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    तिरुपति बालाजी के मुकुट में विराजे Lalbaugcha Raja…आखिर क्यों इतना खास है बप्पा का यह पंडाल?

    गणेश चतुर्थी (ganesh chaturthi 2025) के अवसर पर मुंबई का लालबागचा राजा (Lalbaugcha Raja 2025) पंडाल अपने भव्य रूप में प्रस्तुत हुआ है। इस वर्ष पंडाल को तिरूपति बालाजी के मुकुट की थीम पर सजाया गया है जिसमें भगवान गणेश 14 फुट ऊंची मूर्ति के रूप में विराजमान हैं। आइए जानते हैं पंडाल है वर्षों पुराना इतिहास।

    By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Tue, 26 Aug 2025 05:15 PM (IST)
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    गणेश चतुर्थी 2025 लालबागचा राजा पंडाल में बप्पा का भव्य रूप (Picture Credit- Instagram)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हर साल लोग बेसब्री से गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2025) की इंतजार करते हैं। यह वह पल है, जब बप्पा अपने भक्तों मे मिलने खुद उनके घर आते हैं। यह हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे दस दिनों तक मनाया जाता है। देशभर में इस पर्व की खास धूमधाम देखने को मिलती है। खासकर महाराष्ट्र में इसकी अलग ही रौनक देखने को मिलती है। यहां पर कई सारे गणेश पंडाल लगाए जाते हैं, लेकिन लालबागचा राजा (Lalbaugcha Raja Pandal in Mumbai) इन सब में सबसे ज्यादा खास माने जाते हैं।

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    मुंबई में लगने वाले इस पंडाल की बात ही कुछ अलग होती है। यह सिर्फ मुंबई का ही नहीं, बल्कि पूरे देश का मशहूर पंडाल माना जाता है, जिसकी मान्यता किसी मंदिर से कम नहीं है। गणेश चतुर्थी के पहले इस साल पंडाल में विराजे लालबागचा राजा ने अपने प्रथम दर्शन दिए। आइए जानते हैं इस साल कैसा है बप्पा का रूप और क्या है इस पंडाल की मान्यता-

    (Picture Credit- Instagram)

    इस साल कैसा है बप्पा रूप?

    अपने भक्तों को पहली झलक दिखलाते हुए लालबागचा राजा ने सभी का मन मोह लिया। बैंगनी रंग की धोती, सिर पर सुंदर राजसी मुकुट और हाथों में च्रक लिए बप्पा सच में राजा की तरह नजर आए। वहीं, बात करें थीम की, तो इस साल गणेश भगवान के मंडप को तिरूपति बालाजी के मुकुट थीम पर तैयार किया गया है। पंडाल को एक महल की तरह डिजाइन किया गया है, जिसमें बने स्वर्ण सिंहासन पर बप्पा की 14 फुट ऊंची मूर्ति विराजमान है। इस साल बप्पा का यह रूप में उन्हें सच में राजा का लुक दे रहा है।

    क्यों खास है लालबागचा राजा?

    मुंबई में स्थित लालबागचा राजा एक मशहूर पंडाल है। हैरानी की बात यह है कि पंडाल होने के बावजूद इसकी मान्यता इतनी ज्यादा है कि हर साल दूर-दूर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं। सिर्फ आम ही नहीं, यहां कई खास लोग भी शीश झुकाते हैं। यहां बप्पा को लालबाग के राजा या नवसाचा गणपति और इच्छा पूर्ति गणेश के रूप में भी जाना जाता है। जितना खास यह पंडाल है, उतना ही पुराना और दिलचस्प इसका इतिहास है। आइए जानते हैं इस पंडाल का इतिहास-

    (Picture Credit- Instagram)

    इच्छा पूरी करते हैं नवसाचा गणपति

    यह पंडाल मुंबई के सबसे प्रसिद्ध ही नहीं, बल्कि सबसे पुराने पंडालों में से भी एक है। हर साल लोग बेसब्री से यहां स्थापित होने वाली मूर्ति का इंतजार करते हैं, लेकिन क्या आप जानते कि यहां सबसे पहले मुर्ति स्थापना कब, क्यों और किसने की थी? दरअसल, 'लालबाग के राजा' की शुरुआत 1934 में हुई थी, जब औद्योगीकरण के दौरान लालबाग बाजार बंद कर दिया है। इससे मछुआरों और व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा और वह अपनी परेशानी लेकर भगवान गणेश से प्रार्थना करने पहुंचे।

    बप्पा से प्रार्थना करने के बाद यहां एक नया स्थायी बाजार बनाया गया, जिससे व्यापारियों की मनोकामनाएं पूरी हुई और इसे बप्पा का आर्शीवाद मानकर लोगों में बाजार का एक हिस्सा गणपति पूजा के लिए समर्पित कर दिया। तब से लेकर आजतक यहां हर साल गणेश चतुर्थी पर बप्पा का भव्य पंडाल लगाया जाता है।

    मूर्ति बनाने की भी खास है परंपरा

    यह पंडाल ही नहीं, बल्कि यहां स्थापित होने वाली मूर्ति भी बेहद खास होती है। लालबागचा राजा की मूर्ति बनाने की जिम्मेदारी कंबली परिवार की है, जो आज तक जारी है। आज भी इसी परिवार के लोग पंडाल के लिए मूर्ति बनाते हैं और उसका रख-रखाव भी करते हैं। यही नहीं उन्होंने इस मूर्ति का डिजाइन भी पेटेंट कराया है।

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