क्यों अपने दोस्त को दूसरे दोस्तों से मिलाने में हिचक रहीं महिलाएं, आखिर क्या है Friend Hoarding का नया ट्रेंड?
अक्सर देखा जाता है कि महिलाएं अपने दोस्तों को एक-दूसरे से मिलाना नहीं चाहती हैं। वे अपने दोस्तों को सिर्फ अपने लिए रखना चाहती हैं। इसे दोस्तों को जमा ...और पढ़ें

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Why Women Don't Introduce Friends: अमेरिका में हाल के वर्षों में एक नया चलन देखने को मिला है जिसे फ्रेंड होर्डिंग (Friend Hoarding) कहा जाता है। इस चलन में लोग अपने दोस्तों को एक-दूसरे से मिलने से बचते हैं। बिजी लाइफस्टाइल के इस दौर में लोग अपने दोस्तों को एक पर्सनल प्रॉपर्टी की तरह मानने लगे हैं। इस विषय से जुड़े एक्सपर्ट्स की मानें, तो 'फ्रेंड होर्डिंग' का बढ़ना असुरक्षा और दोस्तों को खोने के डर से जुड़ा है और यह पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा देखा जा रहा है। आइए विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।

क्या है फ्रेंड होर्डिंग?
'फ्रेंड होर्डिंग' एक ऐसा चलन है जिसमें लोग जितने ज्यादा से ज्यादा दोस्त बना लेते हैं। एक्सपर्ट की मानें, तो दोस्ती में असुरक्षा होना एक सामान्य मानवीय भाव है, लेकिन मॉडर्न लाइफस्टाइल और सोशल मीडिया ने इसे और बढ़ावा दिया है। इंटरनेट ने लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने का काम किया है, लेकिन साथ ही इसने लोगों को अलग-थलग भी कर दिया है। आज लोग अलग-अलग क्षेत्रों में काम करते हैं और इंटरनेट पर विभिन्न समूहों से जुड़े होते हैं। इस अलगाव ने लोगों में एक तरह का सामूहिक अकेलापन पैदा कर दिया है। 'फ्रेंड होर्डिंग' इसी अकेलेपन से बचने की एक कोशिश है।
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अकेलेपन का शिकार हो रहे लोग
अमेरिकन साइकेट्रिक एसोसिएशन द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में अकेलापन एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, हर तीसरा अमेरिकी नागरिक अकेलेपन का अनुभव करता है। यह समस्या युवाओं में खासतौर से चिंताजनक है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि 39% अविवाहित वयस्कों ने स्वीकार किया कि वे हर हफ्ते अकेलेपन की भावना से जूझते हैं, जबकि विवाहित व्यक्तियों में यह आंकड़ा 22% है।
क्यों डरते हैं हम अपने दोस्तों को मिलाने से?
कई बार लोग अपने दोस्तों को एक-दूसरे से मिलाने में हिचकिचाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें डर होता है कि कहीं उनके नए दोस्त उनके पुराने दोस्तों के इतने करीब न हो जाएं कि वे उन्हें पीछे छोड़ दें। इस भावना को मनोविज्ञान में 'दोस्ती में जलन' कहा जाता है। इसके अलावा, लोगों की अपनी पहचान को लेकर भी उलझन होती है। हम अलग-अलग दोस्तों के साथ अपनी अलग पहचान बनाते हैं। जब इन दोस्तों को एक साथ लाने की बात होती है, तो हमें डर लगता है कि कहीं हमारी यह अलग-अलग पहचान खत्म न हो जाए।
दोस्ती पर सोशल मीडिया का असर
सोशल मीडिया और इंटरनेट ने दोस्ती के तरीके को बदलकर रख दिया है। आजकल लोग ज्यादातर निजी दोस्ती में विश्वास करते हैं। हालांकि, इस तरह की दोस्ती के कुछ नुकसान भी हैं। एक दोस्त को दूसरे दोस्तों से मिलवाने से रिश्ते और मजबूत होते हैं। इससे एक ऐसा समूह बनता है जो मुश्किल समय में हमारा साथ देता है। दोस्तों के बीच का यह जुड़ाव हमें सुरक्षित महसूस कराता है और हमारी खुशियों को कई गुना बढ़ा देता है।

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