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    सिर्फ आस्था नहीं, विज्ञान भी मानता है 'गाय' को पहली रोटी खिलाने के हैं ढेरों फायदे

    Updated: Mon, 22 Dec 2025 01:33 PM (IST)

    भारत में गाय को पहली रोटी खिलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है, जो न केवल धार्मिक है बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। एक अध्ययन के अनुसार, ...और पढ़ें

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    गाय को पहली रोटी खिलाने के पीछे का असली वैज्ञानिक सच (Image Source: AI-Generated) 

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के लाखों घरों में हर सुबह पहली रोटी गाय के लिए निकालने की परंपरा सदियों पुरानी है। यह केवल एक धार्मिक रस्म नहीं है, बल्कि जीवन और शुद्धता की प्रतीक 'गौमाता' के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका भी है। हालांकि, आज के वैज्ञानिक दौर में, कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है- क्या यह परंपरा वास्तव में गाय के लिए सुरक्षित है (Feeding First Roti To Cow)?

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    'फ्रंटियर्स इन वेटरनरी साइंस' में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, जब गायों को सड़क का कचरा खाने के बजाय घर की बनी ताजी चपाती या चारा दिया जाता है, तो उनकी सेहत में जादुई सुधार होता है (Benefits of Feeding Cows)। विज्ञान मानता है कि साफ-सुथरा भोजन गायों की आंतों की सेहत, दूध की गुणवत्ता और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। यानी, यह प्राचीन रिवाज न केवल हमारी संस्कृति को जीवित रखता है, बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी जानवरों की भलाई करता है।

    benefits of giving roti to cows

    (Image Source: AI-Generated) 

    पहली रोटी देने की प्राचीन परंपरा

    गाय को पहली रोटी खिलाने की प्रथा को 'गौ सेवा' कहा जाता है। भारतीय संस्कृति में गाय को एक दैवीय रूप माना गया है जो पोषण और पवित्रता का प्रतीक है।

    • धर्म और कर्म: अथर्ववेद और भागवत पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में गाय को खिलाना धर्म और सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान का कार्य बताया गया है।
    • पुराना संबंध: ऐतिहासिक रूप से परिवार दूध, गोबर और खेती में मदद के लिए गायों पर निर्भर थे, इसलिए यह कार्य आध्यात्मिक होने के साथ-साथ व्यावहारिक भी था। आज भी यह परंपरा करुणा और प्रकृति के साथ जुड़ाव को दर्शाती है।

    आधुनिक समय में इस परंपरा का महत्व

    आज के समय में इस रस्म के मायने थोड़े बदल गए हैं। शहरों में लोग इसे केवल धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि दया और सहानुभूति के रूप में देखते हैं।

    • कुपोषण से बचाव: पशु कल्याण समूहों का मानना है कि साफ और पौष्टिक भोजन खिलाने से शहरी गायों में भूख और कुपोषण कम होता है।
    • पैसे नहीं, भोजन दें: कई गौशालाएं और संस्थाएं अब लोगों को नकद दान देने के बजाय ताजी रोटियां या चारा देने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। इससे गायों को सही पोषण मिलता है और सेवा का असली भाव भी बना रहता है।

    First roti to cow

    (Image Source: AI-Generated)

    क्या हैं इसके वैज्ञानिक फायदे?

    विज्ञान के नजरिए से देखें तो गायें 'जुगाली करने वाले' जीव हैं, जिन्हें स्वस्थ पाचन के लिए रेशेदार भोजन की जरूरत होती है।

    • सही भोजन: सादी गेहूं की रोटियां और हरा चारा उनके पेट की गतिविधियों के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।
    • गलत भोजन से बचें: नमक, तेल या प्लास्टिक की थैलियों वाला भोजन उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है।
    • सेहत में सुधार: स्टडी बताती हैं कि जब गायों को घर का बना सादा और साफ खाना मिलता है, तो उनकी पाचन शक्ति बढ़ती है और बीमारियां कम होती हैं।

    पर्यावरण के लिए भी है फायदेमंद

    गाय को जिम्मेदारी से रोटी खिलाना हमारे पर्यावरण को भी स्वच्छ रखने में मदद करता है:

    • कचरे से दूरी: जब गायों को भरपेट खाना मिलता है, तो वे कचरे के ढेर में मुंह नहीं मारतीं और प्लास्टिक जैसी जानलेवा चीजें खाने से बच जाती हैं।
    • गंदगी में कमी: इससे शहरों में कूड़ा फैलने की समस्या कम होती है और गायों में पेट की गंभीर बीमारियां नहीं होतीं।
    • उपयोगी गोबर: शोधकर्ताओं के अनुसार, स्वस्थ गाय का गोबर एक बेहतरीन जैविक खाद और स्वच्छ ईंधन का काम करता है, जो खेती के लिए वरदान है।

    गाय को रोटी खिलाते समय इन बातों का रखें ध्यान

    अगर आप भी गाय को पहली रोटी देना चाहते हैं, तो इसे सुरक्षित बनाए रखने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है:

    • कैसी हो रोटी: गाय को हमेशा बिना नमक, तेल या घी की सादी रोटी दें।
    • स्थान का चुनाव: सड़क के किनारे खाना खिलाने से बचें ताकि दुर्घटना न हो। कोशिश करें कि गाय साफ जगह पर खड़ी हो।
    • गौशालाओं का सहयोग: शहरों में स्थानीय गौशालाओं के साथ मिलकर रोटियां दान करें। कई जगहों पर रोटी ड्राइव भी चलाई जाती है, जहां आप ताजी चपाती दे सकते हैं।

    सावधानी से दी गई एक सादी रोटी न केवल गाय का पेट भरती है, बल्कि हमारी आत्मा को भी सुकून देती है। यह इंसानों और प्रकृति के बीच के रिश्ते को मजबूत बनाती है।

    Source: Frontiers in Veterinary Science

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