बात-बात पर झूठ बोलने लगा है बच्चा, तो डांट-फटकार नहीं; इन 5 तरीकों से छुड़ाएं यह बुरी आदत
अक्सर माता-पिता तब परेशान हो जाते हैं जब उनका बच्चा छोटी-छोटी बातों में भी झूठ बोलने लगे। बता दें कि इस स्थिति में गुस्सा करना या सजा देना समस्या को और बिगाड़ सकता है। कई बार बच्चे डर या दबाव के चलते ऐसा करते हैं इसलिए अगर हम सही समझदारी (Parenting Tips) और प्यार से काम लें तो इस आदत को आसानी से सुधारा जा सकता है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। सोचिए, आपका बच्चा सामने खड़ा है और आपसे कह रहा है – “मम्मी, मैंने होमवर्क कर लिया,” लेकिन आप जानती हैं कि उसने कॉपी तक नहीं खोली। या फिर वो कहता है – “मैंने मोबाइल को हाथ भी नहीं लगाया,” लेकिन स्क्रीन टाइम देखने पर कुछ और ही पता चल रहा है। ऐसे झूठ जब रोज-रोज सुनाई देने लगें, तो चिंता होना बिल्कुल नॉर्मल है।
कई माता-पिता ऐसे समय में गुस्से से भर जाते हैं – डांटते हैं, सजा देते हैं या बात करना ही बंद कर देते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एक मासूम बच्चा झूठ क्यों बोलता है (Why Children Lie Frequently)? क्या वो जान-बूझकर ऐसा करता है, या उसके पीछे कोई वजह छिपी होती है?
असलियत ये है कि बच्चों का झूठ अकसर डर, दबाव या स्वीकार किए जाने की चाहत से आता है – ना कि किसी बुरी नीयत से और अगर सही समझदारी से न निपटा जाए, तो यही झूठ आदत बनकर उनके स्वभाव का हिस्सा बन सकता है। तो चलिए जानते हैं कि बिना डांट-फटकार के प्यार और समझदारी से कैसे छुड़ाएं बच्चों की ये झूठ बोलने की आदत (How To Stop Kids From Lying)।
डर का माहौल खत्म करें, प्यार से बात करें
बच्चे अक्सर झूठ तब बोलते हैं जब उन्हें सच्चाई बताने पर डांट या सजा मिलने का डर होता है। अगर घर का माहौल डर और अनुशासन से भरा होगा, तो बच्चा हर बात छिपाने लगेगा। इसलिए जरूरी है कि आप एक खुले और सुरक्षित माहौल बनाएं, जहां बच्चा बिना डरे आपसे हर बात कह सके।
जैसे ही आप देखें कि बच्चा कुछ छिपा रहा है, उससे शांति से पूछें, “कोई बात है जो तुम बताना चाहते हो?” इससे वह खुद को ज्यादा कम्फर्टेबल महसूस करेगा।
सच बोलने पर तारीफ करें
जब बच्चा कोई गलती करने के बाद भी सच बोलता है, तो उसकी तारीफ जरूर करें। जैसे – "मैं जानता हूं तुमसे गलती हुई, लेकिन तुमने सच बोला, ये बहुत अच्छी बात है।" ऐसा करने से बच्चे को लगेगा कि सच बोलना भी सराहा जाता है और वह अगली बार झूठ बोलने से पहले कई बार सोचने लगेगा।
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खुद बनें एक अच्छा उदाहरण
बच्चे वही सीखते हैं जो वो अपने आस-पास देखते हैं। अगर घर में बड़े सदस्य कभी-कभी झूठ बोलते हैं, जैसे – “बोल दो कि मैं घर पर नहीं हूं”, तो बच्चा भी उसे सही समझने लगता है। इसलिए खुद को भी ईमानदारी का उदाहरण बनाना होगा। अगर कभी कोई मजाक या सफेद झूठ भी बोलें, तो बच्चे को समझाएं कि आपने ऐसा क्यों किया।
सिखाएं ईमानदारी की कीमत
बच्चों को कहानियां सुनना बहुत पसंद होता है। इस आदत का फायदा उठाकर आप उन्हें झूठ और सच के बीच अंतर बताने वाली कहानियां सुना सकते हैं। जैसे – 'शेर आया, शेर आया' वाली कहानी या 'गांधी जी की सच्चाई' से जुड़ी घटनाएं। जब बच्चा कहानियों में देखेगा कि झूठ बोलने का अंत बुरा होता है, तो वह खुद भी सोचने लगेगा।
हर छोटी बात पर टोकना छोड़ें
अगर आप हर छोटी गलती या झूठ पर बच्चे को टोकते हैं, तो वह डिफेंसिव हो जाता है और और झूठ बोलने लगता है। इसके बजाय कभी-कभी उसकी बात पर भरोसा जताएं, भले आपको लगे कि वह झूठ बोल रहा है। जब बच्चा देखेगा कि आप उस पर विश्वास करते हैं, तो धीरे-धीरे वह भी ईमानदार बनने लगेगा।
ध्यान रहे, बच्चों की झूठ बोलने की आदत कोई बड़ी बीमारी नहीं है, बल्कि एक सीखने का दौर है। अगर आप धैर्य, समझदारी और थोड़े प्यार से काम लें, तो ये आदत धीरे-धीरे खत्म हो सकती है। बच्चों को डांटना या सजा देना इस सिचुएशन को और खराब कर सकता है, इसलिए अपने बच्चे को सुनें, समझें और साथ मिलकर उसे सही रास्ता दिखाएं।
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