Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लाख कोशिशों के बाद भी पीछे रह जाता है बच्चा, तो इन तरीकों से पता करें इसकी वजह

    बच्चों की परवरिश हमेशा से ही एक मुश्किल रहा है। समय चाहे जो भी हो बच्चे के पालन-पोषण में पेरेंट्स को कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अपने साथियों से पीछे रह जाना इन्हीं समस्याओं में से एक है। अक्सर बच्चे लाख कोशिशों के बाद भी पीछे छूट जाते हैं। इसके कुछ कारण हो सकते हैं जिसे पेरेंट्स को समझने की जरूरत है।

    By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Sat, 26 Apr 2025 06:35 PM (IST)
    Hero Image
    इन वजहों से पीछे छूट जाते हैं बच्चे (Picture Credit- Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बच्चों की परवरिश करना हमेशा से ही मुश्किल टास्क रहा है। खासकर मौजूदा समय में यह और भी मुश्किल हो चुका है। अगर आप भी एक पेरेंट हैं, तो अक्सर अपने बच्चों के पीछे रह जाने की वजह से परेशान रहते होंगे। क्या आप भी उनमें से हैं, जो अपने बच्चे की विफलता और उसके अंदर मौजूद कमियों से हताश हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आपकी हजार कोशिशों के बावजूद भी अगर आप अपने बच्चे में कोई भी बदलाव लाने में असमर्थ हैं, तो जरूरी है बच्चे की विफलता का असल कारण की तलाश करना। बच्चा अपने साथी बच्चों के बराबर या उनसे आगे रहे इसके लिए उनकी परवरिश में छोटी और बारीक बातों पर ध्यान देना चाहिए, जो निम्न हैं-

    ऑब्जर्व करें

    एक पेरेंट होने के तौर पर आप अपने बच्चे की हर गतिविधि को ऑब्जर्व करें। बच्चा अगर किसी कारण परेशान है और खुल कर अपनी परेशानी बताने में असक्षम है, तो उससे बातें करें और उसके मन की बात पूछें। उसकी समस्या का निवारण करें जिससे वो खुल कर अपनी बात रखना सीखे और किसी परेशानी से उसके विकास में रुकावट हो रही हो तो उसे सुलझाना सीखें।

    यह भी पढ़ें-  बच्चों को बनाना है जिम्मेदार और मेहनती, तो खेल-खेल में उन्हें ऐसे सिखाएं अच्छी आदतें

    तुलना न करें

    साथी दोस्तों के सफल हो कर आगे बढ़ने पर बच्चे को गिल्ट में न आने दें। उनकी तुलना न करें और न ही उन्हें असफल होने पर बातें सुनाएं। इससे बच्चे में हीनभावना जन्म लेती है और वो मेहनत करने की जगह और भी डिप्रेस हो जाता है, जिससे अंत में वो अपने साथी बच्चों से पीछे ही रह जाता है। इसलिए बच्चे को भावनाओं को समझें और असफल होने पर उन्हें प्रेरणा दायक तरीके से हैंडल करें, जिससे वे मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित हों।

    रूटीन फिक्स करें

    बच्चे को डिसीप्लिन में रखते हुए उनके पढ़ने का रूटीन तय करें। इससे जब बच्चे को नियमित रूप से रूटीन में पढ़ने की आदत होगी तो एग्जाम के समय तक वे लगभग कंठस्थ कर चुके होंगे। इससे साथियों की तुलना में वे अगर अव्वल नहीं तो बहुत पीछे भी नहीं रहेंगे।

    तारीफ करें

    बच्चे के छोटे से बड़े एफर्ट की तारीफ करें। दूसरों के सामने बच्चे की तारीफ करने से वे और भी उत्साहित हो कर डिसीप्लिन में रहने की कोशिश करेंगे। इससे उनके सफल होने की संभावना भी बढ़ जाती है।

    कंसल्ट करें

    अगर आपको लगता है कि बच्चा अपने साथियों से अधिक कमजोर है तो उसके टीचर, हेल्थ केयर प्रोवाइडर से बात करें और बच्चे की कमियों को अच्छे से समझें। इससे आपको कमी के अनुसार बच्चे को डील करने में आसानी होगी।

    यह भी पढ़ें-  स्कूल से लौटे बच्चे से भूलकर भी न पूछें 5 सवाल, आपकी यह आदत उन्हें बना सकती है एंग्जायटी का शिकार