कहां है भारत के आखिरी मुगल बादशाह का बेशकीमती मुकुट? 1857 के बाद कुछ यूं बदल गई इसकी किस्मत
क्या आपको मालूम है कि बहादुर शाह जफर (Bahadur Shah Zafar Crown) का मुकुट कहां है? अगर नहीं तो आपको ये लेख जरूर पढ़ना चाहिए। इस मुकुट की खासियत ये थी कि इसमें सोने हीरे मोती और अन्य कीमती रत्न जड़े हुए थे। ये मुकुट मेजर रॉबर्ट टाइटलर के हाथ लग गया था। इसके बाद उन्होंने इसे रानी विक्टोरिया को सौंप दिया था।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की कहानी तो सब जानते ही हैं, लेकिन उनका मुकुट कितना बेशकीमती था ये कम लोग ही जानते हाेंगे। उनका मुकुट अब कहां है, इसके बारे में भी कम ही लोगों को जानकारी होगी। ये मुकुट भारत के इतिहास की अहम निशानी माना जाता है। आइए जानते हैं कि बादशाह का मुकुट अब कहां है।
बता दें कि इसे आज भी लंदन में देखा जा सकता है। 1857 के विद्रोह के बाद, जब अंग्रेजों ने मुगलों की सत्ता खत्म कर दी तब यह मुकुट मेजर रॉबर्ट टाइटलर के हाथ लग गया। उन्होंने इसे इंग्लैंड ले जाकर रानी विक्टोरिया को सौंप दिया। तब से ये लंदन के एक म्यूजियम में रखा है।
1857 के बाद क्या हुआ?
1857 में भारतीय सिपाहियों ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत कर दी। इस लड़ाई में बहादुर शाह जफर को भारतीय सेनाओं का नेता बनाया गया। हालांकि अंग्रेजों ने उन्हें हरा दिया। इसके बाद अंग्रेजों ने उन्हें बर्मा जो कि अब म्यांमार के नाम से जाना जाता है, भेज दिया। वहां 1862 में उनकी मौत हो गई।
नीलामी के बाद रॉबर्ट टाइटलर ने खरीदा मुकुट
इसके बाद अंग्रेजों ने दिल्ली में उनकी सारी कीमती चीजें नीलाम कर दीं। इसी नीलामी में मेजर रॉबर्ट टाइटलर ने उनका मुकुट और दो सिंहासन खरीद लिया। इसे लेकर वे इंग्लैंड आ गए।
कैसे इंग्लैंड पहुंचा मुकुट?
इंग्लैंड में एक जूलर्स ने इसे £1,000 में खरीदने की पेशकश की। हालांकि टाइटलर ने इसे रानी विक्टोरिया को भेंट कर दिया। मुकुट सोने, हीरे, मोती और अन्य कीमती रत्नों से जड़ा हुआ था। इसे खास तौर पर मुगल शाही परंपरा के अनुसार बनाया गया था। रानी विक्टोरिया ने इसे खरीदकर ब्रिटिश शाही संग्रह में रखवा दिया। टाइटलर को मुकुट और सिंहासन के बदले सिर्फ £500 मिले, जिससे वे नाखुश थे।
चकनाचूर हो गया टाइटलर का सपना
उन्होंने सोचा था कि अंग्रेज सरकार उन्हें कोई बड़ा पद देगी, लेकिन उनका ये सपना चकनाचूर हो गया। उनकी पत्नी हैरियट टाइटलर ने अपनी किताब में लिखा है कि टाइटलर इस बात से जिंदगी भर दुखी रहे। 10 सितंबर 1872 को उन्होंने आखिार सांस ली।
कौन थे बहादुर शाह जफर?
बहादुर शाह जफर सिर्फ एक राजा ही नहीं, बल्कि कवि और कलाकार भी थे। वे उर्दू और फारसी में शायरी लिखते थे। उनका एक मशहूर शेर है भी है जिसे आज खूब पसंद किया जाता है। इसमें उन्होंने अपनी हार और दुख को भी बयां किया था।
लंदन के म्यूजियम में रखा है मुकुट
आज बहादुर शाह जफर का मुकुट लंदन के एक संग्रहालय में रखा हुआ है। आपको बता दें कि यह सिर्फ एक गहना नहीं, बल्कि भारत के इतिहास की एक खोई हुई विरासत है। यह हमें याद दिलाता है कि कैसे अंग्रेजों ने भारत पर राज किया और मुगल साम्राज्य का अंत हुआ।
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