चुनावी चौपाल : स्थानीय प्रत्याशी की नहीं... बल्कि PM कौन बनेंगे इस पर होती है चर्चा

चौपाल पर बैठी महिलाएं कह रहीं थी इस बार प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को देखकर ही मत देंगे। विकास के लिए मतदान करेंगे जातिवाद ने जहर घोल दिया है। इस बीच किसी ने विरोध करते हुए कहा

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Wed, 10 Apr 2019 04:05 PM (IST) Updated:Wed, 10 Apr 2019 04:05 PM (IST)
चुनावी चौपाल : स्थानीय प्रत्याशी की नहीं... बल्कि PM कौन बनेंगे इस पर होती है चर्चा
चुनावी चौपाल : स्थानीय प्रत्याशी की नहीं... बल्कि PM कौन बनेंगे इस पर होती है चर्चा

भागलपुर [ललन तिवारी]। शहर से लेकर गांव तक के गली-मुहल्लों में लोकसभा चुनाव की ही चर्चा होने लगी है। नाथनगर विधानसभा क्षेत्र के सबौर प्रखंड के राजपुर के बगीचा में महिलाओं की चौपाल लगी थी। चौपाल पर बैठी महिलाएं कह रहीं थी इस बार प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को देखकर ही मत देंगे। विकास के लिए मतदान करेंगे, जातिवाद ने जहर घोल दिया है। महिलाओं के बीच हो रही बातें और मुद्दे तो अलग-अलग थे, लेकिन मंशा यही थी कि जाति धर्म से ऊपर उठकर विकास के लिए मतदान करेंगे।

चुनाव पर बात शुरू हुई तो महिलाओं ने दो टूक कहा- बड़े चुनाव में सिर्फ प्रधानमंत्री का चेहरा देखकर ही वोट दूंगी। यह बात अलग है कि प्रदेश का चुनाव होगा तो प्रत्याशियों के बारे में जरूर सोचा जाएगा। बीबी जमीला बोली, हमारी जो समस्याएं हैं वो यहां के अफसरों को दूर करनी चाहिए। सड़क, बिजली, पानी, आवास, शौचालय, शिक्षा, स्वास्थ्य सभी के लिए सुलभ उपलब्ध हो। कईयों ने आवास मांगा तो जनप्रतिनिधियों ने कह दिया अब आवास आते ही नहीं। बच्चों के बीच रोजगार का संकट है। मगर वे राजनीतिक नजरिये से किसी की शिकायत करती नहीं दिखी।

बीबी शाहजहां इस बात से नाराज थी कि गांवों में सबसे बड़ी समस्या पशुओं की है जोकि फसल चर जाते हैं। क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या रोजगार की है। करीब दस हजार से अधिक की आबादी वाले गांव में इंटर कॉलेज तक नहीं है। संगीता देवी को क्षेत्र के नेताओं से टीस है, मगर बड़े नेताओं से शिकवा नहीं है। गुडिय़ा देवी मानती हैं कि चुनाव दिलचस्प है। ध्रुवीकरण की बात को वह स्वीकारती हैं। वहां रहने वाले सकुंतला देवी बताती हैं कि अभी तक कोई नेता वोट मांगने नहीं आया मगर लोगों की पसंद का नेता तय है। यह भी कहती हैं कि हां, यदि कोई नेता प्रभावित कर गया तो समीकरण बदल भी सकता है।

लक्ष्मी देवी कहती हैं कि लोकसभा चुनाव राष्ट्रीय महापर्व के समान है। इसमें सभी की हिस्सेदारी अनिवार्य है। हम भी वोट देकर जिम्मेदारी निभाएंगे, लेकिन सांसद और सरकार के चयन में हमारी भी कुछ उम्मीदें हैं। रूबी देवी कहती हैं कि हमारी भी कुछ मांगें हैं जिनको पूरा किया जाना चाहिए। हम उसे ही चुनेंगे जो हमारी बात को सुने, समस्याओं के निस्तारण के लिए कार्य करे और गांव शहर को आगे बढ़ाने में सहयोग करे। पार्टियां अपनी ओर से तमाम घोषणाएं करती हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि वह पूरी हों। सभी दलों के लिए राष्ट्र सर्वोपरि होना चाहिए। चर्चा में समीमा खातुन, बीबी सबीना आदि ने हिस्सा लिया।

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