बच्चों की परवरिश में भूलकर भी न करें ये गलतियां, वरना बिगड़ सकता है नौनिहाल का भविष्य
आज के माता-पिता बच्चों को बेहतरीन परवरिश देने की कोशिश में कई बार गलतियां कर बैठते हैं जिससे उनके बच्चे का विकास प्रभावित होता है जैसे कि अत्यधिक सुरक्षा देना स्क्रीन टाइम पर नियंत्रण न रखना तुलना करना दबाव डालना हर समस्या हल करना। याद रखें कि संतुलित परवरिश से बच्चे आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनते हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आज की पीढ़ी के माता-पिता अपने बच्चों को एक सुरक्षित, सफल और खुशहाल जीवन देने की हर संभव कोशिश करते हैं। लेकिन बदलते समय और बढ़ते कॉम्पिटिशन के कारण कई बार वे अनजाने में ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जो बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास को प्रभावित कर सकती हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि माता-पिता अपनी इन गलतियों को समझें और सही दिशा में बदलाव करें। तो आइए जानते हैं कुछ ऐसी ही आम पेरेंटिंग गलतियों के बारे में-
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बच्चों को बहुत ज्यादा सुरक्षित माहौल देना
अधिक सुरक्षा देने से बच्चे आत्मनिर्भर नहीं बन पाते और निर्णय लेने की क्षमता विकसित नहीं कर पाते। इसलिए उन्हें चुनौतियों का सामना करने देना चाहिए, जिससे वे मजबूत बन सके।
स्क्रीन टाइम पर नियंत्रण न रखना
आजकल मोबाइल, टीवी और वीडियो गेम बच्चों की डेली लाइफ का हिस्सा बन गए हैं। ऐसे में पैरेंट्स की लापरवाही से बच्चे फिजिकल एक्टिविटी से दूर हो जाते हैं, जिससे उनका स्वास्थ्य और मानसिक विकास प्रभावित होता है।
बच्चों की तुलना करना
कई पेरेंट्स अपने बच्चों की तुलना दूसरों से करते हैं, जिससे उनमें हीनभावना पैदा हो सकती है। हर बच्चा अलग होता है, इसलिए उसे उसकी क्षमताओं के अनुसार बढ़ने देना चाहिए।
बच्चों पर अत्यधिक दबाव डालना
अच्छे नंबर लाने और हर क्षेत्र में अव्वल रहने का दबाव बच्चों को मानसिक तनाव और चिंता की ओर धकेल सकता है।
उनकी समस्याओं को खुद हल करना
यदि पैरेंट्स हर समस्या का हल खुद निकालते हैं,तो बच्चों में समस्या-समाधान की क्षमता विकसित नहीं हो पाती। ऐसे में उन्हें निर्णय लेने और गलतियों से सीखने का अवसर देना चाहिए।
अनुशासन और सीमाओं की कमी
पेरेंट्स को प्रेम और अनुशासन में संतुलन बनाए रखना चाहिए जिससे बच्चे सही दिशा में बढ़ सकें।
गलत आदतों का उदाहरण प्रस्तुत करना
बच्चे अपने पैरेंट्स के व्यवहार को देखकर ही सीखते हैं। अगर पेरेंट्स खुद मोबाइल के आदी हैं या गुस्से में अनुचित भाषा का प्रयोग करते हैं, तो बच्चे भी यही अपनाएंगे।
बच्चों की भावनाओं को अनदेखा करना
बच्चों की भावनाओं को नजरअंदाज करने से वे अपनी बात खुलकर कहने से डरने लगते हैं। इसलिए बच्चों की भावनाओं को समझना और उन्हें सपोर्ट करना बेहद जरूरी है।
बच्चों को पर्याप्त समय न देना
आज के बिजी शेड्यूल में पेरेंट्स बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम नहीं बिता पाते, जिससे उनमें अकेलेपन और असुरक्षा की भावना पैदा होने लगती है। इसलिए उन्हें अपने बच्चों के साथ नियमित रूप समय जरूर बिताना चाहिए।
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