अब डांट-मारकर नहीं, जेंटल पेरेंटिंग से हो रही बच्चों की परवरिश; एक्सपर्ट से जानें क्या है यह ट्रेड
इन दिनों जेंटल पेरेंटिंग (what is Gentle Parenting) को लेकर काफी चर्चाएं हो रही हैं। कुछ तबका इसे अच्छा मानता है तो कुछ इससे जुड़ी नेगेटिव बातों को सामने रखता है। ऐसे में पेरेंट्स परवरिश के किस तरीके को चुनें और एक बैलेंस बनाकर चलें हम इस आर्टिकल में जानेंगे एक्सपर्ट से।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अस्सी या नब्बे के दशक में पैदा हुए बच्चों की पेरेंटिंग आजकल की पेरेंटिंग से काफी अलग होती थी। इस बात को लेकर अक्सर बहस छिड़ जाती है कि बच्चों की परवरिश का कौन-सा तरीका ज्यादा सही है।
क्या उन्हें अनुशासन सिखाने के लिए सख्ती की जरूरत है या फिर उन्हें उनके ही तरीके से सिखाना ज्यादा बेहतर परिणाम मिलता है। जेंटल पेरेंटिंग के अच्छे और बुरे दोनों ही पहलुओं पर बात होती है तो आइए हमारी एक्सपर्ट चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट नम्रता सिंह से और विस्तार से जानते हैं।
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क्या होती है जेंटल पेरेंटिंग?
बच्चों को सीधे आदेश या निर्देश देने की बजाय पेरेंट्स बच्चों को कम्फर्टेबल करते हैं और फिर अपनी बात रखते हैं। इसमें डांट-डपटकर या मार-पीट करने की बजाय बच्चों को बातचीत के जरिए उनकी गलतियों का एहसास कराया जाता है, वो भी ऊंची आवाज में बताने या दूसरे बच्चों से तुलना किए बिना। बच्चों को यह बताया जाता है कि गलती करना या असफल होना कोई अपराध नहीं, बल्कि अपनी गलतियों या असफलता से सीखने की कोशिश की जानी चाहिए।
कैसे करें खुद को जेंटल पेरेंटिंग के लिए तैयार
जेंटल पेरेंटिंग आसान नहीं होती, इसमें पेरेंट्स को भी काफी संयम से काम लेना पड़ता है। इसलिए इसके लिए खुद पर काम करने की जरूरत होती है। इन चीजों का ध्यान रखकर वो इस दिशा में बढ़ सकते हैं:
- अपना स्ट्रेस मैनेज करने के नए-नए तरीके तलाशें
- बेवजह तेज आवाज में बात ना करें
- बिहेवियर पर नियंत्रण रखने की कोशिश करें
- कमजोर या मजबूर विचारों से दूर रहें
- बच्चा किसी काम के लिए मना भी कर सकता है उसके लिए तैयार रहें
इस तरह बच्चों को करें तैयार
- शुरुआत में ही बहुत ज्यादा लक्ष्य तय ना करें
- बच्चों पर रिजल्ट का दबाव ना बनाएं
- उन्हें अपने काम बेहतर तरीके से करने के लिए प्रेरित करें
- एक ही काम को कई तरीके से करना सिखाएं
- बच्चों के मूड का भी ध्यान रखें, क्योंकि छोटे बच्चे बेहद मूडी होते हैं
बच्चों पर रखें नजर
बच्चा अपने माहौल से ज्यादा सीखता है, इसलिए वह मोबाइल पर क्या देख रहा है या कौन-से गेम खेल रहा है उस पर ध्यान दें। दोस्तों के साथ वह किस तरह का व्यवहार करता उस पर भी नजर रखने की जरूरत है। इससे उन्हें पॉजिटिव तरीके से गाइड करने में मदद मिलेगी।
क्या फायदे हैं जेंटल पेरेंटिंग के
- बच्चों का इमोशनल और कम्युनिकेशन डेवलपमेंट अच्छा होता है।
- उनकी सोशल स्किल बेहतर होती है।
- बच्चे बेझिझक, बिना किसी डर के अपनी बात रख पाते हैं।
- पेरेंट्स के साथ बच्चों की बॉन्डिंग बेहतर होती है।
कुछ हैं नुकसान भी
- किसी चीज को सीखने में बहुत वक्त लगाते हैं।
- बताए गए कामों को टालने की कोशिश करते हैं या गंभीरता से नहीं लेते।
- माता-पिता पर हावी होने की कोशिश करते हैं, उन पर चिल्लाते हैं।
- जिन चीजों में अनुशासन की जरूरत होती है, वहां सही तरीके से काम नहीं कर पाते।
- अपनी बात मनवाने के लिए पेरेंट्स पर दबाव बनाने की कोशिश करते हैं।
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