अब जंगल नहीं जलाएंगी चीड़ की पत्तिया, देंगी रोजगार

हिमाचल में चीड़ की पत्तियों पर आधारित उद्योग लगाकर युवा स्वरोजगार अपना सकते हैं। इसके लिए उन्हें 50 फीसद सबसिडी भी मिलेगी।

By Edited By: Publish:Sat, 01 Sep 2018 06:00 AM (IST) Updated:Sat, 01 Sep 2018 12:47 PM (IST)
अब जंगल नहीं जलाएंगी चीड़ की पत्तिया, देंगी रोजगार
अब जंगल नहीं जलाएंगी चीड़ की पत्तिया, देंगी रोजगार

धर्मशाला, जेएनएन। वनों में आग से अमूल्य संपदा के खाक व जीव जंतुओं के प्रभावित होने की वजह बनने वाली चीड़ की पत्तियां अब युवाओं को रोजगार देंगी। चीड़ की पत्तियों पर आधारित उद्योग लगाकर युवा स्वरोजगार अपना सकते हैं। इसके लिए उन्हें 50 फीसद सबसिडी भी दी जाएगी। पांच लाख रुपये तक की सबसिडी वाले मामलों में अरण्यपाल ही मंजूरी दे सकते हैं। इससे ऊपर की राशि वाले मामलों में प्रधान मुख्य अरण्यपाल को स्वीकृति की शक्तियां रहेंगी। चीड़ की पत्तियों पर आधारित उद्योग लगाने के लिए वनमंडलाधिकारी (डीएफओ) कार्यालय में आवेदन करना होगा।

चीड़ की पत्तियों से ईधन के लिए ईटें बनाने की योजना है। योजना के तहत लाभार्थी को उद्योग लगाने के लिए मिलने वाली 50 फीसद सबसिडी तीन चरणों में दी जाएगी। इसमें 25 फीसद सबसिडी उद्योग लगाने के लिए मशीनरी की खरीदारी व भवन निर्माण पर, दूसरी बार 50 फीसद सबसिडी उत्पादन शुरू होने जबकि अंतिम सबसिडी 25 फीसद तब जब तीन माह सफलतापूर्वक उद्योग संचालित करने पर। यदि लाभार्थी सबसिडी लेकर उद्योग नहीं चलाता है तो डीएफओ रिकवरी प्रक्रिया पूरी करेंगे।

आवेदक चुनिंदा क्षेत्र की कर सकता है मांग चीड़ की पत्तियों के लिए आवेदक चुनिंदा जंगल अलॉट किए जाने की भी मांग कर सकता है। इससे क्षेत्र के लोगों को भी रोजगार मिलेगा और वह बिना रायल्टी के चीड़ की पत्तियां व लैंटाना एकत्र कर उद्योग लगाने वाले को बेच पाएंगे।

नहीं ली जाएगी रायल्टी

चीड़ की पत्तियां एकत्र करने वाले को रायल्टी नहीं देनी होगी। इससे पहले पांच फीसद रायल्टी का प्रावधान चीड़ की पत्तियां एकत्र करने पर था। 

यह होगा प्रयोग

चीड़ की पत्तियों से ईटें तैयार की जाएंगी। इन्हें कोयले की तरह इस्तेमाल किया जा सकेगा। उद्योगों को इन ईटों को ईधन के लिए सप्लाई किया जाएगा।

योजना का लाभ लेने के लिए इच्छुक आवेदक को डीएफओ कार्यालय में आवेदन करना होगा। इसके बाद उन्हें सबसिडी का लाभ मिलेगा। इस योजना से फायर सीजन के दौरान वन कर्मियों को भी राहत मिलेगी। सूखी पत्तियों से ईधन के लिए ईटें बनाई जाएंगी जिन्हें अन्य उद्योगों को भेजा जा पाएगा।

-प्रदीप भारद्वाज, डीएफओ वनमंडल धर्मशाला।

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