Move to Jagran APP

Patna News : पटना के इन बड़े अस्‍तपालों का हाल देख थर्रा जाएंगे आप, मरीजों की सुरक्षा पर उठ रहे कई सवाल

Patna News पटना के निजी या सरकारी अस्‍पतालों में अग्नि सुरक्षा उपायों का हाल देखकर डर लगना लाजिमी है। आपदा की स्थिति से निपटने के लिए यहां पर्याप्‍त व्‍यवस्‍थाएं नहीं हैं। प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में तो हर वर्ष अगलगी की दो-चार घटनाएं होती ही हैं। बावजूद इसके यहां जहां-तहां तार झूलते मिल जाएंगे। ऐसे में अस्‍पतालों में मरीजों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल उठता है।

By Pawan Mishra Edited By: Arijita Sen Published: Mon, 29 Apr 2024 01:25 PM (IST)Updated: Mon, 29 Apr 2024 01:25 PM (IST)
पीएमसीएच के हथुआ वार्ड में तारों का जाल।

पवन कुमार मिश्रा, पटना। राजधानी पटना, प्रदेश का मेडिकल हब है। प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों, झारखंड, असम, नेपाल तक से बड़ी संख्या में मरीज इलाज कराने आते हैं। यहां पांच हजार से अधिक अस्पताल हैं। सरकारी हो या निजी अस्पताल में अग्नि सुरक्षा उपायों का हाल ऐसा है कि आग लगने पर भवन के साथ मरीजों व चिकित्साकर्मियों तक का बचना मुश्किल है।

loksabha election banner

पीएमसीएच में हर साल अगलगी की दो-चार घटनाएं

निजी ही नहीं, सरकारी अस्पतालों का भी कमोवेश यही हाल है। कारण, मरीजों की जान बचाने के लिए अपने सर्वोत्तम प्रयास करने वाले डाक्टर-चिकित्साकर्मी आग लगने पर उसे बुझाने के शत-प्रतिशत मानक पूरे नहीं करते हैं। प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में तो हर वर्ष अगलगी की दो-चार घटनाएं होती ही हैं।

जिला अस्पतालों का हाल भी कमोवेश ऐसा ही है। 21 अप्रैल 2020 को पीएमसीएच की इमरजेंसी व 21 दिसंबर 2020 को हथुआ वार्ड में भीषण आग लगने के बाद 2021 में राज्य आपदा प्रबंध प्राधिकरण ने अस्पतालों के फायर सेफ्टी ऑडिट के निर्देश दिए थे।

रिपोर्ट आने के बाद 2023 में शहरी बड़े अस्पतालों में फायर सब स्टेशन बनाने के साथ कई निर्देश दिए गए थे। हालांकि, धरातल पर वे बेअसर ही दिखते हैं।

बड़े अस्‍पतालों में जहां-तहां झूल रहे तार

अस्पतालों में आग लगने का सबसे बड़ा कारण शाॅर्ट सर्किट है। 85 प्रतिशत मामलों में अगलगी शार्ट सर्किट से ही होती है। बावजूद इसके पटना मेडिकल कालेज सह अस्पताल (पीएमसीएच) से लेकर तमाम पुराने भवनों में चल रहे सरकारी अस्पतालों में जहां-तहां तार झूलते हुए मिल जाएंगे।

यही नहीं जिस प्रकार से चिकित्सकीय उपकरण और एसी की संख्या बढ़ती जा रही है वह तारों की क्षमता से बहुत अधिक है। यही नहीं बिजली की वायरिंग मानकों के अनुरूप नहीं है। कहीं-कहीं तो सीधे तार खींच कर कनेक्शन किया गया है, जो अत्य​धिक घातक है।

फायर अलार्म तक की नहीं है सुविधा

सरकारी अस्पतालों में स्मोक अलार्म तो दूर फायर अलार्म भी नहीं है। फायर इस्टींग्युसर सिलेंडर तो दिख जाएंगे पर उनकी सक्रियता की न तो जांच होती है और न ही कर्मियों को उसे चलाने का प्रशिक्षण दिया गया है।

न्यू गार्डिनर रोड, एलएनजेपी, गर्दनीबाग, जयप्रभा प्राथमिक स्वाथ्य केंद्र जैसे तमाम अस्पतालों में तो पानी भंडारण तक की व्यवस्था नहीं है। निजी अस्पताल तो ऐसी संकरी गलियों और छोटे भवनों में बने हैं कि आग लगने पर मरीजों को बाहर निकालना बड़ी समस्या होगी। समय रहते इन्हें दूर करने की जरूरत है।

ये भी पढ़ें:

Bihar Expressway : सुपौल में सड़कों के सहारे दिल्‍ली की राह खोज रहा RJD, अब इन छह हाइवे से और चमकेगी किस्‍मत

Darbhanga Fire News : पटना के बाद अब दरभंगा में भीषण अग्निकांड, छह लोगों की जिंदा जलकर मौत; पांच गायें भी झुलसीं


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.