Holi 2025: देश के इन हिस्सों में नहीं मनाई जाती होली, रंगों से खेलना तो दूर छूते तक नहीं यहां के लोग
होली पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। इस दिन लोग रंगों से खेलते हैं और जश्न मनाते हैं। देशभर में इस पर्व को अलग-अलग तरीके से भी मनाया जाता है। हालांकि कुछ ऐसी जगह भी हैं जहां कई साल से लोगों ने होली सेलिब्रेट नहीं है। इस त्योहार को न मनाने के पीछे कई सारी वजह हैं जिसके बारे में आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। रंगों का त्योहार होली देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। हर साल यह पर्व फाल्गुन महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसी क्रम में इस साल 14 मार्च को होली मनाई जाएगी। यह हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे देश में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। शायद ही कोई ऐसा हो, जिसे होली खेलना पसंद नहीं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कुछ ऐसी जगह भी मौजूद हैं, जहां लोगों ने कई साल होली नहीं खेली है।
होली खेलना तो दूर, इन जगहों पर लोगों ने काफी समय से रंगों को हाथ तक नहीं लगाया है। होली का त्योहार न मनाने के पीछे कहीं पौराणिक कथा, तो कहीं ऐतिहासिक घटना या सांस्कृतिक मान्यताएं जिम्मेदार हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे देश के उन हिस्सों के बारे में, जहां नहीं मनाया जाता होली का त्योहार-
यह भी पढ़ें- जब रंगों में सराबोर हो जाते हैं ये 6 देश, जानें भारत के अलावा कहां-कहां होती है होली की धूम!
महाबलीपुरम, तमिलनाडु
तमिलनाडु के महाबलीपुरम शहर में भी होली नहीं मनाई जाती है। होली खेलने की जगह यहां लोग मासी मगम नामक धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। यहां के लोगों का मानना है कि इस दिन स्वर्ग में मौजूद आत्माएं और देवी-देवता धरती पर आते हैं। इसलिए यहां होली के दिन रंगों से खेलने की बजाय पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।
रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड
अपने पहाड़ों और खूबसूरती के लिए मशहूर उत्तराखंड में ऐसी जगह है, जहां होली का पर्व नहीं मनाया जाता है। दरअसल, रुद्रप्रयाग जिले के क्विली और कुरझान गांवों में ऐसी मान्यता है कि यहां की इष्ट देवी त्रिपुरा सुंदरी को शोर-शराबा बिल्कुल भी पसंद नहीं है। इसलिए देवी के इस स्वभाव को ध्यान में रख यहां होली सेलिब्रेट नहीं होती।
रामसन, गुजरात
गुजरात में भी एक ऐसा गांव है, जहां पिछले 200 साल से किसी ने होली का त्योहार नहीं मनाया है। राज्य में बनासकांठा जिले के रामसन गांव में होली खेलने पर प्रतिबंध है। दरअसल, इसके पीछे की वजह एक श्राप है। स्थानीय लोगों के बीच प्रचलित एक लोककथा की मानें, तो एक राजा की गलत हरकतों से नाराज होकर कुछ संतों ने गांव को श्राप दिया था कि अगर यहां होली मनाएगा, तो बुरा समय आ जाएगा।
दुर्गापुर, झारखंड
झारखंड के बोकारो जिले में एक ऐसी गांव मौजूद है, जहां होली खेलने की पूरी तरह से मनाई है। यहां मौजूद दुर्गापुर गांव में सौ साल पहले हुई एक घटना की वजह से आज कल होली नहीं मनाई जाती है। स्थानीय मान्यता है कि इस गांव के राजा के बेटे की मौत होली के दिन हुई थी, जिसके बाद दुखी होकर राजा ने होली न मनाने का आदेश दिया था। इतना ही नहीं बाद में खुद राजा की भी मौत होली पर हो गई थी। इसलिए आज तक लोग राजा के इस आदेश का पालन कर रहे हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।