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    छोटी-छोटी बातों पर भड़क उठता है बच्चा, तो आज ही सिखा दें 5 आदतें; अपनी गलती पर तुरंत मांगेगा माफी

    कभी पेंसिल टूट गई तो गुस्सा कभी पसंद की चीज नहीं मिली तो रोना-धोना और चीख-पुकार! क्या आपका बच्चा भी जरा-सी बात पर भड़क जाता है? अगर हां तो आप अकेले नहीं हैं। आजकल ज्यादातर माता-पिता इस समस्या (Child Anger Issues) से जूझ रहे हैं कि बच्चे छोटी-छोटी बातों को बहुत बड़ा बना लेते हैं और अपनी गलती को मानने से साफ इनकार कर देते हैं।

    By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Sat, 05 Apr 2025 05:03 PM (IST)
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    बात-बात पर आगबबूला हो जाता है बच्चा, तो इन टिप्स से रखें उसे शांत (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। How to Control Child Anger Issues: बचपन वो उम्र होती है जब इंसान की सोच, फीलिंग्स और आदतें सबसे तेजी से विकसित होती हैं, लेकिन अगर आपका बच्चा छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने लगे, बात-बात पर चिल्लाए या कभी अपनी गलती न माने, तो ये संकेत है कि उसे कुछ जरूरी सोशल हैबिट्स सिखाने की जरूरत है।

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    गुस्सा आना इंसानी भावना है, लेकिन उस पर कंट्रोल रखना और अपनी गलती मान लेना एक सीखी जाने वाली कला है। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा विनम्र, समझदार और अपनी गलती पर माफी मांगने वाला बने, तो यहां नीचे दी गई 5 आदतें उसे आज से ही सिखाना शुरू कर दें।

    फीलिंग्स को पहचानना सिखाएं

    अक्सर बच्चे इसलिए गुस्से में रिएक्ट करते हैं क्योंकि वे अपनी फीलिंग्स को समझ नहीं पाते। उन्हें बस इतना लगता है कि कुछ 'गलत' हुआ है, और वे भड़क उठते हैं।

    ऐसे में, आप बच्चे को आसान शब्दों में उसकी फीलिंग्स के नाम सिखाएं- जैसे "तुम्हें गुस्सा आ रहा है?", "क्या तुम उदास हो?"। जब बच्चा खुद अपने मन की बात कह पाएगा, तो वह गुस्सा करने के बजाय बात करेगा।

    'माफी' को शर्म नहीं, समझदारी बताएं

    कई बार बच्चे माफी मांगने से इसलिए हिचकते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे वे 'कमजोर' लगेंगे। हमें उन्हें यह समझाने की जरूरत है कि माफी मांगना कमजोरी नहीं, बल्कि समझदारी और जिम्मेदारी का प्रतीक है।

    हर बार जब आप खुद कोई गलती करें, तो बच्चे के सामने ही माफी मांगें- चाहे वो घर के किसी सदस्य से हो या बच्चे से ही। इससे वह देखेगा कि माफी मांगना जरूरी है।

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    शांत होने की तकनीकें सिखाएं

    बच्चे को गुस्से में तुरंत रिएक्शन देने की आदत होती है। ऐसे में, उसे यह सिखाना कि वह कुछ पल ठहरे, गहरी सांस ले या गिनती गिने, बहुत मददगार हो सकता है।

    बच्चे के साथ खेल-खेल में ‘शांति अभ्यास’ करें — जैसे "जब भी गुस्सा आए, तो 5 तक गिनो और फिर बताओ क्या करना चाहिए"। धीरे-धीरे ये तकनीक उसकी आदत में बदल जाएगी।

    पॉजिटिव बातों का सहारा लें

    अगर बच्चा कुछ गलत करता है और आप डांटने या चिल्लाने लगते हैं, तो वह डिफेंसिव हो जाता है और माफी मांगने के बजाय बहाना बनाने लगता है। पॉजिटिव लैंग्वेज और शांत टोन माफी मिलने को आसान बना देती है।

    उदाहरण के लिए, "तुम्हारा ये बरताव ठीक नहीं था, क्या तुम सोच सकते हो कि तुमने क्या गलत किया?" — इस तरह के सवाल बच्चे को सोचने पर मजबूर करेंगे और माफी खुद-ब-खुद आएगी।

    गुड रोल मॉडल बनें

    बच्चे वही सीखते हैं जो वे देखते हैं। अगर घर में बड़े गुस्सा करते हैं, गलती पर टालते हैं या माफी नहीं मांगते, तो बच्चा भी वही सीखेगा।

    आपका व्यवहार ही उसका सबसे बड़ा स्कूल है। अगर आप अपनी गलती मानते हैं, माफी मांगते हैं, शांत रहते हैं- तो बच्चा भी वही सीखेगा। उसे बताने से ज्यादा दिखाना असरदार होता है।

    बच्चों को माफी मांगने का तरीका सिखाएं

    सिर्फ "सॉरी" कहना काफी नहीं। बच्चों को यह सिखाएं कि माफी कैसे मांगी जाती है- जैसे,

    "मुझे माफ करना, मैंने तुम्हारी पेंसिल तोड़ दी।"

    "मैंने गुस्से में बात की, मुझे पछतावा है।"

    इससे वे सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि फीलिंग्स भी समझ पाएंगे।

    बच्चों का गुस्से में आना या गलती न मानना एक आम बात है, लेकिन यह हमेशा के लिए आदत न बने, इसलिए शुरुआती उम्र से ही सही बरताव सिखाना जरूरी है। अगर आप धैर्य, प्रेम और थोड़े से मार्गदर्शन के साथ इन आदतों पर काम करेंगे, तो आपका बच्चा न सिर्फ अपनी भावनाओं को संभालना सीखेगा, बल्कि जिम्मेदार और सेंसिटिव इंसान भी बनेगा।

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