पीपीई किट पहनकर कलाकारों ने किया रामलीला का मंचन
जागरण संवाददाता पूर्वी दिल्ली यमुनापार में रामलीला मंचन के चौथे दिन कहीं दशरथ-कैकेयी संवा
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली: यमुनापार में रामलीला मंचन के चौथे दिन कहीं दशरथ-कैकेयी संवाद हुआ तो कहीं राम के वनवास जाने को लेकर मंचन किया गया। शास्त्री पार्क में चल रही विष्णु अवतार रामलीला के मंच पर सोमवार को राजा दशरथ की सभा में पीपीई किट पहनकर कलाकारों ने मंचन किया। राजा दशरथ के दो मंत्री जनता को कोरोना से बचाव का संदेश देते हुए पीपीई किट पहनकर सभा में शामिल हुए। गौतमपुरी इलाके में नव श्री सनातन धर्म रामलीला कमेटी की ओर से राजा जनक की पुत्री सीता से विवाह करने के लिए प्रभु राम ने शिव का धनुष तोड़ा। धनुष तोड़ते ही सीता ने प्रभु के गले में वरमाला डाल दी। मंत्र उपचार के साथ सीता राम का शुभ विवाह संपन्न हुआ।
विष्णु अवतार रामलीला में दशरथ-कैकेयी और श्रीराम वनवास का मंचन देख श्रद्धालु भावुक हो गए। प्रभु राम को सबसे अधिक दुलार देने वाली कैकेयी मंथरा के षडयंत्र में फंस गई और कोप भवन में उन्होंने आभूषण उतार कर फेंक दिए। राजा दशरथ ने इसका कारण पूछा तो कैकेयी ने दशरथ को अपने दो वचनों की याद दिलाई। दशरथ ने वचन की मर्यादा रखते हुए कहा कि हम किसी भी हाल में तुम्हारे वचनों को पूरा करेंगे। कैकेयी ने पहले वचन में श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास और दूसरे में भरत को राजतिलक की मांग की। श्रीराम के वनगमन तक का मंचन देखकर दर्शक भाव विभोर हो गए। लीला के मंचन के दौरान बीच-बीच में दर्शकों को कोरोना से बचाव को लेकर जागरूक भी किया जा रहा था। इस मौके पर पूर्व विधायक इशराक खान, डॉ. यू के चौधरी, विष्णु अवतार रामलीला कमेटी के चेयरमैन हरीश चौधरी, प्रधान ठाकुर प्रेमपाल सिंह, उपप्रधान राजेश चतुर्वेदी, राम प्रसाद, राकेश पांडेय, प्रमुख संरक्षक राजमणि मिश्रा, नरेश अग्रवाल, काशी अग्रवाल, अनेश बंसल, दिवाकर पांडेय सहित अन्य सदस्य उपस्थित रहे।
वहीं नव श्री सनातन धर्म रामलीला कमेटी के मुख्य संरक्षक व पूर्वी दिल्ली शाहदरा उत्तरी जोन के चेयरमैन के के अग्रवाल ने बताया कि भगवान श्री राम और सीता का विवाह का मंचन रामलीला का सबसे महत्वपूर्ण प्रसंग होता है, क्योंकि प्रकृति के स्वामी को ज्ञात था कि जीवन में 14 वर्ष का वनवास और रावण जैसे असुर का वध सीता के हरण के बिना संभव नहीं था। अत: श्रीराम का विवाह मुख्य रूप से एक बडे़ संघर्ष से पूर्व का प्रसंग है। रामलीला मंचन के दौरान कलाकारों ने कोरोना महामारी के चलते शारीरिक दूरी को ध्यान में रखते हुए सीता-राम विवाह के साथ परशुराम-लक्ष्मण संवाद का मंचन किया।