सृजन घोटाला : चार सदस्यीय टीम ने सौंपी रिपोर्ट, डीडीसी ने भी दिए कई निर्देश Bhagalpur News

12 दिसंबर 2006 से 22 अक्टूबर 2009 तक लक्ष्मी प्रसाद चौहान जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी (सीईओ) थे इनके कार्यकाल में दो करोड़ से अधिक राशि डायवर्ट हुए।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Fri, 08 Nov 2019 08:36 AM (IST) Updated:Fri, 08 Nov 2019 08:36 AM (IST)
सृजन घोटाला : चार सदस्यीय टीम ने सौंपी रिपोर्ट, डीडीसी ने भी दिए कई निर्देश Bhagalpur News
सृजन घोटाला : चार सदस्यीय टीम ने सौंपी रिपोर्ट, डीडीसी ने भी दिए कई निर्देश Bhagalpur News

भागलपुर [जेएनएन]। जिला परिषद से जुड़े सृजन घोटाला मामले में मनी सूट के पूर्व सूद सहित घोटाले की राशि का आकलन कर लिया गया है। वरीय लेखा पदाधिकारी, लेखा पदाधिकारी, जिला वित्त प्रबंधक और अंकेक्षक सहायक की टीम ने डीडीसी सह जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी सुनील कुमार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।

मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी ने एक सप्ताह पूर्व आकलन के लिए चार सदस्यीय टीम का गठन किया था। टीम को सृजन में गई राशि का सूद की राशि के साथ बैंक व खातावार आकलन करने को कहा गया था। जिला परिषद की एक अरब 19 करोड़ 34 लाख 63 हजार 337 रुपये सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के खाते में गया है।

2006 से 2009 के बीच सृजन में गई थी राशि

12 दिसंबर 2006 से 22 अक्टूबर 2009 तक लक्ष्मी प्रसाद चौहान जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी (सीईओ) थे, इनके कार्यकाल में दो करोड़ से अधिक राशि डायवर्ट हुए। 22 अक्टूबर 2009 से 28 दिसंबर 2012 तक गजानंद मिश्र डीडीसी थे, 19 करोड़ 42 लाख चार हजार 150 रुपये बैंक के माध्यम से सृजन के खाते में भेजा गया। 29 दिसंबर 12 से 17 अप्रैल 13 तक प्रभात कुमार सिन्हा डीडीसी थे, इनके कार्यकाल में 22 करोड़ 31 लाख 89 हजार 751 रुपये सृजन के खाते में डायवर्ट हुए। 22 अप्रैल 13 से 12 दिसंबर 14 तक राजीव प्रसाद सिंह रंजन थे, इनके कार्यकाल में 23 करोड़ 76 लाख आठ हजार 809 रुपये सृजन के खाते में गए। 13 दिसंबर 14 से तीन अगस्त 15 तक चंद्रशेखर सिंह डीडीसी थे, इनके कार्यकाल में 46 करोड़ 48 लाख 93 हजार 559 रुपये जमा हुए। 18 अगस्त 15 से 23 अगस्त 17 तक अमित कुमार डीडीसी थे, इनके कार्यकाल में पांच करोड़ 35 लाख 67 हजार रुपये बैंक के माध्यम से सृजन के खाते में जमा हुए।

जिप की राशि पांच चेक के माध्यम से भेजी गई थी

जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच चेक के माध्यम से राशि जिला परिषद से बैंक ऑफ बड़ौदा भेजा गया था। प्रत्येक चेक से दो-दो करोड़ भेजे गए थे। शेष राशि डायवर्ट कर सृजन में भेजा गया था। बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा एक चेक जांच टीम को उपलब्ध कराया गया है। जिला परिषद के चेक पर उप विकास आयुक्त के कार्यालय की मुहर है। जिला परिषद की जगह उप विकास आयुक्त की मुहर रहने के बावजूद बैंक ने चेक को जमा कर राशि सृजन के खाते में भेज दिया। उस समय जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी लक्ष्मी प्रसाद चौहान थे।

संदेशवाहक भेजकर सीबीआइ ने मांगी जारी चेक की कॉपी

सीबीआइ ने सन्हौला प्रखंड के लिए डीआरडीए से जारी दो चेक के संबंध में जानकारी मांगी है। पटना से सीबीआइ का संदेशवाहक गुरुवार को डीडीसी सुनील कुमार के कार्यालय में पहुंचकर जारी चेक की कॉपी मांगी। डीडीसी कार्यालय द्वारा देर शाम चेक की कॉपी उसे दी गई। चेक की कॉपी लेकर वह पटना के लिए रवाना हो गई है। सन्हौला प्रखंड में सृजन द्वारा 48.06 करोड़ की हेरफेर उजागर हुआ था। इस मामले में सन्हौला के तत्कालीन बीडीओ अरविंद कुमार ने कोतवाली थाने में 19 सितंबर 2017 को केस दर्ज कराया था। इसमें बैंक ऑफ बड़ौदा के तत्कालीन शाखा प्रबंधक एवं अन्य कर्मियों समेत सृजन संस्था, सबौर के सभी पदधारकों एवं इससे जुड़े अन्य शामिल संदिग्ध कर्मियों को आरोपित बनाया गया था।

बैंक से नहीं लिया गया हिसाब

सन्हौला प्रखंड द्वारा बैंक ऑफ बड़ौदा में तीन अक्टूबर 2009 को एक बचत खाता बीडीओ के नाम से खोला गया। खाता खोलने की तिथि से लेकर 2010 तक इस खाते का पासबुक गायब है। जांच के क्रम में एक पासबुक मिला, लेकिन वह खाली था। बैंक के सरकारी खाते में 27 सितंबर 2007 से लेकर 14 फरवरी 2009 तक विभिन्न आवंटन की राशि करीब 48.06 करोड़ रुपये जमा होनी थी। बैंक स्टेटमेंट के अनुसार राशि अवैध रुपये से सृजन के खाते में या अन्यत्र हस्तांतरित कर दी गई या निकाल ली गई। अवैध निकासी के पश्चात बैंक स्टेटमेंट निकालने पर पता चला कि सात नवंबर 2007 से लेकर 19 जुलाई 2009 तक सरकारी खाते में 48.06 करोड़ रुपये अज्ञात स्रोतों से जमा हुए हैं।

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