बच्चों को एक्स्ट्रा प्रेशर नहीं, प्यार की है जरूरत है; एग्जाम में ऐसे बढ़ाएं उनका मनोबल
कथनी और करनी में बहुत अंतर होता है। कई बार माता-पिता दूसरों के किस्से सुनाकर या असंभव सा लक्ष्य सामने रखकर बच्चों पर दबाव डाल देते हैं जबकि उन्हें आपके संवादों से ज्यादा साथ की जरूरत है जो बढ़ाए उनका हौसला। परीक्षा की तैयारी रिश्तों पर न पड़े भारी। कर्नल (डा.) अग्निवेश पांडेय सलाह दे रहे हैं कि किस तरह एडजस्ट करें अपना टाइमटेबल बच्चों की एग्जाम शीट के साथ।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बोर्ड परीक्षाओं का शुभांरभ हो चुका है और इसके लिए भारत सरकार की गंभीरता का आंकलन इस बात से लगाया जा सकता है कि अब स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कमान संभाल ली है और परीक्षा पे चर्चा के नए-नए एपिसोड के माध्यम से लगातार सुझावों और समाधानों पर बल दिया जा रहा है, जिससे विद्यार्थी ही नहीं, उनके अभिभावक भी लाभान्वित हो सकें।
स्थापित करें सकारात्मक संवाद
यूं तो अक्सर सलाह दी जाती है कि पढ़ाई के बीच कुछ वक्त आराम या अपने पसंद के काम में बिताएं, पर माता-पिता की बेचैनी तब बढ़ जाती है जब वे देखते हैं कि उनका बच्चा शाम को खेलने गया है या वो टेलीविजन पर कोई कार्यक्रम देख रहा है या अपना कोई मनपसंद कार्य कर रहा है। ऐसे में अक्सर माता-पिता का रटा-रटाया संवाद होता है कि तुम अपना समय बर्बाद कर रहे हो, तुम्हें और समय पढ़ाई को देना चाहिए। तुम पड़ोसी के बच्चे से कम अंक लाओगे, तुम फेल हो जाओगे या तुम मेरी नाक कटा दोगे, जबकि यह समय बच्चों के साथ सकारात्मक संवाद स्थापित एवं सहयोग करने का है।
अगर अभिभावक अपने बच्चों की उन्नति और अच्छे अंकों की अपेक्षा रखते हैं तो उन्हें चाहिए कि वे बच्चों को उनकी समय सारणी बनाने में मदद करें। जिससे बच्चे पढ़ाई के साथ मनोरंजन और आराम करने का समय भी निर्धारित कर सकें।
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महसूस कराएं सुरक्षा का भाव
अमूमन यह होता है कि अभिभावक शैक्षणिक सत्र के प्रारंभ में ही बच्चों को ट्यूशन या आनलाइन क्लास शुरू करवाकर यह मान लेते हैं कि वे अपने कर्तव्य से मुक्त हुए और अब उनके बच्चे अच्छे अंक हासिल कर लेंगे, जबकि माता-पिता की जिम्मेदारी कभी खत्म नहीं होती।
सभी अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों के साथ बराबर की भागीदारी सुनिश्चित करें। लगातार उनकी तैयारी में सहभागिता करें जिससे बच्चों में एक सुरक्षात्मक भाव उत्पन्न हो। इससे बच्चे समझ पाएंगे कि माता-पिता हमारी परीक्षा के विषय में की गई तैयारी से अवगत हैं। परीक्षा का यह समय तनाव से परिपूर्ण रहता है। जब भी बच्चे किसी विषय को पढ़ेंगे तो उन्हें कुछ ऐसे अनसुलझे पहलू मिलेंगे जिनके उचित उत्तर उनके पास नही होंगे।
आज के तकनीकी युग में इंटरनेट और अन्य माध्यमों से समस्या का हल तो खोजा जा सकता है, लेकिन शिक्षक का स्थान कोई नहीं ले सकता है। अतः हर अभिभावक को हमेशा शिक्षकों के संपर्क में रहना चाहिए ताकि बच्चों को कोई ऐसी दिक्कत आ रही हो, जहां एक शिक्षक के हस्तक्षेप की आवश्यकता हो तो उनके शिक्षकों से संपर्क कर समस्या को सुलझाने में मदद करनी चाहिए।
परीक्षाओं के दौरान रिश्तेदारों और दोस्तों को घर पर बुलाने से बचें अन्यथा बच्चों का ध्यान आपकी बातों और मनोरंजन में लगा रहता है या वे नजरअंदाज महसूस करते हैं। इसी तरह प्रयास करें कि आप स्वयं भी किसी विवाह आदि समारोह में न जाएं और यदि जाएं तो शीघ्र लौटें ताकि बच्चे को घर में अकेलापन न महसूस हो।
लक्ष्य के प्रति करें अग्रसर
यह ऐसा समय है जब बच्चे कितना भी पढ़ाई कर लें, उन्हें हमेशा ऐसा अनुभव होता है कि कुछ छूट गया है। ऐसे समय में अभिभावक बच्चों को प्रोत्साहित करें, जिससे कि उनका आत्मविश्वास बना रहे और वे निरंतर अपने लक्ष्य के प्रति अग्रसर रहें। माता-पिता को चाहिए कि वे धैर्य रखें एवं बच्चों को विश्वास दिलाएं कि परीक्षा सिर्फ ज्ञान जांचने का माध्यम है। इससे जीवन की सफलता एवं असफलता का निर्धारण नहीं हो सकता है।
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