ब्रेकअप के बाद फौरन शादी? क्या यह वाकई दिल का दर्द कम करती है या बढ़ाती है मुश्किलें
ब्रेकअप के दर्द को भुलाने के लिए कई लोग दिल टूटने के तुरंत बाद शादी के लिए रिश्ता ढूंढ़ने लगते हैं। अपने इमोशन्स और अकेलेपन से बचने के लिए की गई इस शा ...और पढ़ें
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जानिए रिबाउंड मैरिज के पीछे का सच (Picture Courtesy: AI Generated Image)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आप ऐसे कई लोगों को जानते होंगे, जो किसी सीरियस रिलेशनशिप में थे, लेकिन किसी कारण से ब्रेकअप हो गया और इसके थोड़े समय बाद ही उस व्यक्ति ने किसी और से शादी कर ली। दरअसल, इसे ही रिबाउंड मैरिज (Rebound Marriage) कहा जाता है। यानी कोई व्यक्ति किसी सीरियस रिलेशनशिप के टूटने के बाद हीलिंग के लिए पर्याप्त समय दिए बिना किसी नए साथी से शादी कर लेता है।
ऐसा कई लोग करते हैं, जिसके पीछे भावनात्मक कारण छिपे होते हैं। यह शुरुआत में आपको तकलीफ से भले ही बचा सकता है, लेकिन इसके कुछ गंभीर परिणाम भी भुगतने पड़ सकते हैं। आइए जानें इस बारे में (Rebound Marriage Pros and Cons)।
क्यों करते हैं रिबाउंड मैरिज?
‘रिबाउंड मैरिज’ के पीछे अक्सर अक्सर एक तरह की भावनात्मक प्रतिक्रिया होती है, जहां व्यक्ति अकेलेपन, तकलीफ, रिजेक्शन के डर या पिछले रिश्ते की भावनाओं को प्रोसेस करने से बचने के लिए तुरंत किसी नए रिश्ते में कूद जाता है।

(Picture Courtesy: Freepik)
मनोवैज्ञानिक कारण
मनोवैज्ञानिक दृष्टि से, रिबाउंड मैरिज अक्सर भावनात्मक कमजोरी या निर्भरता से उपजती है। टूटे हुए रिश्ते के बाद व्यक्ति खुद को खाली और अधूरा महसूस करता है। नया साथी अस्थायी रूप से उस खालीपन को भरने का काम करता है।
इस स्थिति में तेज आकर्षण या सहारे की भावना को प्रेम समझ लिया जाता है। क्योंकि फैसला भावनात्मक उथल-पुथल में लिया गया होता है, इसलिए यह शादी अक्सर असल समझ, शेयर्ड वैल्यू और कंपैनियनशिप पर आधारित नहीं होता।
क्या हो सकती हैं चुनौतियां?
ऐसी शादियों में स्थिरता की कमी देखी जा सकती है। पिछले रिश्ते की अनसुलझी भावनाएं, विश्वास की समस्याएं, तुलना या अनरियलिस्टिक एक्सपेक्टेशन नए रिश्ते में जहर घोल सकती हैं। कई बार सामाजिक दबाव, बढ़ती उम्र का डर या दिखावा भी ऐसे फैसलों को प्रेरित करता है।
क्या कोई पॉजिटिव पहलू भी है?
हालांकि, यह जरूरी नहीं कि हर रिबाउंड मैरिज फेल हो। कुछ मामलों में, यह नई और मैच्योर शुरुआत का आधार भी बन सकती है। अगर व्यक्ति सेल्फ रिफ्लेक्शन करता है, पिछले अनुभवों से सीखता है और नए रिश्ते में ईमानदारी से समय देता है और कोशिश करता है, तो यह एक हेल्दी कंपैनियनशिप में विकसित हो सकती है।
यानी रिबाउंड मैरिज की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि व्यक्ति ने अपने अतीत से कितना सबक लिया है और वह नए रिश्ते को कितनी ईमानदारी से निभा रहा है।शादी से पहले खुद को भावनात्मक रूप से ठीक करना, खुद को स्वीकारना और नए साथी के साथ धैर्य के साथ समय बिताना ही लंबी और खुशहाल शादी की चाबी है।

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