खत्म होने वाली है गर्मी की छुट्टियां, तो बच्चों को स्कूल भेजने से पहले जरूर कर लें ये तैयारियां
अभी तो गर्मी की छुट्टियां हुई ही थीं और बस अंगुली में गिनने जितने दिन बाकी हैं जब जाना होगा दोबारा स्कूल। तो डालें एक नजर उस शेड्यूल पर कि कहां तक पहुंची बच्चों के हालीडे होमवर्क की गाड़ी। दिल्ली पब्लिक स्कूल, आरके पुरम, नई दिल्ली की स्कूल काउंसलर कनिका मदान बता रही हैं बच्चों के स्कूल शुरू होने से पहले कर लें जरूरी तैयारी।
फिर शुरू करें तैयारी स्कूल की (Picture Credit- Freepik)
कनिका मदन, नई दिल्ली। खेलते-कूदते कब समायरा के स्कूल की गर्मी की छुट्टियां खत्म हो गईं, पता ही नहीं चला। अब बचे हैं गिनती के दिन। समायरा अब तनाव में है, क्योंकि छुट्टियों की शुरुआत में तो हालीडे होमवर्क खूब नियम से हुआ, मगर होमवर्क की गाड़ी कब स्लो होती गई, इसका कोई हिसाब नहीं। मम्मी को अलग परेशानी है क्योंकि इन दिनों समायरा के सोने-जागने का शेड्यूल पूरी तरह बिगड़ चुका है और स्कूल के दिनों में यह भी दिक्कत का कारण बनेगा। अगर यही नजारे आपके घर के भी हैं तो बेहतर होगा कि इसे सुधारने के प्रयास आज ही से शुरू कर दें।
एकदम नहीं बहुरेंगे दिन
जो आदतें लंबे समय में बिगड़ चुकी हैं, वे एक दिन में दुरुस्त नहीं हो जाएंगी। बेहतर होगा कि बचे हुए छुट्टी के दिनों को स्कूल की दिनचर्या के अनुसार ढालने के प्रयास करें। सबसे पहले जरूरी है कि बच्चे पूरी नींद लें और अब उन्हें सुबह उसी वक्त जगाएं, जैसे स्कूल के लिए निकलना हो।
खेलने, भोजन करने या पढ़ने आदि के लिए भी समय निर्धारित करें। इससे बच्चों को बदलाव के लिए तैयार होने में सहजता महसूस होगी। पढ़ाई के घंटे भी धीरे-धीरे बढ़ाने लगें क्योंकि स्कूल के छह घंटे और घर आकर पढ़ाई के दो-तीन घंटे लगातार बैठने का अभ्यास कराना भी आवश्यक है। आदत बनाने में समय लगता है, सो, इस कोशिश में 10 से 12 दिन तो लगेंगे ही।
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हो जाएं कुछ जरूरी बातें
यह समय है जब आपको देखना होगा कि क्या बच्चा वाकई स्कूल जाने के लिए तैयार है? इसके लिए देखें कि जो शेड्यूल चार्ट बनाकर छुट्टियों का होमवर्क करने की बात हुई थी, अभी उसमें कितना काम बाकी है और क्या शेड्यूल से तेज काम करने की जरूरत है। अगर कोई प्रोजेक्ट अधूरा है या उसमें काफी काम बाकी है तो यह तनाव का कारण बन जाता है। स्कूल शुरू होने के साथ ही अगर बच्चा अधूरे प्रोजेक्ट या होमवर्क के साथ स्कूल पहुंचेगा, तो न उसमें आत्मविश्वास होगा और स्कूल पहुंचकर हर कक्षा में डांट पड़ेगी सो अलग।
इसके साथ ही बच्चों में स्कूल खुलने से पहले ही पढ़ाई, परीक्षा और कक्षा में प्रदर्शन को लेकर एक डर सताने लगता है। इसके साथ ही कभी-कभी बच्चों को स्कूल में बुलिंग का सामना भी करना पड़ जाता है। बेहतर होगा कि उससे खुलकर बात करें। जरूरी नहीं है कि जब तक स्थिति हाथ से बाहर न हो जाए, तब तक आप बात ही नहीं कर रहे। उन्हें बात करने, अपनी चिंता साझा करने और खुद को व्यक्त करने के लिए एक कंफर्ट जोन उपलब्ध कराएं।
बच्चों को भी होता है तनाव
एक वाक्य जो माता-पिता बच्चों को चाहे-अनचाहे कह देते हैं कि बच्चों को इस उम्र में तनाव कैसे महसूस हो रहा है, जबकि सच यह है कि तनाव किसी उम्र की परिधि में नहीं आता। माता-पिता स्कूल दोबारा शुरू करने से पहले अपने बच्चों में आत्मविश्वास पैदा करने के लिए कई रणनीतियों का उपयोग कर सकते हैं। सबसे पहले, स्वयं माता-पिता यह स्वीकार करें कि तनाव होना एक सामान्य अनुभव है। बच्चों को भी कहें कि अक्सर लोग ऐसा महसूस करते हैं। आपका यह कहना बच्चों के लिए इस भावना से उबरने में सहायक होगा।
जरूरी है कि आप बच्चे के तनाव के स्रोत को पहचानें। हर तनाव का इलाज सिर्फ दवाएं नहीं होतीं, कई बार इसे बातचीत के माध्यम से भी हल किया जा सकता है। बच्चों को उनकी चिंताएं साझा करने के लिए प्रोत्साहित करके उनकी भावनाओं को समझें। अगर वे अपने बचे होमवर्क को लेकर तनाव में हैं तो उन्हें मदद करने का प्रस्ताव दें। ध्यान लगाकर और समय प्रबंधन के साथ एक बेहतर वातावरण स्थापित करें। बच्चों को प्यार और स्वीकृति की आवश्यकता होती है, खासकर जब वे स्वयं भावनात्मक संघर्ष से जूझ रहे हों।
छोड़ो कल की बातें
कभी-कभी बच्चों के पिछली कक्षा के अनुभव उतने सकारात्मक नहीं रहते हैं। ऐसे में उन्हें इसके लिए टोकें नहीं। उन्हें बार-बार पिछली कक्षा के कम अंक, खराब प्रदर्शन या किसी बदमाशी काे लेकर डांटने का अब कोई लाभ नहीं। अनजाने में बोलने या परिवार के सदस्यों के साथ पिछले साल की चर्चा करने से भी बचें। वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करें और बच्चे को अन्य अनुभवों के बारे में सोचने के लिए प्रोत्साहित करें। माता-पिता को भी अपने शब्दों के प्रति सचेत रहना चाहिए। चाहें तो नए सत्र के शिक्षकों से सहायता ले सकते हैं।
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