बदलते दौर में जरूरी है सही पेरेंटिंग, इन तरीकों से बच्चों को सिखाएं गलत लोगों को पहचानना
बच्चों को गलत लोगों से सुरक्षित रखना हर माता-पिता की जिम्मेदारी होती है जिसमें कुछ पेरेंटिंग आदतें इसमें सहायक हो सकती हैं। खुलकर बातचीत करना बच्चों को अपनी भावनाएं साझा करने में मदद करता है। ऐसे में कुछ टिप्स की मदद से आप अपने बच्चों को गलत लोगों और गलत व्यवहार को पहचानने में मदद कर सकते हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अपने बच्चों की सुरक्षा करना तो हर माता-पिता की पहली जिम्मेदारी होती है, क्योंकि समाज में कई ऐसे लोग होते हैं, जो उनके लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं। इसलिए बच्चों को सही और गलत की पहचान करना सिखाना जरूरी है, जिससे वे किसी भी गलत व्यवहार या खतरे को जल्दी समझ सकें। ऐसे में पेरेंटिंग की कुछ आदतें बच्चों को ऐसे लोगों से सतर्क रहने और अपनी सुरक्षा खुद करने में मदद कर सकती हैं। तो आइए जानते हैं ऐसी कुछ पेरेंटिंग आदतों के बारे में-
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खुलकर बातचीत करें
अपने बच्चों के साथ हमेशा खुला संवाद बनाए रखें जिससे वे अपनी भावनाएं और अनुभव आपके साथ साझा कर सकें। जब वे सहज महसूस करेंगे, तो किसी भी अजीब या असामान्य व्यवहार की जानकारी तुरंत आपको देंगे।
गुड और बैड टच का मतलब समझाएं
बच्चों को स्पष्ट रूप से सिखाएं कि अच्छा और बुरा स्पर्श क्या होता है। उन्हें यह भी बताएं कि अगर वे असहज महसूस करें तो तुरंत आपको या किसी भरोसेमंद व्यक्ति को बताएं।
"न" कहना सिखाएं
कई बार बच्चे बड़ों की बात को टालने में हिचकिचाते हैं। उन्हें सिखाएं कि अगर कोई भी व्यक्ति उन्हें असहज महसूस कराए तो वे मजबूती से "न" कह सकते हैं, चाहे वह कोई भी हो।
अजनबियों से दूरी बनाए रखना सिखाएं
बच्चों को यह सिखाना जरूरी है कि वे अजनबियों से बहुत जल्दी घुल-मिल न जाएं और बिना माता-पिता की अनुमति के किसी के साथ न जाएं या कुछ न लें।
छुपी हुई भावनाओं को समझें
कई बार बच्चे खुलकर अपनी परेशानी नहीं बताते। उनके व्यवहार में बदलाव, डर या घबराहट को नोटिस करें और उनसे प्यार से बात करें जिससे वे अपनी प्रॉब्लम व्यक्त कर सकें।
किसी पर भी अंधविश्वास न करने दें
बच्चों को सिखाएं कि केवल बाहरी दिखावे या मीठी बातों से किसी पर भरोसा न करें। किसी को भी पूरी तरह से जानने से पहले उसके बारे में समझना जरूरी है।
सीक्रेट बातें साझा करने की आदत डालें
अगर कोई बच्चा कहे कि किसी ने उसे "यह बात किसी को मत बताना" कहा है, तो उसे समझाएं कि ऐसी बातें माता-पिता के साथ जरूर साझा करें।
खुद की सुरक्षा के लिए तैयार करें
बच्चों को आत्मरक्षा के आसान तरीके सिखाएं, जैसे कि तेज आवाज में मदद मांगना या किसी असहज स्थिति से तुरंत दूर जाना।
उनकी भावनाओं को महत्व दें
अगर बच्चा किसी व्यक्ति के प्रति असहज महसूस करता है, तो उसकी भावनाओं को नजरअंदाज न करें।उनकी बातों को गंभीरता से लें और जरूरी कदम उठाएं।
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