बच्चों पर प्रेशर डालकर Sorry कहलवाने के हैं ढेरों नुकसान, पेरेंट्स 5 तरीकों से कराएं गलती का एहसास
बच्चों को गलती का एहसास कराना और माफी मांगना सिखाना माता-पिता की जिम्मेदारी है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बच्चों पर दबाव डालकर या जबरदस्ती सॉरी कहलवाना (Pressuring Kids To Apologize) उनके लिए कितना नुकसानदायक हो सकता है? यह न केवल उन्हें दिखावटी माफी मांगने की आदत डालता है बल्कि उनकी इमोशनल ग्रोथ पर भी बुरा असर डालता है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हम अक्सर बच्चों से यह उम्मीद करते हैं कि जैसे ही वह कोई गलती करें, तुरंत Sorry कहें और जब वे नहीं कहते, तो उन्हें डांटकर या शर्मिंदा करके "सॉरी बोलो!" की जिद करने लगते हैं (Pressuring Kids To Apologize), लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस जबरदस्ती के पीछे बच्चे क्या महसूस करते हैं?
दरअसल, जबरन माफी मंगवाना न तो बच्चे को उसकी गलती का सही मतलब समझाता है और न ही उसमें पॉजिटिव एटीट्यूड लाता है, बल्कि यह उसके आत्मविश्वास को कम कर सकता है और वह केवल डर या शर्म के कारण माफी मांगना सीखता है, न कि सच्चे मन से।
ऐसे में, सवाल उठता है कि फिर क्या किया जाए? कैसे बच्चों को उनकी गलती का अहसास कराया जाए ताकि वे अपनी मर्जी से माफी मांगें और आगे से सावधान रहें? आइए जानते हैं ऐसे 5 समझदारी भरे तरीके (Ways To Teach Kids About Saying Sorry)।
बातचीत से समझाएं, डांट से नहीं
बच्चा जब कोई गलती करता है, तो सबसे पहले उसे अलग से बिठाकर शांत मन से बात करें। उसे बताएं कि उसका व्यवहार सामने वाले को कैसा लगा। जब बच्चे को अपने व्यवहार का असर समझ में आएगा, तभी उसमें सुधार आएगा।
- उदाहरण: "जब तुमने अपनी बहन का खिलौना तोड़ा, उसे बहुत दुख हुआ। अगर तुम्हारे साथ ऐसा होता तो तुम कैसा महसूस करते?"
"सॉरी" की बजाय "सुधार" पर दें जोर
बच्चों को बताएं कि गलती मानने का असली मतलब है अपने व्यवहार को सुधारना। केवल "सॉरी" कह देना काफी नहीं, बल्कि यह समझना जरूरी है कि आगे वैसी गलती ना दोहराएं।
- टिप: गलती के बाद कहें – "अब हम ऐसा क्या कर सकते हैं कि चीजें ठीक हो जाएं?"
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उदाहरण देकर सिखाएं
बच्चे बड़ों की नकल करते हैं। अगर वे देखते हैं कि माता-पिता भी अपनी गलती पर माफ़ी मांगते हैं, तो वे स्वाभाविक रूप से सीखते हैं कि माफ़ी मांगना शर्म की बात नहीं है, बल्कि समझदारी की निशानी है।
- उदाहरण: "माफ करना बेटा, मैंने गुस्से में ज़्यादा बोल दिया। अगली बार मैं कोशिश करूंगा कि शांत रहूं।"
फीलिंग्स की पहचान कराएं
बच्चे अक्सर अपनी भावनाओं को शब्दों में नहीं बता पाते। उन्हें यह समझने में मदद करें कि वे कब गुस्से, जलन, दुख या निराशा में हैं, और ऐसे में क्या करना सही रहेगा।
- ऐसा कहें: "क्या तुम नाराज थे कि उसने खिलौना ले लिया? हम और क्या कर सकते थे बजाय गुस्सा करने के?"
समय दें, स्ट्रेस नहीं
हर बच्चे की समझने और रिएक्शन देने की कैपेसिटी अलग होती है। तुरंत माफी की उम्मीद न करें। उन्हें सोचने और अपनी गलती का असर महसूस करने का समय दें।
- ध्यान रखें: जबरदस्ती "सॉरी" बोलवाने से बच्चा केवल शब्द दोहराएगा, फीलिंग को नहीं।
ध्यान रहे, बच्चों को सच्ची माफी का मतलब तब समझ में आता है जब उन्हें प्यार, सम्मान और समझ के साथ पाला जाए, न कि डांट-डपट से।
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