World Heritage Day 2025: दिल्ली की 3 इमारतें हैं विश्व धरोहर लिस्ट में शामिल, आप भी जरूर करें दीदार
आज 18 अप्रैल को वर्ल्ड हेरिटेज डे मनाया जा रहा है। लोगों में प्राचीन धरोहरों और स्थलों के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से ही इन दिन को सेलिब्रेट किया जाता है। आज हम आपको World Heritage Day 2025 के मौके पर दिल्ली की उन इमारताें के बारे मूें बताने जा रहे हैं जिन्हें यूनेस्को की ओर से वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा मिला हुआ है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हर साल 18 अप्रैल को World Heritage Day मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद दुनियाभर में मानव सभ्यता से जुड़े ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों का महत्व बताना है। साथ ही लोगों को उनके संरक्षण के प्रति जागरूक करना है। यह दिन उन लोगों और समूहों की भी सराहना करता है जो विरासत या फिर ऐतिहासिक चीजों को संरक्षित करने के लिए काम करते हैं।
वैसे ताे UNESCO की वर्ल्ड हेरीटेज साइट की लिस्ट में दुनियाभर के कई ऐतिहासिक स्मारकों का नाम शामिल है। लेकिन आज हम दिल्ली की उन इमारतों के बारे में बात करेंगे जिन्हें यूनेस्को (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization) की ओर से वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा मिला हुआ है। दरअसल, दिल्ली ऐतिहासिक विरासतों का खजाना है। यहां की इमारतें न केवल स्थापत्य कला का बेहतरीन उदाहरण हैं, बल्कि भारत के इतिहास, संस्कृति और विरासत की गौरवशाली झलक भी पेश करती हैं। आइए जानते हैं विस्तार से-
वर्ल्ड हेरिटेज डे का इतिहास
इमारतों और प्राकृतिक स्थलों के संरक्षण का प्रस्ताव पहली बार 1968 में एक अंतरराष्ट्रीय संगठन ने रखा था जिसे स्टॉकहोम में एक इंटरनेशनल समिट ने मंंजूरी दे दी। 1983 में वर्ल्ड हेरिटेज डे मनाने की मान्यता मिली। 1982 में इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मॉन्युमेंट्स एंड साइट ने पहली बार विश्व धरोहर दिवस ट्यूनीशिया में मनाया था।
क्या है इस साल की थीम?
इस साल 2025 में विश्व धरोहर दिवस की थीम आपदा और संघर्ष प्रतिरोधी विरासत (Heritage under Threat from Disasters and Conflicts) रखी गई है। इस थीम का मतलब है प्राकृतिक आपदाओं से इन धरोहरों का संरक्षण करना।
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कुतुब मीनार (Qutub Minar)
दिल्ली की जब भी बात होती है तो कुतुब मीनार का नाम सबसे पहले लिया जाता है। ये दिल्ली के महरौली इलाके में स्थित है। इसे 1193 में कुतुब-उद-दीन ऐबक ने बनवाया था। यह 73 मीटर ऊंची मीनार लाल पत्थर और संगमरमर से बनी हुई है। इसमें कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद और आयरन पिलर जैसे कई ऐतिहासिक स्मारक भी शामिल हैं। यह मीनार 5 पतली मंजिलों वाली है।
हुमायूं का मकबरा (Humayun’s Tomb)
हुमायूं का मकबरा मुगल स्थापत्य कला का पहला बड़ा उदाहरण माना जाता है। इसे लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से बनाकर तैयार किया गया है। बता दें कि 1570 में हुमायूं की पत्नी हमीदा बानो बेगम ने इसे बनवाया था। यह इमारत बाद में ताजमहल जैसी कई मुगल इमारतों के लिए प्रेरणा बनी।
लाल किला (Red Fort)
लाल किला को शाहजहां ने 1638 में बनवाया था। यह मुगल शक्ति और वास्तुकला का प्रतीक माना जाता है। ये 250 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है जो अपनी विशाल दीवारों के लिए मशहूर है।
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