बात-बात पर बहस करता है बच्चा? तो 7 तरीकों से बनाएं उसे आज्ञाकारी, समझ जाएगा सही-गलत का फर्क
अगर बच्चा पलटकर जवाब देने लगा है और कुछ सुनता नहीं तो उसे प्यार और धैर्य से संभालें। गुस्से की जगह शांत रहकर उसे सही-गलत समझाएं। उसके अच्छे व्यवहार पर उसकी तारीफ करें और खुद एक अच्छा उदाहरण बनें। सही कम्युनिकेशन प्यार और समझदारी से बच्चे के व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। आइए जानते हैं बच्चे को समझाने के लिए कुछ असरदार तरीके।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बच्चों का पलटकर जवाब देना और बड़ों की बातें न मानना, आजकल कई माता-पिता के लिए एक आम चुनौती बन गई है। बच्चे का ये व्यवहार उनकी बढ़ती आत्मनिर्भरता और अपनी राय व्यक्त करने की प्रक्रिया का एक हिस्सा हो सकता है।
हालांकि, जब यह व्यवहार लगातार हो रहा हो, तो यह अनुशासनहीनता का रूप ले सकता है। ऐसे में बच्चों को अनुशासित करने के लिए हर बार सख्ती अपनाना जरूरी नहीं है, बल्कि यह समझदारी दिखाकर और धैर्य रख कर उनसे संवाद करना जरूरी है। ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे इस समस्या का समाधान करने के कुछ प्रभावी तरीकों के बारे में-
बच्चे को सुनें और समझें
जब बच्चा पलटकर जवाब दे, तो तुरंत प्रतिक्रिया देने के बजाय उसकी बात ध्यान से सुनें। हो सकता है कि वह अपनी किसी परेशानी, असंतोष या गुस्से को व्यक्त कर रहा हो। उसकी भावनाओं को समझें और उन पर उससे चर्चा करें। इससे बच्चा महसूस करेगा कि आप उसकी बात को महत्व देते हैं।
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खुद शांत और संयमित रहें
बच्चे का गुस्से या पलटकर जवाब देना माता-पिता के लिए निराशाजनक हो जाता है, लेकिन फिर भी आपका शांत रहना बहुत जरूरी है। अगर आप गुस्से में प्रतिक्रिया देंगे, तो यह हालात को और बिगाड़ सकता है। शांत स्वर और पेशेंस के साथ बच्चे को समझाना सबसे अच्छा तरीका है।
सीमाएं तय करें
बच्चे को यह साफ रूप से समझाएं कि घर में किस तरह का व्यवहार करना चाहिए। उन्हें बताएं कि असभ्य भाषा या पलटकर जवाब देना गलत है। यह भी समझाएं कि अगर वह ऐसा करते हैं, तो इसके क्या परिणाम हो सकते हैं।
सकारात्मक व्यवहार को प्रोत्साहित करें
जब बच्चा शालीनता से व्यवहार करे या आपकी बातों को मान लें, तो उसकी तारीफ करें। "बहुत अच्छा किया" या "मुझे खुशी है कि तुमने यह समझा" जैसे शब्द बच्चे को पॉजिटिव बिहेवियर को अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं।
हर बार पनिशमेंट जरूरी नहीं
हर बार सजा देना हल नहीं होता। इसलिए सजा देने के बजाय, बच्चे से बात करें और उसे उसके व्यवहार के प्रभाव के बारे में समझाएं। उदाहरण के लिए, अगर वह गुस्से में बोलता है, तो उसे समझाएं कि इससे दूसरों को दुख हो सकता है और रिश्ते खराब हो सकते हैं।
खुद रोल मॉडल बने
बच्चे माता-पिता को देखकर सीखते हैं। अगर आपको दूसरों से सम्मानजनक और धैर्यपूर्वक बात करते देखेंगे, तो बच्चा भी यही सीखेगा।
उनकी एनर्जी को सही दिशा दें
बच्चे की एनर्जी को किसी पॉजिटिव एक्टिविटी में लगाएं। उसे खेल, क्रिएटिव प्रोजेक्ट्स या किसी हॉबी में व्यस्त रखें, जिससे वह अपनी भावनाओं को सही तरीके से व्यक्त कर सके।
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