लो जी! अब प्लास्टिक कचरा करेगा मालामाल

आगामी दिनों में मनरेगा के तहत जो भी निर्माण कार्य होंगे, उनमें ईटों की जगह इन बोतलों का प्रयोग किया जाएगा।

By Edited By: Publish:Wed, 06 Jun 2018 06:45 AM (IST) Updated:Wed, 06 Jun 2018 11:32 AM (IST)
लो जी! अब प्लास्टिक कचरा करेगा मालामाल
लो जी! अब प्लास्टिक कचरा करेगा मालामाल

बैजनाथ, मुकेश मेहरा। बीड़ क्षेत्र को कचरामुक्त बनाने के लिए देखा गया अमेरिकी नागरिक डॉ. स्पैरो लैचर्ड का सपना अब साकार होता दिख रहा है। बोतलों में कचरा भरकर उसे निर्माण कार्य के लिए इस्तेमाल करने की ईको ब्रिक विधि को बैजनाथ प्रशासन ने अपना लिया है। प्रदेश में पहली बार सरकारी स्तर पर प्लास्टिक कचरे से निपटने के लिए इस तरह की मुहिम को अंजाम दिया जा रहा है। इसके लिए बाकायदा बैजनाथ प्रशासन प्लास्टिक कचरे की बोतलों को खरीदेगा और इसकी 10 से लेकर दो रुपये तक कीमत भी अदा की जाएगी यानी प्लास्टिक कचरा अब मालामाल करेगा।

विश्व पर्यावरण दिवस पर बैजनाथ प्रशासन ने उपमंडल को प्लास्टिकमुक्त बनाने की मुहिम के तहत ईको ब्रिक विधि पर काम करना शुरू कर दिया है। इसके तहत बैजनाथ में मंगलवार को उपमंडल के पंचायत प्रतिनिधियों को ईको ब्रिक विधि की जानकारी दी गई। यही नहीं बैजनाथ प्रशासन ने बाकायदा एक पॉलिसी भी तैयार की है। इसके तहत जो भी प्लास्टिक बोतलों को ईको ब्रिक विधिसे भरकर लाएगा उससे इन्हें खरीदा जाएगा।

दो लीटर की बोतल के 10 रुपये, एक लीटर की बोतल के पांच रुपये, आधा लीटर के तीन रुपये और 200 एमएल की बोतलों के दो रुपये दिए जाएंगे। यह राशि स्पेशल एरिया डवलपमेंट अथॉरिटी (साडा) फंड की ओर से दी जाएगी। शुरू में जो भी बोतलें इकट्ठी होंगी, उन्हें बीड़ बि¨लग की पैराग्लाइडिंग साइट में प्रशासन की ओर से प्रपोज की गई ड्रैनेज के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। यह मुहिम बीड़ सहित बैजनाथ उपमंडल को भी कचरामुक्त बनाने में अहम भूमिका अदा करेगी। इसके लिए बैजनाथ में लोगों व पंचायत प्रतिनिधियों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी।

मनरेगा कार्यो में इस्तेमाल होंगी बोतलें प्रशासन ने यह भी तय किया है कि आगामी दिनों में मनरेगा के तहत जो भी निर्माण कार्य होंगे, उनमें ईटों की जगह इन बोतलों का प्रयोग किया जाएगा। यही नहीं नगर पंचायत के पार्को के निर्माण में भी इनका इस्तेमाल करने की योजना है। इसके अलावा दुकानदारों के लिए भी जरूरी किया जाएगा कि वे सूखा व गीला कचरा अलग रखें तथा कचरे को खुले में न फेंक कर बोतलों में भरें।

 

बीड़ में हुआ था सबसे पहले प्रयोग अमेरिकी डॉ. स्पैरो लैचर्ड ने सबसे पहले बीड़ के लोगों के सहयोग से कचरे को प्लास्टिक बोतलों में भरकर निर्माण कार्य में इनका इस्तेमाल किया था। हालांकि डॉ. स्पैरो अमेरिका लौट गए हैं और इस प्रोजेक्ट को अब स्थानीय लोगों ने संभाला है।

'ईको ब्रिक विधि के तहत बोतलों में कचरा भरने का काम प्रशासन शुरू करेगा। पंचायत प्रतिनिधियों सहित आम लोग भी इस तकनीक से बोतलों में प्लास्टिक कचरा भरकर प्रशासन को देंगे। प्रशासन बोतल के साइज अनुसार 10 से दो रुपये तक इन्हें खरीदेगा। आगामी दिनों में इसके लिए ट्रे¨नग भी दी जाएगी और सारा पैसा साडा के तहत खर्च किया जाएगा।'

-विकास शुक्ला, एसडीएम बैजनाथ

बेहतरीन पहल 

इसके बाद उन्होंने कचरे को एकत्रित कर बोतलों में भरा। चौथे चरण में इन बोतलों का इस्तेमाल निर्माण कार्यों में प्लास्टिक ईंटों की तरह किया जा रहा है। अब डॉ. स्पीरो अमेरिका लौट चुके हैं लेकिन उनकी टीम इस कार्य को अंजाम दे रही है। इसके तहत अब गुनेहड़, बीड़, क्योर व चौगान में कचरा कलेक्शन सेंटर खोले गए हैं। टीम सदस्य प्लास्टिक कचरे से भरी बोतलों का प्रयोग घरों की दीवारों को बनाने में करेंगे। इससे जहां प्लास्टिक कचरे को ठिकाने लगाया जा सकेगा वहीं पर्यावरण को होने वाले नुकसान को भी बचाया जा सकेगा। बिलिंग वैली एयरो स्पोट्र्स सोसायटी के अध्यक्ष सतीश अबरोल भी डॉ. स्पीरो की टीम के काम को बेहतरीन पहल करार दे रहे हैं।

क्यों खतरनाक है प्लास्टिक

एक अध्ययन के अनुसार, प्लास्टिक की मोटाई के अनुसार इसे टूटने में 300 से 10 हजार साल लग सकते हैं। यह जमीन और पानी में मौजूद रहता है और छोटे- छोटे टुकड़ों में टूटता है। ये टुकड़े पौधों और पानी के जीवों के लिए भी नुकसानदायक होते हैं। प्लास्टिक जन्मदोष, हार्मोन असंतुलन और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनता है। इसे जलाने से डाइऑक्सीन नामक रसायन बनता है और यह ओजोन परत को नुकसान पहुंचाता है।

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