सांता क्लॉज के 'ऑफिशियल होमटाउन' का इतिहास: तबाही के मलबे से निकलकर बना दुनिया का सबसे खुशहाल शहर
जब हम क्रिसमस और सांता क्लॉज के बारे में सोचते हैं, तो हमारी आंखों के सामने बर्फ से ढके पहाड़, रेंडियर और खुशियों से भरा नजारा आ जाता है। सांता का 'ऑफ ...और पढ़ें

कैसे रोवानिएमी बना दुनिया का ऑफिशियल 'सांता क्लॉज विलेज'? (Image Source: AI-Generated)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। जरा सोचिए... चारों तरफ बर्फ की सफेद चादर, रेंडियर की सवारी और हवा में घुली क्रिसमस की खुशियां। यह तस्वीर है सांता क्लॉज के ऑफिशियल होम 'रोवानिएमी' की। दुनिया इसे एक जादुई शहर मानती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस जादू के पीछे एक खौफनाक अतीत छिपा है?
जिस जगह को आज हम खुशियों की गारंटी मानते हैं, उसे यह खुशी हासिल करने के लिए खुद को जलाकर खाक करना पड़ा था। जी हां, परियों की कहानियों वाली रोशनी और स्लेज की सवारी के ठीक नीचे एक ऐसा दर्दनाक इतिहास दफन है, जो युद्ध, औपनिवेशिक शोषण और जिंदा रहने के संघर्ष से बना है।
सांता के शहर की यह कहानी परियों की नहीं, बल्कि विनाश के बाद राख से उठ खड़े होने की है। आइए जानते हैं उस काले इतिहास के बारे में, जो आज भी बर्फ की परतों के नीचे दबा हुआ है।

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सांता के आने से पहले का इतिहास
सांता क्लॉज के मशहूर होने से बहुत पहले, फिनलैंड के लैपलैंड स्थित रोवानिएमी शहर उत्तरी व्यापार का केंद्र हुआ करता था। यह जगह मूल रूप से सामी लोगों की थी, जो यूरोप के एकमात्र मान्यता प्राप्त मूल निवासी हैं।
सामी लोगों का जीवन पूरी तरह से रेंडियर (बर्फीले हिरण) पर निर्भर था। वे पीढ़ियों से रेंडियर पालन और मछली पकड़ने के जरिए अपना जीवन बिताते थे। रेंडियर से ही उन्हें भोजन, कपड़े और औजार मिलते थे, लेकिन 17वीं शताब्दी के बाद, नॉर्डिक देशों के विस्तार ने उनकी दुनिया बदल दी। सीमाओं ने सामी समुदाय को फिनलैंड, स्वीडन, नॉर्वे और रूस में बांट दिया। उनकी भाषा पर रोक लगा दी गई और उनकी संस्कृति को 'पिछड़ा' मानकर हाशिए पर धकेल दिया गया। आज भी वे अपनी जमीन और अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

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जब शहर को जलाकर खाक कर दिया गया
रोवानिएमी के लिए असली अंधेरा 1930 के दशक में आया। 1939 में रूस ने इस शांत शहर पर हमला कर दिया। अपनी रक्षा के लिए फिनलैंड ने जर्मनी से हाथ मिला लिया। जर्मन सेना ने यहां आकर शहर का नक्शा ही बदल दिया। उन्होंने यहां एक हवाई अड्डा बनाया (जिसे आज 'सांता का आधिकारिक एयरपोर्ट' कहा जाता है) और बैरक बनाए, जहां आज 'सांता क्लॉज विलेज' खड़ा है।
हालांकि, 1944 में जब युद्ध का पासा पलटा, तो जर्मन सेना को वहां से निकलना पड़ा। जाते-जाते जर्मन सैनिकों ने पूरे रोवानिएमी शहर को आग के हवाले कर दिया और बारूदी सुरंगें बिछा दीं। इस आग में शहर का 90% हिस्सा जलकर राख हो गया। जब लोग स्वीडन से अपने घर वापस लौटे, तो वहां मलबे के सिवा कुछ नहीं बचा था।

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राख से हुआ सांता के शहर का पुनर्जन्म
विनाश के बाद, फिनलैंड के महान आर्किटेक्ट अल्वर आल्टो को शहर को फिर से बनाने की जिम्मेदारी दी गई। उन्होंने शहर का नक्शा 'रेंडियर के सींग' के आकार में बनाया।
इस शहर के पर्यटन केंद्र बनने की शुरुआत 1950 में हुई, जब अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रूजवेल्ट की पत्नी, एलेनोर रूजवेल्ट यहां आना चाहती थीं। उनके स्वागत के लिए सिर्फ एक हफ्ते में एक लकड़ी का केबिन तैयार किया गया। यह केबिन बाद में एक बड़ा टूरिस्ट अट्रैक्शन बन गया।
कैसे बना सांता क्लॉज विलेज?
पर्यटन बढ़ने के साथ शहर का विकास होता गया। 1984 में यहां कॉनकॉर्ड विमान पर्यटकों को लेकर आने लगे और स्थानीय व्यापारियों ने 'सांता क्लॉज विलेज' की स्थापना की।
फिनिश कथाओं के अनुसार, सांता का असली घर 'कोरवाटुनटुारी' में है, जो यहां से 200 मील उत्तर में है और वहां पहुंचना बहुत मुश्किल है। इसलिए, रोवानिएमी को ही सांता का घर बना दिया गया ताकि लोग उनसे मिल सकें।
आज, रोवानिएमी हर साल 6 लाख से ज्यादा पर्यटकों का स्वागत करता है। यह शहर इस बात का जीता-जागता सबूत है कि कैसे युद्ध और विनाश के बाद भी उम्मीद और विश्वास के जरिए खुशियां फिर से हासिल की जा सकती हैं।

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