उत्‍तराखंड चुनाव: केसरिया ब्रिगेड ने लगाई जीत पर मुहर

उत्‍तराखंड विधानसभा चुनाव में पार्टी नेताओं की भूमिका की बात करें तो भाजपा की जीत में इनकी अहम भूमिका रही। मोदी समेत तमाम केंद्रीय नेताओं की मौजूदगी का फायदा भाजपा को मिला।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Sun, 12 Mar 2017 10:38 AM (IST) Updated:Sun, 12 Mar 2017 10:40 AM (IST)
उत्‍तराखंड चुनाव: केसरिया ब्रिगेड ने लगाई जीत पर मुहर
उत्‍तराखंड चुनाव: केसरिया ब्रिगेड ने लगाई जीत पर मुहर
देहरादून, [अनिल उपाध्याय]: उत्तराखंड की जनता ने बदलाव पर मुहर लगा दी है। भाजपा को एकतरफा जीत का तोहफा मिला है। विधानसभा चुनाव में पार्टी नेताओं की भूमिका की बात करें तो भाजपा की जीत में इनकी अहम भूमिका रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम केंद्रीय नेताओं की मौजूदगी का फायदा भाजपा को मिला। वही, कांग्रेस शुरू से ही स्टार प्रचारकों और स्थानीय स्तर के नेताओं की कमी से जूझ रही थी। इसका असर परिणाम में भी देखने को मिला।
उत्तराखंड में 2017 का विधानसभा चुनाव मुद्दाविहीन नजर आ रहा था। दोनों प्रमुख दल घोषणा पत्रों में भी बहुत बड़े मुद्दों को नहीं उठा पाए थे। पूरा चुनाव व्यक्तिगत आक्षेपों और चेहरों के बूते लड़ा जा रहा था। ऐसे में पार्टी नेताओं की भूमिका माहौल बनाने में अहम साबित हुई। भाजपा ने मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा और उनके साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, प्रदेश चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा व धर्मेंद्र प्रधान, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू समेत केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, मनोहर पर्रीकर, स्मृति ईरानी, वीके सिंह आदि ने राज्य में प्रचार किया और माहौल बदलने में अहम भूमिका निभाई। 
इसके साथ ही भाजपा ने सीटवार जन घनत्व के अनुसार केंद्रीय नेताओं और सांसदों को प्रचार के लिए उतारा। इससे तमाम सामाजिक समीकरण प्रभावित हुए और इसी का नतीजा है कि भाजपा ने एकतरफा जीत दर्ज की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां भ्रष्टाचार, नोटबंदी और वन रैंक वन पेंशन को केंद्र में रख जनभावनाओं को अपनी ओर खींचा, वहीं स्थानीय नेताओं ने स्थानीय मुद्दों के दम पर लोगों को साथ खड़ा किया। इसमें सांसदों और विधायकों समेत संगठन के चेहरों ने अहम भूमिका निभाई।
उधर, कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस ने नोटबंदी को मुद्दा बनाने की कोशिश की, लेकिन असफल रही। चेहरों के नाम पर  कांग्रेस के पास केवल मुख्यमंत्री हरीश रावत थे। उनके साथ संगठन की तनातनी भी इस हार का बड़ा कारण बनी। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के फटी जेब प्रकरण के बाद तमाम प्रत्याशी उन्हें अपने क्षेत्रों में बुलाने से कतराते दिखे। 
कुल मिलाकर कांग्रेस के पास न केंद्रीय स्टार प्रचारक थे और न ही स्थानीय स्तर पर ही वे ऐसे चेहरे लेकर जनता के बीच जा सके, जो जनभावनाओं को समझ पाते। नजीता सामने है कि कांग्रेस को अपने दिग्गजों को जिताने में भी पसीने छूट गए। खुद मुख्यमंत्री अपनी दोनों सीटें और प्रदेश अध्यक्ष अपनी सीट नहीं बचा पाए। इस मुद्दाविहीन चुनाव में चेहरे हावी रहे और जीते भी। भाजपा की यह बड़ी जीत तो कम से कम यही साबित करती है। यह भी पढ़े: उत्तराखंड में डबल इंजन के आगे कांग्रेस फेल
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