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    घंटों पढ़ने के बाद भी Exam में बगले झांकता है बच्चा? ज्यादातर पेरेंट्स से हो रही ये 5 बड़ी चूक

    क्या आपका बच्चा घंटों किताबों के साथ बिताता है लेकिन फिर भी Exam में अच्छे मार्क्स नहीं ला पाता? अगर हां तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है। यहां हम आपको वो 5 बड़ी गलतियां बताने जा रहे हैं जो जाने-अनजाने में ज्यादातर पेरेंट्स से हो रही हैं और इसका बुरा असर बच्चों की पढ़ाई (Exam Performance) पर भी नजर आ रहा है।

    By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Tue, 01 Apr 2025 05:26 PM (IST)
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    Parenting Mistakes in Studies: बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर डालती हैं पेरेंट्स की 5 गलतियां (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। पढ़ाई के दौरान बच्चों को अपनी पूरी मेहनत लगानी चाहिए, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि बच्चे घंटों तक किताबों में सिर घुसाए रखते हैं, मगर फिर भी एग्जाम में अच्छा स्कोर नहीं कर पाते हैं। अगर आपके बच्चे के साथ भी ऐसा हो रहा है, तो हो सकता है कि आप कुछ ऐसी गलतियां (Parenting Mistakes in Studies) कर रहे हों, जो उनकी सफलता में रुकावट डाल रही हैं। आइए जानते हैं उन 5 बड़ी गलतियों (Exam Preparation Mistakes) के बारे में, जो ज्यादातर पेरेंट्स से जाने-अनजाने में हो रही हैं।

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    बच्चों पर ज्यादा प्रेशर डालना

    कई माता-पिता यह समझते हैं कि बच्चे अगर ज्यादा पढ़ेंगे तो वे अच्छे मार्क्स ला सकेंगे। वे बच्चों को अल्ट्रा-हाई एक्सपेक्टेशन देते हैं और जरूरत से ज्यादा प्रेशर डालते हैं, जो कि बच्चे की मानसिक स्थिति को खराब कर सकता है। यह दबाव न सिर्फ बच्चे के आत्मविश्वास को कमजोर करता है, बल्कि इससे चिंता और तनाव भी बढ़ता है।

    क्या करें?

    बच्चे को समझाएं कि मेहनत और कंसिस्टेंसी से ही अच्छे रिजल्ट्स आते हैं। साथ ही, बच्चों को पढ़ाई के दौरान थोड़ा आराम और मनोरंजन का समय दें ताकि वे मेंटली रीफ्रेश महसूस करें।

    सही तरीके से गाइड न करना

    कुछ पेरेंट्स बच्चों को सिर्फ पढ़ाई करने के लिए कह देते हैं, लेकिन कभी नहीं बताते कि कैसे पढ़ना चाहिए। क्या पढ़ाई रोमांचक तरीके से की जाए या फिर स्मार्ट तरीके से? बच्चों को टाइम मैनेजमेंट और स्टडी का सही तरीका न समझाना, उनकी सफलता पर सीधा असर डालता है।

    क्या करें?

    बच्चे को स्मार्ट स्टडी टूल्स जैसे टाइम टेबल, नोट्स बनाना, और रिवीजन के तरीकों के बारे में बताएं। साथ ही, बच्चों को यह समझाएं कि पढ़ाई केवल एक काम नहीं, बल्कि एक हैप्पी एक्सपीरिएंस भी होनी चाहिए।

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    सिर्फ एकेडमिक सक्सेस पर ध्यान देना

    माता-पिता अक्सर यह मानते हैं कि बच्चे की अच्छी परफॉर्मेंस सिर्फ किताबों में ही होनी चाहिए, लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि बच्चों के लिए पर्सनैलिटी डेवलपमेंट और सोशल स्किल्स भी उतनी ही जरूरी होती हैं। सिर्फ पढ़ाई पर जोर देने से बच्चों में स्मार्टनेस और कॉन्फिडेंस की कमी हो सकती है।

    क्या करें?

    बच्चों को सिर्फ एकेडमिक नहीं, बल्कि जिंदगी के अन्य पहलुओं जैसे खेलकूद, म्यूजिक, आर्ट एंड कल्चर और सोशल एक्टिविटीज में भी हिस्सा लेने के लिए मोटिवेट करना चाहिए। इससे उनकी ओवरऑल ग्रोथ बेहतर होगी और वे हर जगह आत्मविश्वास से भरपूर नजर आएंगे।

    बच्चों को पर्याप्त नींद न दिलवाना

    कई बार पेरेंट्स यह सोचते हैं कि बच्चों को रात भर पढ़ाई करने से अच्छे मार्क्स मिलेंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पर्याप्त नींद का न होना बच्चों की याद रखने की शक्ति, सोचने की क्षमता और एकाग्रता को कमजोर कर सकता है? नींद की अहमियत न समझना बच्चों की परफॉर्मेंस को खराब कर सकता है।

    क्या करें?

    बच्चे को समय पर सोने और पर्याप्त नींद लेने के लिए मोटिवेट करें। रात की एक गहरी और सुकून भरी नींद से उनकी मेंटल और फिजिकल ग्रोथ होती है, जो उनकी पढ़ाई पर भी पॉजिटिव चेंज लेकर आती है।

    अपने तरीके से पढ़ने के लिए मजबूर करना

    हर बच्चा अपनी पढ़ाई करने का तरीका अलग-अलग रखता है। कुछ बच्चों को देखकर पढ़ना अच्छा लगता है, कुछ को सुनकर, तो कुछ को लिखकर। कई पेरेंट्स यह मानते हैं कि उनका तरीका ही सही है और वे बच्चों को उसी तरीके से पढ़ने के लिए मजबूर करते हैं। यह बच्चों की क्रिएटिविटी और इनोवेशन को नुकसान पहुंचा सकता है।

    क्या करें?

    बच्चों को उनके पढ़ाई के तरीके को ढूंढने की आजादी दें। हर बच्चे की मेमोरी पावर और लर्निंग स्टाइल अलग होता है, इसलिए उन्हें खुद के बेस्ट तरीके से पढ़ने की आजादी दें।

    ध्यान रहे, बच्चे की सफलता और अच्छे मार्क्स लाने का पूरा श्रेय केवल किताबों को नहीं दिया जा सकता। बच्चों को सही मानसिकता, हेल्दी हैबिट्स और प्यार के साथ मार्गदर्शन देना जरूरी है। पेरेंट्स की गलतियां कभी-कभी बच्चों के दबाव और तनाव का कारण बन सकती हैं। इसलिए, बच्चों को समय पर आराम, सही तरीके से पढ़ाई और खेल-कूद का वक्त देना बेहद जरूरी है।

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