंच पाएगा।
हर दिन होंगी पांच आरतियां
आम तौर पर मंदिरों में दो या तीन आरतियां होती हैं, लेकिन हजारों साल पुरानी परंपरा के तहत ज्वालामुखी मंदिर में हर दिन आयोजित होने वाली पांच आरतियां नवरात्रों में भी समयानुसार होंगी। यहां बता दें कि मंदिर में मंगल आरती, प्रातःकालीन आरती के बाद दोपहर को भोग आरती, संध्या कालीन आरती व रात को शयन आरती का आयोजन होता है। शयन आरती में मां के विश्राम के लिए बिस्तर सजाया जाता है अतः मां को सुलाया जाता है।
नियमों के तहत ही होगा नवरात्र आयोजन
मंदिर अधिकारी जगदीश शर्मा ने बताया सरकार द्वारा जारी एसओपी के तहत ही नवरात्र पर आयोजन होगा। अभी मंदिर के गर्वगृह तक श्रद्धालुओं के जाने पर प्रतिबंध है, जो जारी रहेगा। कोई भी भोग प्रसाद पवित्र ज्योतियों पर नहीं चढ़ेगा। किसी तरह के लंगर अथवा भंडारे का मंदिर परिसर या बाहर आयोजन नहीं होगा। पूरी सतर्कता के साथ सरकार द्वारा जारी नियमों का पालन करते हुए इस धार्मिक आयोजन को मनाया जाएगा।
अब गर्व गृह तक जाने की अनुमति मिले
मंदिर के मुख्य पुजारी प्रशांत शर्मा ने जिला प्रशासन से मांग उठाई है कि गर्व गृह में दर्शनों की अनुमति न मिलने से श्रद्धालुओं की आवक में भी बहुत कमी आई है। अब यह रोक हटाने का समय है। जरूरी है कि श्रद्धालुओं सहित पुजारी वर्ग को माता के गर्व गृह तक जाने की अनुमति मिले। अब स्कूल, कॉलेज, मॉल, सिनेमा हॉल सब खुले हैं। प्रदेश के कई मंदिरों में गर्व गृह खुल चुके हैं। ऐसे में ज्वालामुखी मंदिर में जारी जरूरत से अधिक सख्ती का कोई औचित्य नहीं बचा है।
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