एयरपोर्ट पर बैग से Laptop निकालने को क्यों कहा जाता है? गारंटी है आपको नहीं पता होगी अंदर की बात
आप एयरपोर्ट सिक्योरिटी चेक में अपने बैग और पासपोर्ट के साथ धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे होते हैं, तभी सुनाई देता है- "लैपटॉप बाहर निकालिए..." दरअसल, दुनियाभर के हवाई अड्डों पर यह एक आम नजारा है। शायद आपको भी यह प्रक्रिया थोड़ी थकाऊ और समय बर्बाद करने वाली लगती हो, मगर असल में यह सुरक्षा जांच का एक बेहद जरूरी हिस्सा है। आइए जानते हैं कैसे।

"लैपटॉप को बाहर निकालो..." हवाई अड्डे पर सुरक्षा जांच का यह अटपटा नियम क्यों है जरूरी? (Image Source: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। सोचिए, आप एयरपोर्ट सिक्योरिटी चेक में अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। आपके हाथ में पासपोर्ट, सामान और शायद एक पानी की बोतल है। आपने कितनी सावधानी से अपना बैग पैक किया था, लेकिन जैसे ही आप एक्स-रे मशीन के पास पहुंचते हैं, एक आवाज आती है- "लैपटॉप बाहर निकालिए!"
आपके मन में यह सवाल जरूर आता होगा कि इस छोटे से काम को क्यों बार-बार दोहराया जाता है? क्या यह सिर्फ हमें परेशान करने के लिए है? अगर हां, तो यह आर्टिकल खास आपके लिए ही है (Why Remove Laptop At Airport)। दरअसल, यह प्रक्रिया आपको बेशक थकाऊ लग सकती है, लेकिन यकीन मानिए- यह महज औपचारिकता नहीं है। लैपटॉप को आपके जूतों या जैकेट की तरह ट्रीट न करने के पीछे विज्ञान और सुरक्षा से जुड़े बहुत ही ठोस कारण मौजूद हैं। आइए जानते हैं।
एक्स-रे स्कैनर का रुक जाता है रास्ता
जब आपका लैपटॉप बैग के अंदर होता है, तो वह एक्स-रे स्क्रीन पर एक बड़ी और घनी दीवार जैसा दिखता है। इसकी सघन बैटरी और मेटल की केसिंग एक गहरी परछाई बनाती है। यह परछाई चार्जर, पेन या सिक्कों जैसी छोटी चीजों को पूरी तरह छिपा सकती है।
सुरक्षा अधिकारियों के लिए, यह परछाई अक्सर संदिग्ध होती है। यही वजह है कि लैपटॉप को बाहर निकालने से यह 'दीवार' हट जाती है, स्कैनर को साफ तस्वीर मिलती है और आपके बैग को मैन्युअल जांच के लिए रोके जाने की संभावना कम हो जाती है।
लैपटॉप में चीजें छिपाते हैं तस्कर
बैटरी के खतरे के अलावा, कई बार लैपटॉप का गलत इस्तेमाल भी हुआ है। कई मामलों में तस्करों ने नशीले पदार्थों या अन्य खतरनाक सामानों को छिपाने के लिए लैपटॉप की केसिंग को अंदर से खोखला कर दिया है या उसके पुर्जों को बदल दिया है।
ऐसी घटनाएं दुर्लभ हैं, लेकिन इन्हीं की वजह से एयरपोर्ट के सुरक्षा नियम दुनिया भर में सख्त हुए हैं। अलग ट्रे में रखने पर अधिकारी यह सुनिश्चित करते हैं कि लैपटॉप के अंदर कोई संदिग्ध वस्तु तो नहीं छिपी है।
लैपटॉप की बैटरी है सबसे सेंसिटिव
आपके लैपटॉप और जूते के बीच का असली अंतर उसमें मौजूद बैटरी है। लैपटॉप में शक्तिशाली लिथियम-आयन बैटरी होती हैं। ये संवेदनशील होती हैं और खराब होने या गर्म होने पर बीच हवा में आग लगने का खतरा पैदा कर सकती हैं।
जब लैपटॉप को अलग से स्कैन किया जाता है, तो अधिकारी बैटरी में किसी भी तरह के खराबी के संकेत को ध्यान से देख पाते हैं। यह एक सुरक्षा उपाय है जो तब संभव नहीं है जब आपका लैपटॉप बैग में दबा हुआ हो।
विश्व स्तर पर लागू है नियम
एयरपोर्ट के नियम मनमाने नहीं होते। वे वैश्विक विमानन संस्थाओं द्वारा वास्तविक घटनाओं के बाद बनाए गए हैं। उदाहरण के लिए, 2022 में वर्जीनिया के एक एयरपोर्ट पर एक लैपटॉप केसिंग के अंदर एक दोधारी चाकू मिला था।
ऐसी घटनाओं के बाद, दुनिया भर की एजेंसियों ने लैपटॉप की अलग जांच पर जोर दिया है। इस एकरूपता का मतलब है कि आप दिल्ली, दुबई या न्यूयॉर्क, कहीं भी हों लेकिन आपकी सुरक्षा का स्तर समान रहता है।
नई तकनीक आने में है समय
कुछ बड़े एयरपोर्ट पर अब उन्नत 3D स्कैनर मशीनें आ गई हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक्स को बिना निकाले भी जांच सकती हैं, लेकिन ये मशीनें अभी वैश्विक मानक नहीं बनी हैं।
ज्यादातर एयरपोर्ट पर अभी भी ट्रेडिशनल एक्स-रे सिस्टम ही काम करते हैं, और उन्हें साफ स्कैन के लिए लैपटॉप को खुला रखना पड़ता है। जब तक ये नई मशीनें हर जगह नहीं आ जातीं, तब तक यह नियम जारी रहेगा।
जल्दी बढ़ती है लाइन
भले ही आपको लैपटॉप बाहर निकालना एक धीमा काम लगे, लेकिन असल में यह उल्टा असर करता है। जिस बैग में लैपटॉप अंदर होता है, वह अक्सर फ्लैग हो जाता है, जिससे मैन्युअल चेकिंग में ज्यादा समय बर्बाद होता है।
लैपटॉप को अलग से स्कैन करने पर मशीन को तुरंत एक स्पष्ट इमेज मिल जाती है, अलार्म बजने कम हो जाते हैं और इस तरह पूरी लाइन तेजी से आगे बढ़ती है।
यात्रियों का बढ़ता है भरोसा
सुरक्षा जांच बेशक तनावपूर्ण हो सकती है, लेकिन लैपटॉप को अलग से दिखाना पारदर्शिता लाता है। यह यात्रियों को दिखाता है कि सुरक्षा में कोई कोताही नहीं बरती जा रही है और हर डिवाइस की ठीक से जांच की जा रही है।
यह कदम यात्रियों में भरोसा पैदा करता है कि उनकी सुरक्षा को गंभीरता से लिया जा रहा है, जिससे अधिकारियों और यात्रियों के बीच अनावश्यक बहस भी कम हो जाती है।
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