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    लड़कों को भी चाह‍िए प्‍यार भरा स्‍पर्श, नहीं तो द‍िल में बस सकती है तन्‍हाई; ऐसे मदद करें पेरेंट्स

    Updated: Sat, 14 Jun 2025 11:25 AM (IST)

    यह लेख लड़कों में टच स्टार्वेशन यानी प्यार भरे स्पर्श की कमी के बारे में है। बचपन से ही लड़कों को मर्द बनने और अपनी भावनाओं को दबाने की सीख दी जाती है जिससे वे प्यार और अपनेपन से वंचित रह जाते हैं। यह मानसिक तनाव और अकेलेपन का कारण बन सकता है।

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    लड़कों को भी होती है प्‍यार भरे स्‍पर्श की जरूरत। (Image Credit- Freepik)

    लाइफस्‍टाइल डेस्‍क, नई दि‍ल्‍ली। आपने अक्‍सर देखा होगा क‍ि जब भी काेई टीम कोई बड़ा टूर्नामेंट जीतती है तो ख‍िलाड़ी एक दूसरे काे गले लगाते हैं। उनकी पीठ थपथपाते हैं। इसकी खुशी इतनी होती है क‍ि वे उछल कूद तक करने लगते हैं। ये वो पल हाेता है जब वो एक दूसरे के साथ हसीन पलों काे खुलकर जीते हैं। लेक‍िन सोचने वाली बात ये है क‍ि ये सब वो बचपन में क्‍यों नहीं कर पाते हैं।

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    यही प्‍यार और अपनापन उन्‍हें बचपन में क्‍यों नहीं म‍िल पाता है। दरअसल हमारा समाज ही ऐसा है। जहां बचपन से ही लड़कों को ये सि‍खाया जाता है क‍ि उन्‍हें मर्द बनना है। उन्‍हें अपने द‍िल को मजबूत रखना है। यही कारण है क‍ि बचपन में वे लड़के टच स्टार्वेशन यानी क‍ि प्‍यार भरे स्पर्श की कमी का शिकार हो जाते हैं।

    इसका सीधा सा मतलब यही है क‍ि उन्‍हें प्‍यार से छूने और उसके एहसास से दूर रखा जाता है। इससे न स‍िर्फ उनकी फील‍िंग्‍स हर्ट होती है बल्कि यह मानसिक तनाव, अकेलापन, डिप्रेशन जैसी समस्याएं लड़कों में पैदा कर सकता है।

    क्‍या होता है टच स्टार्वेशन?

    टच स्टार्वेशन को स्किन हंगर या टच डिप्रिवेशन भी कहा जाता है। ये एक ऐसी कंडीशन हाेती है जब किसी को प्‍यार भरा स्‍पर्श नहीं म‍िल पाता है। जब भी क‍िसी लड़के काे गले लगाने, हाथ पकड़ने, थपथपाने या क‍िसी भी तरह का फ‍िज‍िकल टच नहीं म‍िल पाता है तो उसे टच स्‍टार्वेशन कहते हैं। यह सिर्फ रोमांस का ज‍र‍िया नहीं बल्कि दोस्तों, परिवार और यहां तक कि पेट एन‍िमल्‍स के साथ भी हो सकता है।

    टच स्टार्वेशन से लड़कों को हाे सकती हैं ये दिक्कतें 

    • जब लड़कों को प्यार और अपनापन नहीं मिलता, तो वे अकेलेपन का श‍िकार हो जाते हैं। 
    • स्पर्श की कमी से उनमें गुस्‍सा बढ़ता जाता है।
    • ऐसे लड़कों को दूसरों से घुलना-मिलना अच्‍छा नहीं लगता है।
    • अपनापन न मिलने से तनाव बढ़ने लगता है। 
    • वे अपनी भावनाओं को शेयर नहीं कर पाते हैं।

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    स्‍पर्श की कमी से दूर हो जाते हैं बच्‍चे

    एक्‍सपर्ट्स का मानना है क‍ि जब बच्चे पैदा होते हैं, तो उन्हें मां की गोद में लिटाना सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि ये वैज्ञानिक रूप से भी फायदेमंद माना जाता है। हालांक‍ि जब धीरे-धीरे लड़क‍े बड़े होने लगते हैं तो उन्हें ये सिखाया जाता है कि ज्‍यादा गले मिलना, रोना, या किसी को छूकर अपनापन दिखाना मर्दानगी का हिस्‍सा नहीं होती है। इसी सोच के कारण वे लड़के स्पर्श से दूर होते चले जाते हैं। इससे अपने बच्‍चों को न‍िकालने के ल‍िए पेरेंट्स ही मदद कर सकते हैं।

    क्या कर सकते हैं माता-पिता?

    • सबसे पहले माता प‍िता को खुद बच्‍चों को समझना होगा। क‍ि लड़कों को भी प्‍यार भरे स्‍पर्श की जरूरत होगी। अगर मां-बाप ही झिझकते नजर आएंगे तो बच्चा भी डर जाएगा।
    • रोजाना की एक्टिविटीज में स्पर्श को शामिल करें। जैसे कहानी पढ़ते समय पास बैठकर, सिर सहलाकर या गले लगाकर उन्‍हें ये एहसास द‍िलाएं क‍ि आप सब उनके साथ हैं।
    • अपने बेटे से पूछें कि उसे किस तरह का स्पर्श अच्छा लगता है। सिर पर हाथ फेरना, पीठ थपथपाना या हाथ पकड़ना।
    • अगर बेटा बड़ा हो रहा है और गले लगने से कतराने लगा है तो ओकेजनली आप उसे गले लगा सकते हैं।
    • प्‍यार से गले गलाने को रूटीन में शामि‍ल करें।

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