परीक्षा आते ही आपका बच्चा भी हो जाता है Exam Anxiety का शिकार, तो ऐसे कराएं उनकी तैयारी जीत की
क्या परीक्षा से पहले आपके बच्चे का पेट खराब हो जाता है क्या सब पढ़ा-लिखा भूल जाता है अगर हां तो यह कोई बीमारी नहीं बल्कि एग्जाम एंग्जाइटी है। आमतौर पर कई बच्चों को अक्सर परीक्षा से पहले इस तरह की समस्या का अनुभव होता है। अगर आपके घर में भी कोई बच्चा है तो आइए जानते हैं इससे पार पाने में कैसे कर सकते हैं आप उसकी मदद।
आरती तिवारी, नई दिल्ली। इन दिनों जिन घरों में बोर्ड परीक्षार्थी हैं, वहां एक गंभीर माहौल बना हुआ है। माता-पिता बच्चों के लिए चिंतित हैं, तो परीक्षार्थी परीक्षा और पैरेंट्स की उम्मीदों का दोतरफा तनाव ले रहे हैं। यही सबसे विकट स्थिति होती है।
बोर्ड परीक्षाओं के नाम से ही कुछ परीक्षार्थी घबराहट होने की शिकायत करने लगते हैं, जैसे बोर्ड परीक्षाएं नहीं बल्कि कोई पहाड़ तोड़ना है, जबकि यह भी अन्य वार्षिक परीक्षाओं के समान है। हालांकि, यह परीक्षा महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भविष्य की राह का प्रथम सोपान होती है। इतने अधिक तनाव के बीच यह माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे बच्चे की मदद और सहयोग करें।
समझें तनाव के संकेत
बच्चे की परीक्षा के समय में मदद करने के लिए जरूरी है कि आप बच्चों में तनाव के चेतावनी के स्तर पर पहुंच रहे संकेतों पर नजर बनाए रखें। कुछ बच्चों में अन्य बच्चों की तुलना में तनाव के लक्षण अधिक विकसित होते हैं और उनकी प्रतिक्रियाओं में मतली, उल्टी, बुखार और चिड़चिड़ापन शामिल हो सकते हैं। ये आगे डिप्रेशन में विकसित हो सकते हैं।
माता-पिता को यह याद रखना चाहिए कि उनका बच्चा दुनिया की किसी भी परीक्षा से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। यदि ऐसे कोई लक्षण दिखाई देते हैं, तो जरूरी है कि आप बच्चे से बात करें और यह स्पष्ट करें कि उसके लिए आपका प्यार किसी भी परीक्षा के अंकों पर निर्भर नहीं करता है। यह सिर्फ बातों के जरिए ही नहीं, बल्कि अपने कार्य-व्यवहार से भी प्रगट करें।
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समय बिताएं साथ
अपनी व्यस्तताओं के चलते संभव है कि आप उनके साथ बहुत समय न बिता पाते हों। हालांकि, यह भी समझें कि इस दौरान बच्चों के मन में कई सारी उलझनें या ऐसी बातें हो सकती हैं, जिन्हें वे आपके साथ शेयर करना चाहते हों। इसलिए जरूरी है कि इन दिनों आपमें से कोई भी बच्चे के साथ कुछ समय बिताए, उससे हल्की-फुल्की बातें करे और उसकी जरूरतों-चिंताओं को सुने और हल करे। परीक्षा के समय घर को शांत, शांतिपूर्ण, सकारात्मक और सहज रखने से बच्चे पूरे मन से परीक्षा की तैयारी कर पाते हैं। हालांकि आप उन्हें यह भी न कहें कि उनकी परीक्षाओं की वजह से आप किसी समारोह या मीटिंग में नहीं जा पाए, यह बात उन्हें संबल देने की जगह उनपर दबाव दे जाएगी।
ब्रेक तो बनता है
लगातार पढ़ाई से बच्चों का दिमाग थक सकता है। ऐसे में वे किताब खोलकर बैठे तो रहेंगे मगर दिमाग इस अवस्था में नहीं होगा कि वह और ज्यादा ग्रहण कर पाए। इसलिए उन्हें समझाएं कि पढ़ाई के बीच कुछ समय विश्राम के लिए रखें। यह पढ़ाई के लिए दोबारा तरोताजा करता है। आदर्श रूप से बच्चे को दो घंटे पढ़ने के बाद कम से कम 20 मिनट का ब्रेक लेना चाहिए। सुनिश्चित करें कि बच्चा अपने ब्रेक का उपयोग ब्रेक के रूप में करे! पढ़ाई के साथ-साथ मन और शरीर को आराम देना भी महत्वपूर्ण है।
माता-पिता बच्चों के लिए कुछ सरल विश्राम तकनीकों जैसे पढ़ाई के बाद टहलने जाना या थोड़ा-बहुत टहलना आदि को बढ़ावा दे सकते हैं । उन्हें देर रात तक अध्ययन करने से रोकें, क्योंकि एक अच्छे अध्ययन सत्र और परीक्षा प्रदर्शन के लिए रात की पर्याप्त नींद आवश्यक है। यदि आप देखते हैं कि बच्चा विश्राम के नाम पर इंटरनेट मीडिया पर बहुत अधिक समय बर्बाद कर रहा है, या अपने दोस्तों से बात कर रहा है, तो शांत व्यवहार के साथ उनका ध्यान लंबित पाठ पर वापस लाने की कोशिश करें।
नजर आने वाले कल पर
बच्चे को अगले दिन की परीक्षा से एक रात पहले ही उस दिन की योजना बनाने के लिए कहें। अगले दिन उठने से लेकर रिवाइज करने के तय समय और पेन-पेंसिल आदि को व्यवस्थित जगह रखने को कहें। यह अभ्यास उन्हें परीक्षा पर निकलने से पूर्व होने वाली हड़बड़ी, देरी और तनाव से बचा सकता है। कई माता-पिता की आदत होती है कि वे परीक्षा से लौटे विद्यार्थी के उत्तरों की समीक्षा करते हैं।
यह ध्यान अवश्य रखें कि अगर समीक्षा इतनी सकारात्मक नहीं लगती है, तो उत्तरों पर चर्चा करने के बजाय अगली परीक्षा पर ध्यान केंद्रित करने और बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करें। यह महत्वपूर्ण है कि माता-पिता यह समझें कि प्रत्येक बच्चे में एक निश्चित क्षमता है। बच्चे को अपनी क्षमता से अधिक अंक प्राप्त करने के लिए मजबूर करने के बजाय, माता-पिता को उन्हें परीक्षा में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में मदद करनी चाहिए।
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