Lie Detection Tricks: इन 6 माइंड रीडिंग ट्रिक्स से मिनटों में पहचानें सामने वाला झूठ बोल रहा है या सच
सच और झूठ का पता लगाना कई बार मुश्किल हो सकता है। समझ नहीं आ पाता कि सामने वाला हमसे सच कह रहा है या झूठ। लेकिन इसका पता लगाने के कुछ आसान तरीके (Lie Detection Tricks) हम इस आर्टिकल में आपको बताने वाले हैं। इन साइकोलॉजिकल ट्रिक्स से आप सामने वाले का माइंड रीड कर सकते हैं और सच और झूठ का पता लगा सकते हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दिनभर में हमारा कई लोगों से कॉन्टेक्ट होता है। ऐसे में सामने आपसे कब झूठ बोल रहा है और कब सच, इस बात का पता लगाना काफी मुश्किल हो सकता है। झूठ पकड़ना (How To Detect Lies) हमेशा आसान नहीं होता।
लेकिन साइकोलॉजी की कुछ ट्रिक्स (Lie Detection Tricks) की मदद से आप सामने वाले की बॉडी लैंग्वेज और व्यवहार को समझकर पता लगा सकते हैं कि सामने वाला व्यक्ति झूठ बोल रहा है या सच। आइए जानें 6 ऐसे साइकोलॉजिकल ट्रिक्स (Mind Reading Techniques), जिनकी मदद से आप सामने वाले के झूठ को आसानी से पहचान सकते हैं।
सच या झूठ का पता लगाने के लिए साइकोलॉजिकल ट्रिक्स (Lie Detection Techniques)
आई कॉन्टैक्ट (Eye Contact) पर ध्यान दें
झूठ बोलने वाले लोग अक्सर आंखों से आंखे मिलाने से बचते हैं या फिर बहुत ज्यादा सीधी नजर से देखते हैं। आमतौर पर सच बोलने वाले लोग आराम से आई कॉन्टैक्ट बनाए रखते हैं, लेकिन झूठे लोग या तो नजरें चुराएंगे या फिर जानबूझकर ज्यादा देर तक सीधी नजर से देखेंगे। अगर कोई व्यक्ति बात करते समय बार-बार नजरें घुमा रहा है, तो यह एक संकेत हो सकता है कि वह झूठ बोल रहा है।
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बॉडी लैंग्वेज को ऑब्जर्व करें
शरीर की मूवमेंट्स से भी काफी कुछ पता चलता है। झूठ बोलने वाले लोग अक्सर बेचैनी महसूस करते हैं, जैसे-
- बार-बार हाथों को मलना
- पैरों का हिलना
- चेहरे या गर्दन को बार-बार छूना
- शरीर को सामने वाले से दूर करना
अगर कोई व्यक्ति बात करते समय असहज लग रहा है और उसकी बॉडी लैंग्वेज ओपन नहीं है, तो हो सकता है कि वह सच न बोल रहा हो।
वॉइस टोन और स्पीच पैटर्न में बदलाव
झूठ बोलते समय अक्सर लोगों की आवाज में बदलाव आ जाता है। वे या तो बहुत तेज बोलने लगते हैं या फिर उनकी आवाज धीमी और साफ नहीं रहती है। कुछ लोग बीच-बीच में हकलाने लगते हैं या बात को घुमा-फिराकर कहते हैं। अगर सामने वाले का स्पीच पैटर्न अचानक बदल जाए, तो यह भी झूठ बोलने का एक संकेत हो सकता है।
ज्यादा डिटेल्स देना या बहुत कम जानकारी देना
कुछ झूठे लोग अपनी कहानी को विश्वसनीय बनाने के लिए बहुत ज्यादा डिटेल्स देते हैं, जो आमतौर पर जरूरत से ज्यादा होती हैं। वहीं, कुछ लोग जानबूझकर बहुत कम बोलते हैं ताकि कोई गलती न हो। अगर कोई व्यक्ति बिना किसी वजह के बहुत ज्यादा डीटेल्स दे रहा है या फिर बिल्कुल ही छोटे-छोटे जवाब दे रहा है, तो यह संदेह पैदा कर सकता है।
इमोशनल रिएक्शन में देरी
सच बोलने वाले लोगों के इमोशन और शब्द एक-दूसरे से मेल खाते हैं, लेकिन झूठ बोलने वाले अक्सर नकली भावनाएं दिखाते हैं। उनके चेहरे के एक्सप्रेशन और उनके शब्दों में मिसमैच हो सकती है। जैसे, कोई दुखी होने का नाटक कर रहा है, लेकिन उसकी आंखों में भावनाएं नहीं हैं।
सवालों के जवाब में उलझन या बचाव
जब आप किसी पर शक करते हैं और सीधे सवाल पूछते हैं, तो झूठे लोग अक्सर बचाव करने लगते हैं। वे आपको जवाब देने की बजाय सवालों से बचने की कोशिश करते हैं या गुस्सा दिखाने लगते हैं। अगर कोई व्यक्ति बिना वजह डिफेंसिव हो जाए, तो यह झूठ बोलने का एक संकेत हो सकता है।
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