कॉन्फिडेंस से भरे होते हैं ऐसे पेरेंट्स के बच्चे, हेल्दी पेरेंटिंग के लिए आप भी अपनाएं ये 4 आदतें
आज के दौर में पेरेंटिंग करना एक बेहद मुश्किल काम है। डिजिटल ऐरा में पेरेंटिंग करने के दौरान कई बातों का ध्यान रखना जरूरी हो जाता है जिससे बच्चे आत्मविश्वास से भरपूर और इसके साथ ही हमेशा मानसिक रूप से खुश रहें। बच्चों के साथ पेरेंट्स के हेल्दी रिश्ते का निर्माण ही उनके अच्छी पर्सनेलिटी और बेहतर भविष्य को आकार देता है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बच्चों की सही परवरिश के लिए कई सारी बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। बच्चे काफी सारी चीजें घर और अपने माता-पिता से भी सीखते हैं। घर का माहौल और पेरेंट्स की आदतें काफी हद तक बच्चों के व्यवहार को प्रभावित करते हैं। एक बच्चे के सम्पूर्ण विकास में पेरेंट्स की अहम भूमिका होती है। एक पेरेंट ही बच्चे के चरित्र निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं।
एक बच्चा कितना खुश, स्वतंत्र और आत्मविश्वास से भरपूर है ये उसके पेरेंट्स के बिहेवियर और बच्चे के प्रति उनके रवैए पर निर्भर करता है। पेरेंट्स की कुछ आदतों की वजह से जहां बच्चों में कॉन्फिडेंस की कमी होने लगती है, तो वहीं कुछ पेरेंट्स ऐसे भी हैं, जो अपनी आदतों से बच्चों के कॉन्फिडेंश को बढ़ाते हैं। आइए जानते हैं कि पेरेंट्स की कौन सी आदतें बच्चों को बनाती हैं आत्मविश्वास से भरपूर-
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बच्चे के एफर्ट्स की प्रशंसा करना
सिर्फ रिजल्ट की प्रशंसा करने से बच्चे असफल होने पर हताश हो जाते हैं। इसलिए बच्चे के हर एक एफर्ट को समझ कर उसे मोटिवेट करने से और उसकी प्रशंसा करने से वे गलतियां करने से नहीं हिचकते और अपने एफर्ट में कभी कोई कमी नहीं छोड़ते हैं। इसलिए बच्चे के हर एफर्ट की प्रशंसा करने वाले पेरेंट्स के बच्चे आत्मविश्वास से भरपूर होते हैं।
बिना किसी शर्त के प्यार
बच्चे जब सिर्फ गुड बॉय या गुड गर्ल का टैग पाने के लिए अच्छे व्यवहार अपनाते हैं और अन्य समय पर जरा भी गलती होने पर पेरेंट्स के प्यार में कमी देखते हैं, तो वे गलतियां करने से डरते हैं और पीपल प्लीजर बनने लग जाते हैं। लेकिन जो बच्चे अपने पेरेंट्स से बिना किसी शर्त और नियम के प्यार पाते हैं, उनमें आत्मविश्वास भरा होता है।
साइलेंट ट्रीटमेंट नहीं देते हैं
जो पेरेंट्स अपने बच्चों की गलतियों पर खुल कर उनसे चर्चा करते हैं और चुपचाप शांत हो कर उन्हें मानसिक रूप से विचलित नहीं करते हैं, उनके बच्चे मानसिक रूप से स्वस्थ होते हैं और ऐसे ही बच्चे आगे चल कर हर क्षेत्र में आत्मविश्वास से भरे हुए बनते हैं।
अपनी भावनाएं व्यक्त करने की आजादी देते हैं
जो पेरेंट्स अपने बच्चों को खुल कर अपनी भावनाएं व्यक्त करने का अनुभव देते हैं, उनमें अपने हर इमोशन से डील करने की क्षमता विकसित होती है। ऐसे बच्चे आगे जा कर आत्मविश्वास से भरपूर होते हैं।
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