ये 5 लक्षण बताते हैं कि बच्चे को हो रही है स्कूल एंग्जायटी, इससे निपटने के लिए पेरेंट्स करें 5 काम
क्या आपका बच्चा सुबह उठते ही स्कूल जाने से इनकार कर देता है या उसे बहुत जोर-जबरदस्ती से स्कूल भेजना पड़ता है (School Anxiety Warning Signs)? अगर हां तो हो सकता है कि आपका बच्चा स्कूल एंग्जायटी से जूझ रहा हो। यह एक साइकोलॉजिकल कंडीशन है जिसके कारण बच्चे की फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर असर पड़ता है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। स्कूल का नाम सुनते ही अगर आपके बच्चे का मूड खराब हो जाता है, वह बीमार होने का बहाना करने लगता है या फिर चिड़चिड़ा हो जाता है, तो यह सामान्य डर से कहीं ज्यादा हो सकता है। यह स्कूल एंग्जाइटी या स्कूल जाने के तनाव का संकेत (School Anxiety Symptoms) हो सकता है।
यह एक ऐसी मनोदशा है, जहां बच्चा स्कूल जाने, वहां के माहौल या किसी खास स्थिति के बारे में इतना ज्यादा घबराने लगता है कि इसका सीधा असर उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने लगता है। एक पेरेंट के तौर पर इस स्थिति को पहचानना और समय रहते इसका सही तरीके से सामना करना बेहद जरूरी है। आइए पहले जानते हैं वे कौन से लक्षण हैं जो बताते हैं कि आपका बच्चा स्कूल एंग्जाइटी का सामना कर रहा है और इससे डील करने में आप कैसे मदद (School Anxiety Coping Tips) कर सकते हैं।
स्कूल एंग्जाइटी के लक्षण कैसे होते हैं?
- शारीरिक शिकायतें- स्कूल जाने से ठीक पहले बच्चे का सिरदर्द, पेटदर्द, उल्टी या जी मिचलाना, दस्त लगना या बार-बार टॉयलेट जाना आम है। ये लक्षण अक्सर वीकेंड या छुट्टियों में गायब हो जाते हैं।
- स्कूल जाने से इनकार करना- बच्चा सुबह उठते ही स्कूल जाने से इनकार करता है, जाने के लिए बहुत जोर-जबरदस्ती करनी पड़ती है, रोता है या गुस्सैल व्यवहार करता है।
- नींद और खाने की आदतों में बदलाव- रात को ठीक से सो नहीं पाता, बार-बार डरावने सपने आना या भूख कम लगना।
- गुस्सा करना- छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा होना, भाई-बहन या पेरेंट्स पर चिल्लाना।
- मनोवैज्ञानिक लक्षण- लगातार चिंता, फिक्र, पढ़ाई पर फोकस करने में परेशानी, खुद को दूसरे बच्चों से कम आंकना और परीक्षा या होमवर्क को लेकर बहुत ज्यादा घबराहट।
- दोस्तों से दूर होना- दोस्तों से मिलने-जुलने, पार्टियों में जाने या स्कूल के बाद की एक्टिविटीज में हिस्सा लेने से कतराना।
इसे मैनेज करने के लिए पेरेंट्स क्या कर सकते हैं?
खुलकर और धैर्य से बातचीत करें
सबसे पहला और जरूरी कदम है बच्चे से बात करना। उस पर सीधे सवाल न दागें जैसे "तुम्हें स्कूल से डर क्यों लगता है?" इसके बजाय, प्यार से पूछें, "मैंने देखा तुम आज सुबह उदास लग रहे थे, क्या बात है? क्या मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं?" उसकी बात को बिना टोके सुनें और उसकी भावनाओं को वैलिडेट करें। उसे यह एहसास दिलाएं कि उसका डर वाजिब है और आप उसके साथ हैं।
स्कूल के स्टाफ से जुड़ें
अपने बच्चे की परेशानी के बारे में क्लास टीचर, स्कूल काउंसलर या प्रिंसिपल से बात करें। शिक्षक अक्सर कक्षा में बच्चे के व्यवहार पर एक अलग नजरिया रखते हैं। वे बच्चे को होने वाली किसी बुलिंग, पढ़ाई के दबाव या सामाजिक अलगाव के बारे में बेहतर बता सकते हैं। उनसे मिलकर एक प्लान बनाएं, जैसे बच्चे के लिए एक 'सेफ पर्सन' का होना या होमवर्क में थोड़ी छूट देना।
एक पॉजिटिव रूटीन बनाएं
जब रूटीन फिक्स नहीं होता, तो एंग्जाइटी बढ़ती है। एक रूटीन सेट करने से बच्चे को पता रहता है कि आगे क्या होने वाला है, जिससे उसका डर कम होता है। रात में बैग तैयार करना, अगले दिन के कपड़े निकालना और पूरी नींद लेना, ये छोटे-छोटे काम तनाव कम करने में मददगार साबित होते हैं। सुबह की भागदौड़ से बचें और उसे तैयार होने के लिए भरपूर समय दें।
छोटे-छोटे सकारात्मक अनुभव बनाएं
स्कूल को एक डरावनी जगह की बजाय एक मजेदार और सीखने वाली जगह के रूप में देखना जरूरी है। स्कूल के बाद उसकी पसंद की कोई एक्टिविटी करें, जैसे पार्क में जाना या उसकी मनपसंद डिश बनाना। इससे उन्हें पॉजिटिव महसूस होगा। उसे स्कूल के दोस्तों के साथ प्ले-डेट के लिए मोटिवेट करें, ताकि उसके सोशल कनेक्शन मजबूत हों।
प्रोफेशनल मदद लेने से न घबराएं
अगर आपकी सभी कोशिशों के बावजूद बच्चे की एंग्जाइटी गंभीर बनी रहती है, उसके व्यवहार में ज्यादा बदलाव आता है या वह पूरी तरह से स्कूल जाने से मना कर देता है, तो किसी चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट या काउंसलर से सलाह लेने में देरी न करें। एक ट्रेंड प्रोफेशनल बच्चे की समस्या की जड़ तक पहुंचने और थेरेपी जैसी तकनीकों से उसे कोपिंग मैकेनिज्म सिखाने में मदद कर सकता है।
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