गुस्से में भी बच्चों से नहीं कहनी चाहिए 5 बातें, वरना अनजाने में ही जिंदगी भर का चोट दे बैठेंगे आप
बच्चों पर गुस्सा करना या डांटना उन्हें सही-गलत के बीच अंतर सिखाने के लिए जरूरी है। लेकिन इस दौरान भी पेरेंट्स को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे अपने बच्चे को कोई ऐसी कड़वी बात न कह दें जिसका असर उनके मन पर जिंदगी भर के लिए रह जाए। इस आर्टिकल में हम ऐसी ही 5 बातों (Parenting Tips) के बारे में बताने वाले हैं। आइए जानें।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। 'गुस्सा हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है', यह वाक्य आपने भी कई बार सुना होगा। लेकिन फिर भी गुस्से में हम अपना आपा खोकर मुंह से अनाप-शनाप बाते कह देते हैं। लेकिन इससे पहले हमें ठहरकर यह सोचना चाहिए कि इससे सामने वाले के मन पर क्या असर पड़ रहा है (Parenting Tips)। खासकर अगर बात बच्चों की हो।
पेरेंटिंग बेहद जिम्मेदारी और चुनौती भरा काम है। बच्चों को सही राह दिखाने के लिए माता-पिता को कई बार सख्त होना पड़ता है, लेकिन कभी-कभी गुस्से में हम ऐसी बातें कह देते हैं जो बच्चों के मन पर गहरा आघात छोड़ जाती हैं। कुछ बातें ऐसी होती हैं, जो बच्चे जिंदगी भर नहीं भूलते। आइए जानते हैं ऐसी 5 बातें (Never Say 5 Things to Child), जो बच्चों को गुस्से में भी नहीं कहनी चाहिए।
"तुमसे कुछ नहीं होगा!"
कई बार जब बच्चे कोई काम सही से नहीं कर पाते या उनसे कोई भूल हो जाती है, तो माता-पिता गुस्से में कह देते हैं, "तुमसे कुछ नहीं होगा!" यह वाक्य बच्चे के आत्मविश्वास को तोड़ देता है। उसे लगने लगता है कि वह किसी काम के लायक नहीं है। इसकी जगह आप उसे मोटिवेट करें और कहें, "तुम और बेहतर कर सकते हो, मुझे तुम पर भरोसा है।"
यह भी पढ़ें: ये 7 संकेत बताते हैं कि खुद ही अपने बच्चे को बिगाड़ रहे हैं आप, नहीं किया सुधार तो मलते रह जाएंगे हाथ
"तुम हमेशा गलत ही करते हो!"
बच्चे गलतियां करके ही सीखते हैं, लेकिन अगर आप उन्हें बार-बार यह कहेंगे कि "तुम हमेशा गलत ही करते हो!", तो वे खुद को असफल समझने लगेंगे। इससे उनकी हिम्मत टूटती है और वे नई चीजें ट्राई करने से डरने लगते हैं। बेहतर होगा कि आप उनकी गलतियों को सुधारने में मदद करें और कहें, "अगली बार ध्यान रखना, तुम इसे बेहतर कर सकते हो।"
"तुम्हारी वजह से मेरी जिंदगी खराब हो गई!"
कभी-कभी स्ट्रेस में माता-पिता बच्चों को ऐसी बातें कह देते हैं जो उन्हें बोझ महसूस करवाती हैं। "तुम्हारी वजह से मेरी जिंदगी खराब हो गई!" जैसे वाक्य बच्चे को गिल्ट में डाल देते हैं और वह खुद को दोषी मानने लगता है। यह उसकी मेंटल हेल्थ के लिए हानिकारक है। इसकी बजाय आप अपनी भावनाओं शांति से जाहिर करें और बच्चे को समझाएं कि आप दोनों मिलकर हर समस्या का हल निकाल सकते हैं।
"दूसरों के बच्चे तुमसे बेहतर हैं!"
हर बच्चा अलग होता है और उसकी अपनी खूबियां होती हैं। जब आप उसे दूसरों से तुलना करके कहते हैं, "दूसरों के बच्चे तुमसे बेहतर हैं!", तो इससे उसका आत्मसम्मान कम होता है। वह खुद को कमतर समझने लगता है और दूसरों से ईर्ष्या करने लगता है। इसकी जगह आप उसकी अच्छाइयों की तारीफ करें और उसे बताएं कि हर इंसान में कुछ न कुछ खास होता है।
"मैं तुम्हें छोड़ दूंगा/दूंगी!"
बच्चों को सबसे ज्यादा डर अपने माता-पिता के बिछड़ने का होता है। गुस्से में कहा गया वाक्य "मैं तुम्हें छोड़ दूंगा!" उनके मन में असुरक्षा पैदा कर देता है। वह हमेशा इस डर में जीने लगता है कि कहीं उसके माता-पिता उसे छोड़ न दें। इससे उसका मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है। बच्चे को सुरक्षित महसूस कराने के लिए उसे यह बताएं कि आप हमेशा उसके साथ हैं, चाहे कुछ भी हो जाए।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।