'कसमें-वादे' खाकर भी लोग क्यों छोड़ जाते हैं साथ... समझें क्या है Ghosting और इससे कैसे बचेंगे आप?
कभी ऐसा हुआ है कि कोई आपका बहुत ही करीबी, आपका भरोसेमंद दोस्त या पार्टनर अचानक बिना बताए आपकी जिंदगी से गायब हो गया? कल तक जो वादे कर रहा था, वही आज मैसेज का जवाब तक नहीं देता। न कोई वजह, न कोई झगड़ा- सिर्फ एकदम से चुप्पी। दरअसल, इसी को आजकल कहा जाता है- Ghosting...

Ghosting In Relationships: क्यों लोग बिना वजह गायब हो जाते हैं? (Image Source: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। कभी आपने सोचा है- जो कल तक ‘हमेशा साथ रहने’ की कसम खा रहा था, वही आज बिना कुछ कहे ऐसे गायब हो जाता है जैसे वो कभी था ही नहीं?
एक दिन चैट में घंटे भर प्यार भरी बातें…
और दूसरे ही दिन- न रिप्लाई, न कॉल, न कोई वजह!
बस एक अजीब-सी खामोशी, जो आपके सारे सवालों को हवा में लटका देती है।
आज के डिजिटल दौर में यह गायब होना कोई जादू नहीं है। बता दें, इसे कहते हैं घोस्टिंग, यानी एक ऐसा व्यवहार जो रिश्तों को सबसे ज्यादा गहराई से तोड़ता है। जी हां, यह दर्द इसलिए भी बड़ा लगता है क्योंकि रिश्ता टूटता है, मगर वजह नहीं मिलती और इंसान सोचता रह जाता है- “आखिर हुआ क्या?”

घोस्टिंग क्या है? (What is Ghosting)
घोस्टिंग का मतलब है किसी रिश्ते या बातचीत से अचानक पूरी तरह कट जाना।
आप मैसेज करें, कॉल करें, सामने मिलना चाहें- सामने वाला बस जवाब देना बंद कर देता है। वो आपको ब्लॉक भी कर सकता है या बस 'सीन' पर छोड़ देता है। यानी बिना किसी कारण बताए रिश्ते को ऐसे तोड़ देना, जैसे कभी था ही नहीं।
लोग घोस्ट क्यों करते हैं? (Why People Ghost)
घोस्टिंग हमेशा धोखे या बुरे इरादे की वजह से नहीं होती। कई बार इसके पीछे भावनात्मक डर, दबाव या असुरक्षा होती है।
भावनाओं का सामना न कर पाना
कई लोग ‘ना’ बोलने या किसी बात को साफ-साफ कहने से बचते हैं। उन्हें लगता है कि बात करना मुश्किल होगा, इसलिए वो भाग जाना आसान समझते हैं।
रिश्ते की गंभीरता से घबराना
जब रिश्ता गहरा होने लगे तो कुछ लोग जिम्मेदारी से डरकर पीछे हट जाते हैं।
बेहतर विकल्प की तलाश
सोशल मीडिया और डेटिंग ऐप्स के दौर में कई लोग लगातार “कुछ और बेहतर मिलेगा” की सोच में रहते हैं। ये भी घोस्टिंग की बड़ी वजह है।
झगड़ा या असहमति से बचना
सामने बात करने से असहज महसूस होता है, इसलिए कुछ लोग चुपचाप दूर हो जाते हैं।
स्वभाव या मानसिक स्थिति
इंट्रोवर्ट, चिंतित स्वभाव या हाल में कोई भावनात्मक झटका- ये भी इंसान को दूरी बनाने पर मजबूर कर सकता है।

घोस्टिंग का असर क्या होता है?
घोस्टिंग आपके भीतर कई सवाल, दर्द और भ्रम छोड़ जाती है।
“मेरी गलती क्या थी?”
“मैं काफी नहीं था?”
“कहीं कुछ बुरा हुआ है क्या?”
ये सोच-सोचकर इंसान चिंता, तनाव या आत्मविश्वास की कमी का शिकार भी हो सकता है। क्योंकि, रिश्ते का अंत साफ-साफ न होने पर दिल और दिमाग दोनों थक जाते हैं।
क्या हर घोस्टिंग बुरी होती है?
दिलचस्प बात यह है कि कुछ स्थितियों में घोस्टिंग सही या जरूरी भी हो सकती है- जैसे किसी का व्यवहार टॉक्सिक हो जाए, अब्यूसिव हो जाए या लगातार परेशान करने लगे। ऐसी स्थितियों में दूरी बना लेना ही सही होता है, लेकिन बिना वजह गायब होकर किसी भावनात्मक रूप से जुड़े इंसान को चोट पहुंचाना- यह गलत है।

घोस्टिंग से कैसे बचें? (How To Avoid Being Ghosted)
शुरुआत में ही सीमाएं तय करें
रिश्ते की शुरुआत में ही बातचीत की आदतें, सीमाएं और उम्मीदें साफ कर दें। जितनी स्पष्टता होगी, उतना कम भ्रम होगा।
भरोसेमंद लोगों से जुड़ें
जो लोग अपने शब्दों और बरताव में स्थिर होते हैं, उनके घोस्ट करने की संभावना कम होती है।
सोशल मीडिया इंटरेक्शन को असल समझ न बनाएं
लाइक, रिप्लाई या प्यारी चैट हमेशा वास्तविक जुड़ाव नहीं होती। भावनाओं में निवेश करने से पहले थोड़ा समय दें।
खुद को तुरंत जुड़ने से रोकें
कभी-कभी जल्दी जुड़ना ही सबसे बड़ी गलती होती है। धीरे-धीरे भरोसा बनाएं, ताकि अचानक गायब होने का दर्द कम हो सके।
अपनी भावनाओं को प्राथमिकता दें
अगर सामने वाला बार-बार अवहेलना कर रहा है, जवाब टाल रहा है- तो यह संकेत है कि वह रिश्ता गंभीर नहीं ले रहा। आपको ऐसे रिश्ते से खुद को बचाना चाहिए।

अगर कोई आपको घोस्ट कर दे, तो क्या करें? (Ways to Respond to Ghosting)
खुद को दोष न दें
कई बार समस्या सामने वाले में होती है, न कि आपमें।
आखिरी बार साफ संदेश भेजें
एक बार विनम्रता से पूछें कि सब ठीक है या नहीं। अगर फिर भी जवाब न मिले- बस यहीं रुक जाएं।
पीछा न करें
लगातार कॉल करना या मैसेज करना आपको और अधिक परेशान करेगा।
अपनी ऊर्जा सही जगह लगाएं
परिवार, दोस्तों, काम या शौक में ऊर्जा लगाएं। धीरे-धीरे आपका भावनात्मक संतुलन लौट आएगा।
याद रखें- आप बेहतर के लायक हैं
जिसे आपको छोड़कर गायब होना आसान लगता है, वह कभी आपका नहीं था।
घोस्टिंग एक ऐसा दर्द है जिसे आज लगभग हर किसी ने कभी न कभी झेला है, लेकिन इसकी वजहें समझकर, सही लोगों को चुनकर और अपनी सीमाएं तय करके आप खुद को इस भावनात्मक चोट से काफी हद तक बचा सकते हैं। याद रखें- सही लोग कसमें-वादे नहीं, बल्कि साथ निभाने की हिम्मत रखते हैं।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।