भारत के 'सिंदूर अस्त्र' से ध्वस्त हुआ पाकिस्तान! क्या आप जानते हैं Sindoor का महत्व और इसका इतिहास
पाकिस्तान पर हुए एयर स्ट्राइक को ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया। इस नाम को काफी खास माना जा रहा है। सिंदूर का हिन्दू धर्म में काफी महत्व होता है। जानिए सिंदूर का इतिहास सुहागन स्त्रियों के लिए इसका महत्व और भारतीय संस्कृति में सिंदूर (Sindoor significance in Hinduism) का क्या स्थान है। सिंदूर क्यों है शादी का अहम प्रतीक?
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बुधवार की सुबह जब देश ने आंखें खोली, तो सामने पाकिस्तान में हुई तबाही का मंजर देखने को मिला। रात करीब 1ः44 बजे हुए एयर स्ट्राइक (Air Strike) के साथ ही भारत में पहलगाम में हुए आतंकी हमले का पड़ोसी मुल्क को मुंहतोड़ जवाब दिया। पाकिस्तान पर की गई इस कार्रवाई को ऑपरेशन सिंदूर (operation sindoor) नाम दिया गया। इस नाम के पीछे बेहद खास वजह थी।
दरअसल, कई लोग इस हमले के नाम को पहलगाम में हुए आतंकी हमले से जोड़कर देख रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इस ऑपरेशन को यह नाम उन पत्नियों के सम्मान में दिया गया है, जिन्होंने पहलगाम हमले में अपना सुहाग खो दिया। हिंदू धर्म में सिंदूर (What is Sindoor) का काफी महत्व माना जाता है। यह सुहाग की निशानी मानी जाती है। ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे सिंदूर का महत्व और इसका इतिहास-
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बेहद खास का सिंदूर
आप सभी शाहरुख खान की मशहूर फिल्म ओम शांति ओम का मशहूर डायलॉग ‘एक चुटकी सिंदूर की कीमत…’ तो जरूर सुना होगा। यह भले ही किसी फिल्म का डायलॉग हो, लेकिन इसमें कही बात वाकई सच है। भारत में सिंदूर का बेहद खास महत्व होता है। यहां कई शादीशुदा महिलाएं हाथों में लाल चुड़ी और मांग में सिंदूर लगाती हैं, क्योंकि इन्हें सुहाग की निशानी माना जाता है। साथ ही यह सोलह शृंगार में भी शामिल हैं।
क्या है सिंदूर का महत्व?
आमतौर पर सिंदूर लाल रंग का पाउडर-सा होता है, जिसे विवाहित महिलाएं अपनी मांग में लगाती हैं। इसका इस्तेमाल सदियों से हिंदू धर्म में सुहाग (Sindoor significance in Hinduism) की निशानी के तौर पर किया जा रहा है। यह प्रेम, प्रतिबद्धता और समर्पण को दर्शाता है और सौभाग्य, समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। शादी के दौरान सात फेरों के बाद पति महिला को सिंदूर लगाता है और इसके बाद वह अपने पति की लंबी उम्र के लिए उनके जीवित रहने तक ‘सिंदूर’ लगाती है।
हालांकि, यह सिर्फ लाल रंग का ही नहीं होता है। कई जगह यह नारंगी यानी ऑरेंज रंग का भी होता है। आमतौर नारंगी रंग का सिंदूर पूर्वांचल हिस्सों जैसे उत्तर प्रदेश और बिहार में लगाया जाता है। इसके अलावा बिहार के कुछ इलाकों में महिलाएं गुलाबी रंग का सिंदूर भी लगाती हैं।
सिंदूर का इतिहास
बात करें इसके इतिहास (Sindoor History) की, तो इसकी उत्पत्ति के बारे कोई खास जानकारी नहीं है। हालांकि, सिंदूर का उल्लेख हिंदू महाकाव्यों में भी मिलता है। धर्मशास्त्रियों के अनुसार रामायण में इस बात का जिक्र मिलता है कि देवी सीता अपने पति भगवान राम के लिए सिंदूर लगाती थीं। इसके अलावा यह सदियों से चली आ रही एक परंपरा भी है, जिसे लोग आज भी मानते हैं।
कैसे बनता है सिंदूर?
आमतौर पर सिंदूर को बनाने के लिए चूना हल्दी और मरकरी का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका पौधा भी होता है। जी हां, कुमकुम ट्री या kamila Tree नाम के पेड़ से सिंदूर बनाया जाता है। दरअसल, इसमें से फल निकलते हैं, उससे पाउडर और लिक्विड फॉर्म में सिंदूर जैसा लाल डाई बनाया जाता है।
टैक्स फ्री है 'सिंदूर'
भारत में सिंदूर का काफी महत्व है और इसी वजह से इसके महत्व को देखते हुए सरकार ने साल 2017 में इसे टैक्स फ्री घोषित कर दिया था। टैक्स फ्री होने का इसका मतलब है कि देशभर में सिंदूर की बिक्री या खरीद पर कोई भी जीएसटी नहीं लगाया जाता है।
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