नमक का कर्ज
कटोरे में हरे-हरे अंगूर। आहा! कितने मीठे होंगे। यह देखते ही बंटी खरगोश के मुंह में पानी आ गया। अंगूर ऊंची डाइनिंग टेबल पर रखे थे।
उसने चढ़ने की कोशिश की,पर औंधे मुंह नीचे गिर पड़ा। तभी किसी के कदमों की आहट सुनाई दी। वह झट से दरवाजे की ओट में छिप गया। एक आदमी रसोईघर की खिड़की से अंदर घुसने की कोशिश कर रहा था। उसे तुरंत समझ में आ गया कि यह कोई चोर है, जो फ्लैट का ताला बाहर से बंद देख, रसोईघर की खिड़की से चोरी करने घुस रहा है। फ्लैट के मालिक-मालकिन दस बजे ऑफिस चले जाते हैं।
उनका एकमात्र बेटा विनीत स्कूल से दोपहर बाद घर लौटता है। चार बजे तक घर बिल्कुल खाली रहता है। तब पूरे घर पर बंटी खरगोश का राज रहता है। वह कमरों में दौड़ता रहता। हर खाने-पीने की चीज पर अपना अधिकार रखता। लेकिन आज एक चोर ने डिस्टर्ब किया, तो उसे गुस्सा आ गया। साथ ही उसका स्वाभिमान भी जाग उठाा। आखिर इतने दिनों तक जिनका नमक खाया है, उनका कर्ज उतारने की बारी जो थी। चोर बेडरूम में घुसकर आलमारी का ताला खोलने की कोशिश कर रहा था।
बंटी सोचने लगा कि अब क्या किया जाए? उसे एक युक्ति सूझी। कुछ याद आया कि विनीत के पास एक खिलौना है, जिसका बटन दबाते ही सायरन की तरह आवाज निकलती है। वह विनीत के कमरे में भागा। थोड़े से प्रयास के बाद उसे वह खिलौना मिल गया। बंटी ने अपने पैर से उसका बटन दबा दिया। सायरन की आवाज बजते ही चोर घबरा गया। वह भागने की कोशिश करने लगा।
खिड़की से भाग ही रहा था कि घबराहट में उसका पैर फिसला और वह धड़ाम से नीचे गिर पड़ा। नीचे खड़े सुरक्षा गार्ड कांता ने उसे पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया। जब मालिक लौटे, तो उन्होंने गार्ड को शाबाशी एवं इनाम दिया। हालांकि बंटी जानता था कि इस पुरस्कार का असली हकदार वह है, लेकिन वह अपने मालिक के नमक का हक अदा कर बेहद खुश था।
प्रस्तुति- सप्तरंग
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