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    बच्चे को जिम्मेदार बनाने के लिए हर पेरेंट्स को करने चाहिए 3 काम, परवरिश का उदाहरण देंगे लोग

    हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा बड़ा होकर एक जिम्मेदार और समझदार इंसान बने लेकिन सिर्फ चाहने से कुछ नहीं होता इसके लिए बचपन से ही सही आदतों की नींव डालनी पड़ती है। अगर आप भी चाहते हैं कि आपका बच्चा ऐसा बने कि लोग आपकी परवरिश की मिसाल दें तो हर पेरेंट्स को ये 3 काम जरूर करने चाहिए।

    By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Mon, 16 Jun 2025 07:35 AM (IST)
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    बच्चों की परवरिश में रखें 3 बातों का खास ध्यान (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। क्या आप भी उन पेरेंट्स में से हैं जो अपने बच्चे को सिर्फ सफल ही नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार और समझदार इंसान भी बनते देखना चाहते हैं? हर सुबह आपके मन में यह सवाल उठता होगा कि आखिर ऐसी कौन-सी जादू की छड़ी है जो आपके बच्चे को आत्मनिर्भर और अपने फैसलों के प्रति जवाबदेह बना दे। यह सिर्फ एक चाहत नहीं, बल्कि हर माता-पिता का सपना होता है कि उनकी परवरिश इतनी बेहतरीन हो कि लोग उसकी मिसाल दें।

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    अगर आप भी चाहते हैं कि आपका बच्चा ऐसा बने, जो जीवन की हर चुनौती का सामना कर सके और जिसकी हर जगह तारीफ हो, तो आपको आज से ही ये 3 बेहद जरूरी काम (Ways To Raise Responsible Kids) करने शुरू कर देने चाहिए। ये आदतें न केवल आपके बच्चे का भविष्य संवारेंगी, बल्कि आपको एक बेहतरीन पेरेंट होने का गौरव भी दिलाएंगी।

    छोटी उम्र से ही दें जिम्मेदारियां

    कई पेरेंट्स सोचते हैं कि बच्चे छोटे हैं, इन्हें क्या पता! लेकिन यही सोच गलत है। आपको बच्चे को शुरू से ही उसकी उम्र के हिसाब से छोटी-छोटी जिम्मेदारियां देना शुरू करना चाहिए। उदाहरण के लिए, उन्हें अपने खिलौने खुद समेटना सिखाएं- खेलने के बाद उन्हें उनकी जगह पर रखने के लिए प्रेरित करें।

    इसी तरह, उन्हें अपना बिस्तर ठीक करना सिखाएं, सुबह उठने के बाद अपनी चादर या तकिया व्यवस्थित करने को कहें। जब बच्चा स्कूल से आए, तो उसे अपनी पानी की बोतल या टिफिन खुद सही जगह पर रखने की आदत डालें। अगर घर में कोई पालतू जानवर है, तो उसे खाना खिलाने या पानी देने जैसे छोटे काम बच्चे को सौंपें। ये छोटी जिम्मेदारियां उन्हें सिखाती हैं कि हर काम की एक प्रक्रिया होती है और उन्हें खुद अपने कामों के प्रति जवाबदेह होना चाहिए।

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    फैसलों में करें शामिल

    बच्चों को सिर्फ आदेश न दें, बल्कि उन्हें अपने फैसलों में शामिल करें। इससे उन्हें यह समझने में मदद मिलेगी कि हर फैसले के कुछ नतीजे होते हैं। उदाहरण के लिए, अगर घर के लिए कुछ नया खरीदना है, जैसे सोफा या कोई छोटा उपकरण, तो उनकी राय पूछें।

    उन्हें बताएं कि आपने कोई खास फैसला क्यों लिया है और उसके क्या रिजल्ट्स हो सकते हैं। अगर वे कोई गलत चुनाव करते हैं, तो उन्हें उसके स्वाभाविक परिणाम भुगतने दें, जब तक कि वह खतरनाक न हो। यह तरीका उन्हें सिखाता है कि अपने फैसलों की जिम्मेदारी कैसे लें और रिजल्ट्स को कैसे स्वीकार करें।

    गलतियों से सीखने का दें मौका

    बच्चे गलतियां करेंगे, यह स्वाभाविक है। जरूरी यह है कि आप उन गलतियों पर कैसा रिएक्शन देते हैं। उन्हें दंडित करने के बजाय, अपनी गलतियों से सीखने का मौका दें। अगर बच्चे से कोई चीज टूट जाती है, तो उसे डांटने या चिल्लाने के बजाय, शांत तरीके से उससे बात करें। उससे पूछें कि ऐसा क्यों हुआ और अगली बार इसे कैसे टाला जा सकता है।

    अगर संभव हो, तो उसे टूटी हुई चीज को ठीक करने में या नई चीज खरीदने के लिए अपनी पॉकेट मनी से योगदान करने में शामिल करें। यह दृष्टिकोण उन्हें सिखाता है कि गलतियां सीखने का एक हिस्सा हैं, और उन्हें अपनी गलतियों की जिम्मेदारी लेकर उन्हें सुधारने का प्रयास करना चाहिए, बजाय इसके कि वे डरें या चीजों को छिपाएं। 

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