कलबुर्गी: मल्लिकार्जुन खड़गे की राह का रोड़ा बना उनका ही चेला, भाजपा ने मैदान में उतारा

पिछले वर्ष हुए कर्नाटक चुनाव के बाद बाजी ऐसी पलटी कि कभी खड़गे द्वारा ही राजनीति में लाए गए दो बार के कांग्रेस विधायक उमेश जाधव को भाजपा ने फोड़कर उनके विरुद्ध उम्मीदवार दे दी है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Fri, 19 Apr 2019 09:55 AM (IST) Updated:Sat, 20 Apr 2019 08:33 AM (IST)
कलबुर्गी: मल्लिकार्जुन खड़गे की राह का रोड़ा बना उनका ही चेला, भाजपा ने मैदान में उतारा
कलबुर्गी: मल्लिकार्जुन खड़गे की राह का रोड़ा बना उनका ही चेला, भाजपा ने मैदान में उतारा

ओमप्रकाश तिवारी, कलबुर्गी। सोलहवीं लोकसभा में सदन में कांग्रेस के नेता रहे मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए इस बार स्थिति सहज नहीं है। उनके विरुद्ध उनके ही द्वारा राजनीति में लाए गए बंजारा समाज के एक नेता ने भाजपा के टिकट पर ताल ठोंक दी है। कुछ जातीय गणित और कुछ भाजपा की मजबूत घेरेबंदी के

कारण गुलबर्गा (कर्नाटक) से अब तक कोई चुनाव न हारने वाले खड़गे इस बार फंसे-फंसे से दिखाई दे रहे हैं।

कर्नाटक और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित कलबुर्गी (पूर्व नाम गुलबर्गा) लोकसभा सीट कांग्रेस का मजबूत गढ़ रही है। 14 बार यहां से कांग्रेस संसद में पहुंचती रही है। सिर्फ 1996 में जनता दल के कमर-उल-इस्लाम और 1998 में भाजपा के बसवराज पाटिल सेडाम यहां से चुनाव जीत सके थे। उसके बाद से फिर कांग्रेस ही लगातार जीतती आ रही है। खड़गे भी यहां से दो बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। उससे पहले लगातार नौ बार वह कर्नाटक विधानसभा के लिए भी यहीं से चुनकर जाते रहे।

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कांग्रेस के 76 वर्षीय दिग्गज नेता अपनी लंबी राजनीतिक पारी को याद करते हुए कहते हैं कि 48 साल हो गए यहां से चुनावी राजनीति करते। उन्हें भरोसा है कि इस बार भी कलबुर्गी के लोग उनका साथ नहीं छोड़ेंगे। क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनाव में भी उन्हें 5,07,193 वोट मिले थे, और वह 74,733 मतों से भाजपा उम्मीदवार को हराकर संसद में पहुंचे थे।

विधानसभा चुनाव के बाद बदले हालात

इस बार भी उन्हें लगभग अजेय ही माना जा रहा था, लेकिन पिछले वर्ष हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद बाजी ऐसी पलटी कि कभी उनके द्वारा ही राजनीति में लाए गए दो बार के कांग्रेस विधायक डॉ. उमेश जाधव को भाजपा ने फोड़कर उनके विरुद्ध उम्मीदवारी दे दी है। खड़गे याद करते हैं कि कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री धर्मसिंह के कहने पर बंजारा समाज को प्रतिनिधित्व देने के लिए वह उमेश जाधव को राजनीति में लाए और 2013 में बीदर की चिंचोली सीट से विधानसभा का टिकट दिलवाया।

उमेश जाधव कांग्रेस के उन चार विधायकों में रहे हैं, जो पिछले वर्ष चुनकर तो कांग्रेस के टिकट पर आए, लेकिन जल्दी ही भाजपा नेता येदियुरप्पा के पाले में जा खड़े हुए। 2018 में दूसरी बार चुनकर आए उमेश जाधव की कांग्रेस से नाराजगी का कारण उन्हें नजरंदाज कर पहली बार चुनकर गए मल्लिकार्जुन खड़गे के पुत्र प्रियंक खड़गे को राज्य सरकार में मंत्री बनाया जाना था। उमेश की नाराजगी ने भाजपा को मौका दे दिया। उमेश बंजारा (लंबाणी) समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसके अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित कलबुर्गी में 1.80 लाख मतदाता हैं। करीब 2.70 लाख अन्य दलित मतदाताओं में भी जाधव के साथ जाने वालों की संख्या अधिक है। चार लाख लिंगायत मतदाताओं पर भी येदियुरप्पा का प्रभाव है। कोली, क्षत्रिय, ब्राह्मण और विश्वकर्मा आदि मतदाताओं पर भी भाजपा अपने वर्चस्व का दावा जताती है।

कलबुर्गी में बैठकर रणनीति बना रहे प्रदेश भाजपा महासचिव रवि कुमार कहते हैं कि सिर्फ जातीय गणित ही नहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में केंद्र सरकार द्वारा पिछले पांच वर्षों में किया गया काम भी लोगों को नजर आ रहा है। इसलिए इस बार भाजपा उम्मीदवार के लिए पिछली बार के 74,000 मतों का अंतर पाटना मुश्किल नहीं होगा।

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