Akshaya Tritiya 2020: लॉकडाउन के बीच अक्षय तृतीया, जानिए इस बार सर्वसिद्ध मुहूर्त में क्या होगा खास
Akshaya Tritiya 26 अप्रैल को अक्षय तृतीया है। इस बार लॉकडाउन में अक्षय तृतीया मनाई जाएगी। वहीं अक्षय तृतीया के लिए ज्वैलर्स के पास एडवांस बुकिंग हो रही।
पानीपत, जेएनएन। बैशाख महीने की शुक्ल पक्ष तृतीया को अक्षय तृतीया मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन सर्वसिद्ध मुहूर्त होने से इसका विशेष महत्व है। पंचांग में बिना समय देखे ही इस दिन कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। किसी विशेष मुहूर्त की जरूरत नहीं होती है। मांगलिक कार्य जैसे मुंडन, विवाह, वस्त्र व आभूषणों की खरीदारी, घर, भूखंड और वाहन खरीद से संबंधित कार्य किए जा सकते हैं। गृह प्रवेश के लिए यह दिन अति उत्तम है। पुराणों में वर्णित है कि पितरों के निमित्त किया गया दान पुण्य भी अक्षय फल प्रदान करता है।
सोना खरीदना है शुभ
सोना खरीदना इस दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। सोने की खरीदारी बाहर जाकर संभव नहीं होगी। फोन के माध्यम से प्री बुकिंग कर सकते हैं।
दान से अक्षय फल
अक्षय तृतीया के बारे में कहा जाता है कि इस दिन केवल खरीदना ही नहीं, दान करना भी अक्षय फल देने वाला होता है। आप जरूरतमंद लोगों के लिए अपनी तरफ से समाजसेवी संगठनों, प्रशासन के माध्यम से मदद पहुंचा सकते हैं। कुछ लोग इस दिन व्रत रख कर लक्ष्मी माता की पूजा करते हैं। इस दिन मखाने की खीर बना कर मां लक्ष्मी को भोग लगाया जाता है। अक्षय तृतीया पर अन्नदान करने का बहुत महत्व है। इस दिन किए गए दान का पुण्य कभी समाप्त नहीं होता है। जरूरतमंद व्यक्ति को अनाज दान में जरूर दें।
पौराणिक ये मान्यताएं
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का जन्म भी इसी तृतीया को हुआ था। परशुराम जयंती भी इसी दिन मनाई जाती है। सतयुग की समाप्ति के बाद त्रेता युग का आरंभ हुआ। परशुराम के अलावा इस दिन ही भगवान विष्णु के नर नारायण अवतार भी अवतरित हुए थे। सुदामा ने भी चावल अक्षय तृतीया के दिन ही प्राप्त किए। इन्हीं चावलों से उनकी गरीबी सदा के लिए दूर हो गई।
घड़ा दान करें
जलपात्र का दान इस दिन करना चाहिए। शास्त्रों में इसे महत्वपूर्ण बताया गया है। मिट्टी से बने घड़े दान करें। घड़े का शीतल जल आपको पुण्य का भागीदार बनाएगा।
ये भी जानें
कलि कर एक पुनीत प्रतापा। मानस पुण्य होंह नहि पापा।
रामचरित मानस के उत्तरकांड का यह 103वां दोहे का अर्थ है- कलयुग का पवित्र प्रताप भी है। मन से जो भी पुण्य काम करेंगे, उसका फल मिल जाएगा। मानसिक पापों का कोई शुभ फल नहीं होता।
अक्षय तृतीय के दिन, यानी 26 अप्रैल को रविवार को हम लॉकडाउन होते हुए भी शुभ संकल्प कर सकते हैं। इन संकल्प को जाहिर करते हुए घर के लिए कोई भी खरीदारी अगर वचन देकर भी करते हैं, योग्य समय आने पर हासिल करते हैं, तब भी अक्षय तृतीया जितना ही फल मिलेगा। देवी मंदिर के आचार्य लालमणि पांडेय का कहना है, रामचरित मानस में इसका उल्लेख है। हम जो अच्छा निश्चय करते हैं, उसका परिणाम पुण्य ही आता है। उधर, शहर के ज्वेलर्स ने भी अक्षय तृतीया के दिन के लिए वायदा किया है कि वे बुङ्क्षकग के बाद लॉकडाउन खुलते ही डिलीवरी करेंगे। कई ऑफर भी दिए जा रहे हैं।
अक्षय तृतीया से त्रेतायुग का शुभारंभ हुआ था। तप, ध्यान, यज्ञ व ब्राह्मण पूजन अनंत गुना फल देने वाला है। त्रेतायुग में भगवान राम अवतरित हुए। पूरे दिन दान, पुण्य व धार्मिक कार्य के लिए शुभ है। रविवार को तृतीया तिथि दोपहर 1.23 बजे तक है। इस समय तक किया गया कोई भी कार्य शुभ फल देने वाला होगा।
आचार्य लालमणि पांडेय, देवी मंदिर, पानीपत
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